कृषि संबंधित विधेयक: जानिए, क्यों है किसानों के जीवन में बदलाव लाने के अहम कदम, शंकाएं और उनके समाधान
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने, आय बढ़ाने एवं किसानों के जीवन स्तर में बदलाव के लिए पिछले कुछ महीनों में ऐतिहासिक निर्णय लिए हैं। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में देश के किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, कृषि विज्ञानी और अन्य संबंधित मंत्रालय/विभाग तथा लोग इस मिशन में जुटे हुए हैं। इसी दिशा में, प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में 5 जून 2020 को सरकार ने तीन अध्यादेश लाकर कृषि क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव किए। अब लोक सभा में इन तीनों अध्यादेशों को विधेयक के रूप में मंजूरी भी मिल गई हैं।
तीनों विधेयकों को लेकर कुछ जगह निर्मित किए जा रहे भ्रम दूर करते हुए केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने पुनः स्पष्ट किया है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पूर्व की तरह निर्धारित होते रहेंगे। रबी फसलों की एमएसपी आगामी सप्ताह में घोषित हो जाएगी। श्री तोमर ने यह भी साफ किया है कि एमएसपी पर खरीद जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि इन विधेयकों में सिर्फ और सिर्फ किसानों के हितों का संरक्षण किया गया है। श्री तोमर ने स्पष्ट किया है कि नए प्रावधानों में उपज बेचने के सिर्फ 3 दिनों में भुगतान की व्यवस्था निर्धारित की गई है। प्रत्येक परिस्थिति में किसान की भूमि के स्वामित्व का शत-प्रतिशत संरक्षण किया जाएगा। कृषि उत्पादों पर टैक्स का बोझ कम होने से किसानों को ज्यादा लाभ होगा।
श्री तोमर ने कहा कि राजनीतिक लाभ के लिए इक्का-दुक्का दल इन नए प्रावधानों का विरोध कर रहे है, क्योंकि अपने घोषणापत्र में इन सभी बिंदुओं को शामिल करने के बाद भी वे इन्हें लागू करने की हिम्मत नहीं कर पाएं। उन्होंने कहा कि इन विधेयकों से कृषि क्षे़त्र एवं किसानों को लाभ ही लाभ होगा।
यहां हम इन विधेयकों से संबंधित बिंदुवार जानकारी सरल शब्दों में प्रस्तुत कर रहे हैं, साथ ही इसके माध्यम से शंकाओं का समाधान करने का भी प्रयास किया जा रहा है।
कृषि उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण) विधेयक 2020
मुख्य प्रावधान-
- किसानों को उनकी उपज के विक्रय की स्वतंत्रता प्रदान करते हुए ऐसी व्यवस्था का निर्माण करना, जहां किसान एवं व्यापारी कृषि उपज मंडी के बाहर भी अन्य माध्यम से भी उत्पादों का सरलतापूर्वक व्यापार कर सकें।
- राज्य के भीतर एवं बाहर देश के किसी भी स्थान पर किसानों को अपनी उपज निर्बाध रूप से बेचने के लिए अवसर एवं व्यवस्थाएं प्रदान करना।
- परिवहन लागत एवं कर में कमी लाकर किसानों को उत्पाद की अधिक कीमत दिलाना।
- ई-ट्रेडिंग के जरिये किसानों को उपज बिक्री के लिए ज्यादा सुविधाजनक तंत्र उपलब्ध कराना।
- मंडियों के अतिरिक्त व्यापार क्षेत्र में फार्मगेट, कोल्ड स्टोरेज, वेयर हाउस, प्रसंस्करण यूनिटों पर भी व्यापार की स्वतंत्रता।
- किसानों से प्रोसेसर्स, निर्यातकों, संगठित रिटेलरों का सीधा संबंध, ताकि बिचौलिये दूर हों।
शंकाएं एवं समाधान-
शंकाएं-
- न्यूनतम मूल्य समर्थन (एमएसपी) प्रणाली समाप्त हो जाएगी।
- कृषक यदि पंजीकृत कृषि उत्पाद बाजार बाजार समिति-मंडियों के बाहर बेचेंगे तो मंडियां समाप्त हो जाएंगी।
- ई-नाम जैसे सरकारी ई ट्रेडिंग पोर्टल का क्या होगा ?
