पूर्ण साक्षरता हासिल करने वाला देश का दूसरा राज्य बना गोवा
एस एन वर्मा
नई दिल्ली:गोवा के मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत ने आधिकारिक तौर पर उल्लास - नव भारत साक्षरता कार्यक्रम (न्यू इंडिया लिटरेसी प्रोग्राम) के तहत गोवा राज्य को आधिकारिक तौर पर पूर्ण साक्षर घोषित किया, जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 में परिकल्पित 2030 तक पूर्ण साक्षरता प्राप्त करने की दिशा में भारत की यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। इससे गोवा देश का दूसरा राज्य बन गया है जिसने पूर्ण साक्षरता के लिए राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित 95% बेंचमार्क को पार कर लिया है। यह घोषणा गोवा के 39वें राज्य दिवस (30 मई) के भव्य समारोह के दौरान पणजी के दीनानाथ मंगेशकर कला मंदिर में की गई।
अधिकतम पहुंच के लिए, गोवा सरकार ने इस प्रयास में संपूर्ण-सरकार दृष्टिकोण का उपयोग किया। राज्य सरकार ने पंचायत निदेशालय, नगर प्रशासन निदेशालय, समाज कल्याण निदेशालय, योजना एवं सांख्यिकी निदेशालय तथा महिला एवं बाल विकास निदेशालय सहित अनेक विभागों के साथ सक्रिय सहयोग किया। इन विभागों ने अपने-अपने अधिकार क्षेत्र में निरक्षरों की पहचान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
इसके अलावा, स्वयंपूर्ण मित्र जागरूकता अभियान में लगे हुए थे, शिक्षार्थियों को साक्षरता प्रमाणपत्र प्राप्त करने में सहायता कर रहे थे तथा उन्हें शिक्षण मॉड्यूल में एकीकृत करने में सहायता कर रहे थे। समाज कल्याण विभाग के क्षेत्रीय कार्यकर्ताओं ने भी पहचान प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
एससीईआरटी, स्थानीय प्रशासन, स्कूल प्रमुखों तथा स्वयंसेवकों सहित गोवा शिक्षा टीम के प्रयासों की व्यापक रूप से सराहना की गई। गोवा की सफलता अंतर-विभागीय सहयोग तथा समावेशी शैक्षिक उपकरणों द्वारा समर्थित जन-केंद्रित, स्वयंसेवी-संचालित साक्षरता अभियानों की क्षमता को प्रदर्शित करती है। यह 2030 तक पूर्ण साक्षरता के राष्ट्रीय लक्ष्य को प्राप्त करने में अन्य राज्यों के लिए अनुकरणीय मिसाल कायम करता है। यह प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के विकसित भारत के विजन की दिशा में एक कदम है।
उल्लास-नव भारत साक्षरता कार्यक्रम को पूरे देश में लागू किया जा रहा है और गोवा आज प्रगति के प्रतीक के रूप में खड़ा है, जो "जन-जन साक्षर" की भावना की पुष्टि करता है।
उल्लास-नव भारत साक्षरता कार्यक्रम या नया भारत साक्षरता कार्यक्रम 2022-2027 तक लागू की जाने वाली एक केंद्र प्रायोजित योजना है। एनईपी 2020 के साथ संरेखित यह योजना उन वयस्कों (15 वर्ष और उससे अधिक आयु के) को लक्षित करती है जो स्कूल नहीं जा सकते। इस योजना के पाँच घटक हैं - आधारभूत साक्षरता और संख्यात्मकता, महत्वपूर्ण जीवन कौशल, बुनियादी शिक्षा, व्यावसायिक कौशल और सतत शिक्षा। उल्लास योजना का उद्देश्य भारत को जन-जन साक्षर बनाना है और यह कर्तव्य बोध की भावना पर आधारित है और इसे स्वैच्छिकता के आधार पर लागू किया जा रहा है। उल्लास योजना के तहत, देश भर में अब तक 1.77 करोड़ से अधिक शिक्षार्थी आधारभूत साक्षरता और संख्यात्मकता मूल्यांकन परीक्षा (FLNAT) में शामिल हो चुके हैं। उल्लास मोबाइल ऐप पर 2.40 करोड़ से अधिक शिक्षार्थी और 41 लाख स्वयंसेवी शिक्षक पंजीकृत हैं।