दिल्ली एनसीआर के मज़दूर वर्ग का स्पष्ट संदेश : लेबर कोड कानूनों को लागू नहीं होने देगा मज़दूर वर्ग!
नई दिल्ली
9 जुलाई को लेबर कोड कानूनों के खिलाफ़ देशव्यापी हड़ताल में दिल्ली एनसीआर क्षेत्र का मज़दूर वर्ग भी दृढ़ संकल्प के साथ शामिल हुआ।
दिल्ली में झिलमिल, मंगोलपुरी, बवाना, बादली, राजस्थानी उद्योग नगर, ओखला तथा मायापुरी औद्योगिक क्षेत्रों में धरने और लामबंदी हुई। कई जगहों पर मुख्य रास्तों को 15 मिनट से आधे घंटे तक मज़दूरों के हुजूमों ने जाम भी किया।
जारी विज्ञप्ति के अनुसार ग़ाज़ियाबाद के साहिबाबाद साइट 4 औद्योगिक क्षेत्र के कई औद्योगिक इकाइयों में हड़ताल हुई और हड़ताली मज़दूरों ने विरोध में लिंक रोड जाम कर दिया। इसके अलावा साउथ साइड जीटी रोड, मेरड रोड, डासना और लोनी में भी छोटे-बड़े प्रदर्शन हुए और जुलूस निकाले गए।
नोएडा में अंबुजा सीमेंट्स (दादरी), अनमोल बिस्कुट्स, मानीताऊ और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के मज़दूर गौतम बुद्ध नगर में डीएम कार्यालय के समक्ष रैली और प्रदर्शन में शामिल हुए। रेहड़ी पटरी यूनियन और नोएडा के अन्य मज़दूर नोएडा विकास प्राधिकरण के सामने विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए। भंगेल में वस्त्र सिलाई उद्योग के मज़दूरों ने पूरे इलाके में जुलूस निकाला।
दिल्ली जल बोर्ड के कर्मचारियों ने भी निजीकरण की कोशिशों और दिल्ली के जल वितरण नेटवर्क में अडानी समूह के पिछले दरवाजे से प्रवेश के खिलाफ वरुणालय भवन के सामने एक विशाल प्रदर्शन किया।
दिल्ली एयरपोर्ट के कर्मचारियों ने भी अपनी मांगों तथा लेबर कोड कानूनों के खिलाफ़ प्रदर्शन किया।
संयुक्त ट्रेड यूनियनों ने भी जंतर-मंतर पर एक विरोध प्रदर्शन किया, जिसमें ट्रेड यूनियनों के सभी राष्ट्रीय नेताओं ने भाग लिया। सभा को संबोधित करते हुए कॉमरेड तपन सेन ने कहा कि इस जनविरोधी सरकार को उखाड़ फेंकना होगा और आज की हड़ताल आने वाले दिनों में मजदूर वर्ग की सामूहिक, संगठित कार्रवाइयों की शुरुआत है। सभा को अशोक सिंह (इंटक), अमरजीत कौर (एटक) , हरभजन सिंह (एचएमएस) , लता (सेवा), राजीव डिमरी (एआईसीसीटीयू), नरेंद्र (आईसीटीयू), मैनेजर चौरसिया (एआईयूटीयूसी), संतोष (एमईसी), आरएस डागर (यूटीयूसी), विजू कृष्णन (एआईकेएस) और एए रहीम (सांसद) ने भी संबोधित किया।
विज्ञप्ति के अनुसार औद्योगिक क्षेत्रों में आज की हड़ताल और ज़िलों में मज़दूर वर्ग की स्वतःस्फूर्त लामबंदी, दिल्ली एनसीआर में मज़दूर वर्ग के भीतर लेबर कोड के उन प्रावधानों के ख़िलाफ़ गुस्से का प्रतीक है जिन्हें दिल्ली की भाजपा सरकार भी लागू करने की कोशिश कर रही है। साथ ही यह बीते दिनों लेबर कोड के खिलाफ़ चले निरंतर अभियान का भी नतीजा है, जो कि आने वाले दिनों में नए प्रण और विश्वास के साथ जारी रहेगा।