देश में कृषि सुधार के लिए दो महत्वपूर्ण विधेयक लोक सभा से पारित

“कृषक उपज व्‍यापार और वाणिज्‍य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, 2020’’ तथा 


कृषक (सशक्‍तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्‍वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक, 2020


अब किसान अपनी मर्जी का मालिक- केंद्रीय कृषि मंत्री श्री तोमर


किसान को उत्पाद सीधे बेचने की आजादी, एमएसपी जारी रहेगी 


कोई टैक्स न लगने से किसानों को ज्यादा दाम और लोगों को भी कम कीमत पर मिलेगी वस्तुएं


निजी निवेश से होगा कृषि का तेज विकास, रोजगार बढ़ेंगे, अर्थव्यवस्था मजबूत होगी


नई दिल्ली। देश में कृषि सुधार के लिए दो महत्वपूर्ण विधेयक लोक सभा से पारित हो गए हैं। ये हैं- “कृषक उपज व्‍यापार और वाणिज्‍य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, 2020’’ तथा “कृषक (सशक्‍तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्‍वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक,2020’’। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्‍याण, ग्रामीण विकास तथा पंचायती राज मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि इनके माध्यम से किसानों को कानूनी बंधनों से आजादी मिलेगी। उन्होंने पुनः स्पष्ट किया है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को बरकरार रखा जाएगा तथा राज्यों के अधिनियम के अंतर्गत संचालित मंडियां भी राज्य सरकारों के अनुसार चलती रहेगी। श्री तोमर ने कहा कि विधेयकों से कृषि क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन आएगा, किसानों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव आएगा।खेती में निजी निवेश से होने से तेज विकास होगा तथा रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, कृषि क्षेत्र की अर्थव्यवस्था मजबूत होने से देश की आर्थिक स्थिति और सुदृढ़ होगी।


कोविड-19 की परिस्थितियों के कारण, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में गत 5 जून को तत्संबंधी अध्यादेश स्वीकृत किए थे। इन अध्यादेशों को विधेयक के रूप में लोक सभा में प्रतिस्‍थापित करने के लिए केंद्रीय मंत्री श्री तोमर ने प्रस्ताव रखे थे, जिन पर विस्तृत चर्चा के बाद लोक सभा ने इन्हें आज पारित कर दिया। 


श्री तोमर ने कहा कि विधेयक से किसानों को विपणन के विकल्प मिलेंगे, जिससे वे सशक्त बनेंगे। स्वामीनाथन समिति की रिपोर्ट अपने शासनकाल में लागू नहीं करने वाली कांग्रेस ने भ्रम फैलाने की कोशिश की कि एमएसपी पर उपार्जन खत्म हो जाएगा,जो पूर्णतः असत्य है। कांग्रेस ने तो अपने घोषणापत्र पर ही अमल नहीं किया। मोदीजी ने किसानों को आय समर्थन के लिए पीएम-किसान स्कीम लागू की। श्री तोमर ने कहा- किसानों के पास मंडी में जाकर लाइसेंसी व्यापारियों को ही अपनी उपज बेचने की विवशता क्यों, अब किसान अपनी मर्जी का मालिक होगा। करार अधिनियम से कृषक सशक्त होगा व समान स्तर पर एमएनसी, बड़े व्यापारी आदि से करार कर सकेगा तथा सरकार उसके हितों को संरक्षित करेगी। किसानों को कोर्ट-कचहरी के चक्कर नहीं लगाना पड़ेंगे, तय समयावधि में विवाद का निपटारा एवं किसान को भुगतान सुनिश्चित होगा। श्री तोमर ने कहा कि किसान हमेशा जंजीरों में जकड़ा रहा, जिसके कारण खेती कभी उसकी पसंद का प्रोफेशन नहीं बनी, अब खेती करना और लाभदायक होगा। निवेश बढ़ने से जो अनाज पहले खराब हो जाता था, अब नहीं होगा। उपभोक्ताओं को भी खेत/किसान से सीधे उत्पाद खरीदने की आजादी मिलेगी। मंडी के बाहर टैक्स नहीं लगने से किसानों को ज्यादा दाम मिलेगा व उपभोक्ता को भी कम कीमत पर वस्तुएं मिलेगी।


