नए कृषि कानून लागू हुआ तो बदहाल हो जाएगा देश का किसान : रालोद

राष्ट्रपति को प्रेषित ज्ञापन में नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग की

ग्रेटर नोएडा। राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के कार्यकर्ताओं ने गुरुवार को नए कृषि कानून के खिलाफ राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन सूरजपुर स्थित जिलाधिकारी कार्यालय को सौंपा। ज्ञापन में किसानों के आंदोलन का समर्थन करते हुए किसान विरोधी कानूनों को वापस लेने की मांग की गई है।


रालोद के जिलाध्यक्ष जनार्दन भाटी ने कहा कि कृषि प्रधान देश के किसानों ने हमेश देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। कोरोना जैसी वैश्विक महामारी और लॉकडाउन के बावजूद किसानों ने अनाज पैदा कर अर्थव्यवस्था में सहयोग दिया। केन्द्र सरकार ने कृषि सम्बन्धी ऐसे कानून पारित किये हैं, जिनके लागू होने से किसानों की स्थिति सोचनीय ही नहीं, दयनीय हो जायेगी। आज देश के किसान अपनी सम्भावित व्यथाओं से आशंकित होकर आन्दोलित हैं। 

रालोद ने ज्ञापन में कहा है कि किसान विरोधी कानूनों के फलस्वरूप मण्डी समिति और एमएसपी समाप्त हो जायेगी। कार्पोरेट जगत की स्वेच्छा से दी जाने वाली कीमत पर कृषि उपज की खरीद होगी। पूंजीपतियों और किसानों के बीच सम्भावित विवादों का निस्तारण भी सिविल कोर्ट में न होने से किसानों के लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन होगा। इकरारनामा के माध्यम से किसानों का शोषण होगा और तैयार फसलों की कीमत गुणवत्ता के बहाने कम मिलेगी। भण्डारण की सीमा कार्पोरेट जगत के पक्ष में समाप्त हो जायेगी, जिसका लाभ किसानों को न मिलकर सीधे पूंजीपतियों को मिलेगा।

ज्ञापन में राष्ट्रीय लोकदल ने किसानों की भावी पीड़ा के मद्देनजर तीनों नए कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग की है। इस दौरान रालोद के महानगर अध्यक्ष विजेन्द्र यादव, भूपेंद्र चैधरी, शौकत अली चेची, उदयवीर राठी, सागर भण्डारी, कार्तिय पाण्डेय और साहिल आजाद आदि मौजूद रहे।

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