*सेना बलिदान दे रही हैं और भारत खेल रहा हैं क्रिकेट*

 


 * भारत सरकार की कब खुलेगी आंखें


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 *आचार्य विष्णु हरि* 

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अभी-अभी जम्मू-कश्मीर में सेना के मेजर, कर्नल और राज्य पुलिस के डीएसपी का बलिदान झकझोर कर रख दिया। पाकिस्तानी आतंकवादियों के खिलाफ लड़ते हुए हमारी सेना ने सर्वश्रेष्ठ बलिदान दिया है। दुश्मन देश दुश्मनी छोड़ नहीं है, हिंसा और आतंकवाद की सीमा बार-बार लांघ रही है। 

            हमारी सेना वीरता के साथ पाकिस्तान के आतंकवाद और हिंसा का सामना कर रही है। हमारी सेना की वीरता का ही सुखद परिणाम है कि पाकिस्तान अपनी चाल में आज तक सफल नहीं हुई है और हजारों पाकिस्तानी आतंकवादियों को हमारी सेना ने मार गिरायी है। पाकिस्तान कभी भी सभ्य पडोसी की भूमिका नहीं हो सकती है। अंतर्राष्टीय स्तर पर ध्यान आकर्षित कराने के लिए आतंकवादी हमले पाकिस्तान कराता है।

               पर बेशर्मी की बात यह है कि भारत अपने दुश्मनों की चरणवंदना करता है, पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेलता है। जिस दिन जम्मू-कश्मीर में हमारी सेना के मेजर और कर्नल बलिदान हुए उस दिन भारत आतंकवादी देश पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेल रहा था। जब आप पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेलेंगे और मनोरंजन करेंगे, चरणवंदना करेंगे तो फिर सेना के जवान अपनी जान देकर देश की रक्षा क्यों करेंगे? अगर हमारी सेना भी पाकिस्तान के साथ दोस्ती-दोस्ती का खेल खेलना शुरू कर दे तो फिर सीमा की सुरक्षा कैसे हो सकती है, हम अपने घरों में चैन की नींद कैसे सो सकते हैं? कभी आपने इस विषय पर सोचा है?

       हमारी सेना सभ्य और आज्ञाकारी हे। अगर ऐसी परिस्थितियां किसी दूसरे देश की होती तो सेना विद्रोह कर देती और कहती कि तुम दुश्मन देश के साथ क्रिकेट खेलेगो और मनोरंजन करोगे तो फिर हम बलिदान क्यों करें? फिर सेना विद्रोह कर देती। पर हमारे क्रिकेट खिलाड़ियों को शर्म नहीं आती, बीसीसीआई को शर्म नहीं आती, भारत सरकार को शर्म नहीं आती। अब भारतीय सेना को भी विद्रोह करने की आवश्यकता है फिर भारत सरकार की आंखें खुलेगी और पाकिस्तान के साथ वार्ता सहित क्रिकेट खेलना बंद करेगी। 

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