श्री तोमर ने कहा कि हमारी सरकार किसानों की आय बढ़ाने तथा सदैव उनके सामाजिक एवं आर्थिक सशक्‍तिकरण के लिए कार्य करने पर जोर देती रही है। सरकार ने कृषि क्षेत्र के कल्‍याण के लिए अनेक पहल की हैं। कृषि क्षेत्र के बजट आवंटन में काफी वृद्धि की गई है। वर्ष 2018-19 के दौरान कृषि क्षेत्र के लिए आवंटन 46,700 करोड़ रूपए था। कृषि क्षेत्र के लिए वर्ष 2019-20 के दौरान 1,30,485.21 करोड़ रू. का परिव्‍यय आवंटित किया गया, जो अपने आप में एक रिकार्ड वृद्धि है। वर्ष 2020-21 के लिए आवंटन और भी वृद्धि के साथ 1,34,399.77 करोड़ रू. किया गया है। 


कृषि क्षेत्र की प्रगति बताते हुए श्री तोमर ने कहा कि खाद्यान्‍नों के उत्‍पादन संबंधी अंतिम अनुमानों के अनुसार, भारत में वर्ष 2018-19 के दौरान 285.20 मिलियन टन उत्‍पादन हुआ तथा वर्ष 2019-20 के चौथे अग्रिम अनुमानों के अनुसार, अनुमानित उत्‍पादन 296.65 मिलियन टन है। वर्ष 2019-20 के चौथे अग्रिम अनुमानों के अनुसार, खाद्यान्‍नों का खरीफ फसलों का बुवाई क्षेत्र 1085.65 लाख हैक्‍टेयर है एवं रबी फसलों का कुल बुवाई क्षेत्र 646.74 लाख हैक्‍टेयर है। 11 सितंबर 2020 तक खरीफ फसलों की बुवाई 1104.54 लाख हैक्‍टेयर में हो चुकी है, जबकि गत वर्ष इस अवधि तक बुवाई क्षेत्र 1045.18 लाख हैक्टेयर था। इस तरह वर्तमान में, बुवाई क्षेत्र में 59.36 लाख हैक्टे. की बढ़ोतरी हुई है।


श्री तोमर ने बताया कि उत्‍पादन लागत का न्‍यूनतम डेढ़ गुना समर्थन मूल्य (एमएसपी) निर्धारित करने के लिए केंद्रीय बजट वर्ष 2018-19 में की गई घोषणा के अनुसरण में, सरकार ने वर्ष 2018-19 से सभी अधिदेशित फसलों की एमएसपी में वृद्धि की थी, जिसमें अखिल भारतीय औसत उत्‍पादन लागत के कम से कम 50 प्रतिशत लाभ की व्‍यवस्‍था है। मोटे अनाज, दलहन एवं खाद्य तेलों की एमएसपी उच्‍चतर स्‍तर पर निर्धारित की गई है ताकि किसानों को और अधिक दलहन, मोटे अनाज एवं खाद्य तेलों के उत्‍पादन के लिए प्रोत्‍साहित किया जा सकें। इससे अधिकांश फसलों की बुवाई में महत्‍वपूर्ण वृद्धि देखी गई है। किसानों को दलहन एवं तिलहन की खरीद के लिए पिछले वर्ष में किए गए एमएसपी भुगतान 8,715 करोड़ रू. की तुलना में इस वर्ष कुल 14,120 करोड़ रू. का भुगतान किया गया, जिसमें 62% की वृद्धि हुई हैं। खरीदे गए दलहन की मात्रा में ढ़ाई गुना वृद्धि हुई, जिसमें पिछले वर्ष रबी सीजन के 8.7 एलएमटी की तुलना में इस वर्ष लॉकडाउन के होने के बाद भी 21.55 एलएमटी खरीद की गई। 