समाधान-
- एमसपी पूर्व की तरह जारी रहेगी, एमएसपी पर किसान अपनी उपज विक्रय कर सकेंगे। रबी की एमएसपी अगले सप्ताह घोषित की जाएगी।
- मंडिया समाप्त नहीं होंगी, वहां पूर्ववत व्यापार होता रहेगा। इस व्यवस्था में किसानों को मंडी के साथ ही अन्य स्थानों पर अपनी उपज बेचने का विकल्प प्राप्त होगा।
- मंडियों में ई-नाम ट्रेडिंग व्यवस्था भी जारी रहेगी।
- इलेक्ट्रानिक प्लेटफार्मो पर कृषि उत्पादों का व्यापार बढ़ेगा। पारदर्शिता के साथ समय की बचत होगी।
कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020
मुख्य प्रावधान-
-कृषकों को व्यापारियों, कंपनियों, प्रसंस्करण इकाइयों, निर्यातकों से सीधे जोड़ना। कृषि करार के माध्यम से बुवाई से पूर्व ही किसान को उपज के दाम निर्धारित करना। बुवाई से पूर्व किसान को मूल्य का आश्वासन। दाम बढ़ने पर न्यूनतम मूल्य के साथ अतिरिक्त लाभ।
- बाजार की अनिश्चितता से कृषकों को बचाना। मूल्य पूर्व में ही तय हो जाने से बाजार में कीमतों में आने वाले उतार-चढ़ाव का प्रतिकूल प्रभाव किसान पर नहीं पड़ेगा।
- किसानों तक अत्याधुनिक कृषि प्रौद्योगिकी, कृषि उपकरण एवं उन्नत खाद-बीज पहुंचाना।
- विपणन की लागत कम करके किसानों की आय में वृद्धि सुनिश्चित करना।
- किसी भी विवाद की स्थिति में उसका निपटारा 30 दिवस में स्थानीय स्तर पर करना।
- कृषि क्षेत्र में शोध एवं नई तकनीकी को बढ़ावा देना।
शंकाए एवं समाधान-
शंकाए-
- अनुबंधित कृषि समझौते में किसानों का पक्ष कमजोर होगा,वे कीमत निर्धारित नहीं कर पाएंगे
- छोटे किसान कैसे कांट्रेक्ट फार्मिंग कर पाएंगे, प्रायोजक उनसे परहेज कर सकते हैं।
- किसान इस नए सिस्टम से परेशान होगा।
- विवाद की स्थिति में बड़ी कंपनियों को लाभ होगा।
समाधान-
- किसान को अनुंबध में पूर्ण स्वतंत्रता रहेगी, वह अपनी इच्छा के अनुरूप दाम तय कर उपज बेचेगा। उन्हें अधिक से अधिक 3 दिन के भीतर भुगतान प्राप्त होगा।
- देश में 10 हजार कृषक उत्पादक समूह निर्मित किए जा रहे हैं। ये एफपीओ छोटे किसानों को जोड़कर उनकी फसल को बाजार में उचित लाभ दिलाने की दिशा में कार्य करेंगे।
- अनुबंध के बाद किसान को व्यापारियों के चक्कर काटने की आवश्यकता नहीं होगी। खरीदार उपभोक्ता उसके खेत से ही उपज लेकर जा सकेगा।
- विवाद की स्थिति में कोर्ट-कचहरी के चक्कर काटने की आवश्यक्ता नहीं होगी। स्थानीय स्तर पर ही विवाद के निपटाने की व्यवस्था रहेगी।
आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक -2020
मुख्य प्रावधान-
- अनाज, दलहन, तिलहन, प्याज एवं आलू आदि को अत्यावश्यक वस्तु की सूची से हटाना।
- अपवाद की स्थिति, जिसमें कि 50 प्रतिशत से ज्यादा मूल्य वृद्धि शामिल है, को छोड़कर इन उत्पादों के संग्रह की सीमा तय नहीं की जाएगी।
- इस प्रावधान से कृषि क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा मिलेगा।
- कीमतों में स्थिरता आएगी, स्वस्थ प्रतिस्पर्धा शुरू होगी।
- देश में कृषि उत्पादों के भंडारण एवं प्रसंस्करण की क्षमता में वृद्धि होगी। भंडारण क्षमता वृद्धि से किसान अपनी उपज सुरक्षित रख सकेगा एवं उचित समय आने पर बेच पाएगा।
शंकाएं एवं समाधान-
शंकाएं -
- बड़ी कंपनियां आवश्यक वस्तुओं का भंडारण करेगी। उनका हस्तक्षेप बढ़ेगा।
- कालाबाजारी बढ़ सकती है।
समाधान-
- निजी निवेशकों को उनके व्यापार के परिचालन में अत्यधिक नियामक हस्तक्षेपों की आशंका दूर हो जाएगी। इससे कृषि क्षेत्र में निजी निवेश बढ़ेगा।
- कोल्ड स्टोरेज एवं खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में निजी निवेश बढ़ने से किसानों को बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर मिल पाएगा।
- फसल खराब होने की आंशका से किसान दूर होगा। वह आलू-प्याज जैसी फसलें ज्यादा निश्चितता से उगा पाएगा।
- एक सीमा से ज्यादा कीमते बढ़ने पर सरकार के पास पूर्व की तरह नियंत्रण की सभी शक्तियां मौजूद। इंस्पेक्टर राज ख़त्म होगा, भ्रष्टाचार समाप्त होगा।