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सेक्टर 122 में बापू को ‘स्वच्छांजलि’ देने के लिए सामूहिक श्रमदान

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 नोएडा : सेक्टर  122 में बापू को ‘स्वच्छांजलि’ देने के लिए आज   सामूहिक श्रमदान किया गया. स्वच्छता अभियान का आयोजन सेक्टर 122 के  आर डब्लू ए , वर्क सर्किल  6 एवं प्राधिकरण  के स्वास्थ्य  विभाग द्वारा सामूहिक रूप से किया गया. वर्क सर्किल 6 की ओर  से  प्रवीण सलोनी तथा अंकुर सिंघल, स्वास्थ्य विभाग  की ओर  से  विकाश परासर  एवं आरडब्लूए  की ओर से डॉ उमेश शर्मा  अध्यक्ष, श्री देवेंद्र कुमार, महासचिव एवं कोषाध्यक्ष   ब्रह्मदत्त  शर्मा   एवं अमित जायसवाल उपस्थित रहे. ब्रह्माकुमारी  संस्थान  के बहन एवं भाई भी स्वछता  अभियान में बढ़ चढ़कर भाग लिया.  अध्यक्ष डॉ शर्मा ने उपरोक्त जानकारी देते हुए बताया कि देवेंद्र कुमार ने उपस्थित  सभी सहयोगियों को स्वच्छता  का शपथ दिलाया.सेक्टर  122 के गणमान्य  सदस्य  अजय सिंह, सुनील पिपलानी, अनिल कुमार चौरसिया, आकाश अग्रवाल एवं अन्य कई सदस्यों ने सेक्टर  में घूम कर पड़े कूड़े कचरे को चुन कर सफाई अभियान द्वारा जागरूकता  पैदा किया. जैसे जैसे कारवाँ बढ़ता गया लोगों ने सफाई में दिलचस्पी  दिखाने लगे और कारवाँ बढ़ता गया. डॉ शर्मा ने बताया कि सभी  के सहयोग से कार्यक्रम सफलता

योगावतार के जीवन से अमृतपान

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      श्री श्री लाहिड़ी महाशय की 195वीं जयंती विशेष डॉ (श्रीमती) मंजु लता गुप्ता   “ईश्वरानुभूति के गुब्बारे में प्रतिदिन उड़कर मृत्यु की भावी सूक्ष्म यात्रा के लिए अपने को तैयार करो......क्रियायोग की गुप्त कुंजी के उपयोग द्वारा देह - कारागार से मुक्त होकर परमतत्त्व में भाग निकलना सीखो।“ भौतिक देह में वास करते हुए भी अनंत के साम्राज्य में विचरण करने वाले गृहस्थ योगी , महान् गुरु श्री श्री लाहिड़ी महाशय के ये शब्द भगवद्प्रेमियों के लिए एक ऐसे निश्चित मार्ग की ओर संकेत करते हैं जिसका अनुसरण वे अपने सांसारिक कर्त्तव्यों को निभाते हुए भी कर सकते हैं। “व्यावसायिकऔर सामाजिक कर्त्तव्यों को निभाते निभाते ध्यान धारणा का समय ही कहाँ मिलता है।“ आज केसमय में प्रचलित इस प्रकार के सामान्य प्रतिवादों का खंडन करने के लिए श्री श्री परमहंस योगानन्दजी ने अपनी पुस्तक ‘ योगी कथामृत ’, जिसे न्यूयार्क टाइम्स ने ‘ एक अद्वितीय वृतांत ‘ कहकर संबोधित किया , में अपनी आध्यात्मिक यात्रा का वर्णन करते हुए , इस महान् गुरु के जीवन से हमें परिचित करायाहै।   जीवनमुक्त होते हुए भी जनसामान्य को ईश्वरानु

26-27 सितंबर को नई दिल्ली में सीएसआईआर स्थापना दिवस समारोह

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  बायो-डिग्रेडेबल कटलरी और फोर्टिफाइड चावल के दाने भी प्रदर्शित किए जाएंगे नई दिल्ली  :  एक अनूठे प्रयास को गति देने के उद्देश्य से, तिरुवनंतपुरम स्थित एनआईआईएसटी ने रोगजनक बायोमेडिकल कचरे को मिट्टी में मिलाकर उसके सुरक्षित और टिकाऊ प्रबंधन के लिए एक अभिनव समाधान विकसित किया है ,  जो अत्यंत प्रभावी तरीके से बड़े पैमाने पर संक्रमण को रोक सकता है। यह नवीन और उपयोगिता-संचालित प्रौद्योगिकियों की एक श्रृंखला में से एक है, जिसे सीएसआईआर-नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर इंटरडिसिप्लिनरी साइंस एंड टेक्नोलॉजी (एनआईआईएसटी) ने शानदार भारत मंडपम में प्रदर्शित किया है, जहां दो दिवसीय सीएसआईआर स्थापना दिवस समारोह आज से शुरू हुआ है। सितंबर 2022 में, केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने देश भर में 37 सीएसआईआर प्रयोगशालाओं में तकनीकी सफलताओं और नवाचारों को प्रदर्शित करने के लिए 'वन वीक वन लैब' (ओडब्ल्यूओएल) थीम-आधारित अभियान की घोषणा की थी। उन्होंने कहा, "सीएसआईआर की प्रत्येक प्रयोगशाला अद्वितीय है और जीनोमिक्स से लेकर भूविज्ञान, पदार्थ प्रौद्योगिकी और भोजन से लेकर ईंधन त

अष्टलक्ष्मी के गौरव की पुनर्स्थापना

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       जी किशन रेड्डी    ( केन्द्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री ) जब भी मैं पूर्वोत्तर क्षेत्र की यात्रा करता हूं ,  तो मैं अक्सर स्मृतियों में खो जाता हूं   और पूरे भारत के साथी युवा मोर्चा कार्यकर्ताओं के साथ की गयी अपनी पिछली यात्राओं को याद करता हूं। उन दिनों ,  परिवहन व संचार संपर्क सुविधाओं   की कमी ,  सुरक्षा के खतरे ,  बंद और चक्का जाम की असुविधा तथा अवसंरचना की कमी को नजरअंदाज करते हुए ,  हमने इन अवसरों का उपयोग , क्षेत्र के अपने भाइयों और बहनों के साथ बातचीत करने ,  उनकी संस्कृति का अनुभव करने और चुनौतियों व समाधानों पर चर्चा करने में किया।      हालाँकि ,  परिवर्तन शुरू करने के लिए हमारे अटूट उत्साह और अथक प्रयास को राजनीतिक उपेक्षा ,  घोर अन्याय और शेष भारत से स्पष्ट अलगाव के कारण कड़ी बाधाओं का सामना करना पड़ा। अफसोस की बात है कि पूर्वोत्तर क्षेत्र के राज्य ,  जो हमारे देश का अभिन्न अंग हैं ,  को अक्सर "सौतेली बहनें" कहा जाता था। हालाँकि ,  कुछ साल बाद ,  आज ,  जब मैं उन्हीं स्थानों की दोबारा यात्रा करता हूँ ,  तो मैं संतुष्टि और राहत की गहरी भावन