इसी प्रकार, रबी-2020 के सीजन की 8 अगस्त 2020 तक 3.9 करोड़ एमटी गेहूं की खरीद की गई, जिसके लिए किसानों को 75,000 करोड़ रू. एमएसपी का भुगतान किया गया जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि के दौरान 3.4 करोड़ एमटी गेहूं की खरीद एमएसपी पर 63,000 करोड़ रू. में की गई थी। इसके अतिरिक्‍त 1.32 करोड़ एमटी धान की खरीद 24,000 करोड़ रू. का भुगतान करके की गई, जबकि पिछले वर्ष 0.86 करोड़ एमटी धान की खरीद 14,800 करोड़ रू. के एमएसपी मूल्‍य में की गई थी। रबी सीजन में 8 अगस्त 2020 तक गेहूं, धान, दलहन एवं तिलहन की कुल एमएसपी 1,13,290 करोड़ रू. का भुगतान किया गया जबकि पिछले वर्ष 86,805 करोड़ रू. एमएसपी का भुगतान किया गया था। इस प्रकार, इस वर्ष 31% ज्यादा एमएसपी का भुगतान किया गया। 


केंद्रीय कृषि मंत्री ने बताया- कृषि क्षेत्र को प्रोत्‍साहित करने पर जोर देने व व्‍यवस्‍थित समन्‍वय के फलस्‍वरूप पिछले वर्ष की ग्रीष्‍मकालीन/जायद सीजन के 41.31 लाख हैक्‍टेयर बुवाई क्षेत्र की तुलना में इस वर्ष बुवाई क्षेत्र बढ़कर 57.07 लाख हैक्टेयर हो गया। कोविड-19 से हमारे देश सहित पूरी दुनिया के समक्ष कड़ी चुनौतियां आई हैं, तथापि भारत में कृषि एक ऐसा क्षेत्र है जो हुई क्षति की रिकवरी के लिए देश की सहायता कर रहा है। यह सरकार का ‘’आत्‍मनिर्भर भारत की संकल्‍पना’’ तथा भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था को आत्‍मनिर्भर बनाने की दिशा में एक सकारात्‍मक कदम है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी देश में हर क्षेत्र में पारदर्शिता ला रहे हैं, ताकि बिचौलिये और भ्रष्टाचार का खात्मा हो सकें।


श्री तोमर ने बताया कि कृषक उपज व्‍यापार और वाणिज्‍य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक एक इको-सिस्टम बनाएगा। इससे किसानों को अपनी पसंद के अनुसार उपज की बिक्री-खरीद की स्वतंत्रता होगी। वैकल्पिक व्‍यापार चैनल उपलब्ध होने से किसानों को लाभकारी मूल्य मिलेंगे, अंतरराज्‍यीय व राज्‍य के भीतर भी व्यापार सरल-सुगम होगा।


प्रमुख लाभ: 


कृषि क्षेत्र में उपज खरीदने-बेचने के लिए किसानों व व्‍यापारियों को “अवसर की स्‍वतंत्रता”


लेन-देन की लागत में कमी, 


मंडियों के अतिरिक्‍त व्यापार क्षेत्र में फार्मगेट, शीतगृहों, वेयरहाउसों, प्रसंस्‍करण यूनिटों पर व्‍यापार के लिए अतिरिक्‍त चैनलों का सृजन


किसानों के साथ प्रोसेसर्स, निर्यातकों, संगठित रिटेलरों का एकीकरण, ताकि मध्‍स्‍थता में कमी आएं


देश में प्रतिस्‍पर्धी डिजिटल व्‍यापार का माध्‍यम रहेगा, पूरी पारदर्शिता से होगा काम


अंततः किसानों द्वारा लाभकारी मूल्य प्राप्त करना ही उद्देश्य ताकि उनकी आय में सुधार हो सकें।


किसानों के हितों का संरक्षण-बिल में, किसानों के हितों की रक्षा के लिए पर्याप्त व्यवस्था का प्रावधान है। भुगतान सुनिश्चित करने हेतु प्रावधान है कि देय भुगतान राशि के उल्लेख सहित डिलीवरी रसीद उसी दिन किसानों को दी जाएं। मूल्य के संबंध में व्यापारियों के साथ बातचीत करने के लिए किसानों को सशक्त बनाने हेतु प्रावधान है कि केंद्र सरकार, किसी भी केंद्रीय संगठन के माध्यम से, किसानों की उपज के लिए मूल्य जानकारी और मंडी आसूचना प्रणाली विकसित करेगी। कोई विवाद होने पर निपटाने के लिए बोर्ड गठित किया जाएगा, जो 30 दिनों के भीतर समाधान करेगा। इस विधेयक का उद्देश्‍य ढुलाई लागत, मंडियों में उत्‍पादों की बिक्री करते समय प्रत्‍यक्ष अथवा अप्रत्‍यक्ष रूप से लिए गए विपणन शुल्‍कों का भार कम करना तथा फसलोपरांत नुकसान को कम करने में मदद करना है। किसानों को उपज की बिक्री करने के लिए पूरी स्‍वतंत्रता रहेगी।


श्री तोमर ने बताया कि कृषक (सशक्‍तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्‍वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक में कृषि करारों पर राष्ट्रीय फ्रेमवर्क का प्रावधान किया गया है, जो पारस्परिक रूप से सहमत लाभकारी मूल्‍य फ्रेमवर्क पर भावी कृषि उत्‍पादों की बिक्री व फार्म सेवाओं के लिए कृषि बिजनेस फर्मों, प्रोसेसर्स, एग्रीगेटर्स, थोक विक्रेताओं, बड़े खुदरा विक्रेताओं एवं निर्यातकों के साथ किसानों को जुड़ने के लिए सशक्‍त व संरक्षित करता है। राष्ट्रीय कृषि नीति में परिकल्पना की गई है कि "निजी क्षेत्र की भागीदारी को फार्मिंग एग्रीमेंट की व्यवस्था के माध्यम से बढ़ावा दिया जाएगा ताकि उच्च प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, पूंजी प्रवाह व उत्पादित फसलों विशेषकर तिलहन, कपास व बागवानी के लिए सुनिश्चित बाजार उपलब्ध कराया जा सकें।" इसकी मुख्य विशेषताएं अनुबंधित किसानों को गुणवत्तापूर्ण बीज की आपूर्ति, सुनिश्चित तकनीकी सहायता, फसल स्वास्थ्य की निगरानी,ऋण की सुविधा, फसल बीमा की सुविधा उपलब्ध कराना हैं। 


प्रमुख लाभ:


रिसर्च एंड डेवलपमेंट (आर एंड डी) समर्थन


उच्च और आधुनिक तकनीकी इनपुट


अन्य स्थानीय एजेंसियों के साथ साझेदारी में मदद


अनुबंधित किसानों को सभी प्रकार के कृषि उपकरणों की सुविधाजनक आपूर्ति


क्रेडिट या नकद पर समय से और गुणवत्ता वाले कृषि आदानों की आपूर्ति


शीघ्र वितरण/प्रत्येक व्यक्तिगत अनुबंधित किसान से परिपक्व उपज की खरीद


अनुबंधित किसान को नियमित और समय पर भुगतान


सही लॉजिस्टिक सिस्टम और वैश्विक विपणन मानकों का रखरखाव।


किसानों के हितों का संरक्षण- देश में 86 प्रतिशत छोटे किसान हैं, जिन्हें अपनी कम मात्रा की उपज को बाजारों में ले जाने और उसका अच्छा मूल्य प्राप्त करने में कठिनाई होती है। आमतौर पर, अपने आर्थिक हितों की रक्षा के लिए वाहन क्षमता के अनुरूप पर्याप्त वजन न होने व बातचीत क्षमता की कमी के कारण किसानों को परिवहन लागत के लिए ज्यादा पेमेंट करना पड़ता है। ऐसी कठिनाइयों से किसानों को बचाते हुए अब खेत से उपज की गुणवत्ता जांच, ग्रेडिंग, बैगिंग व परिवहन की सुविधा मिल सकेगी। किसी भी प्रकार की वित्तीय धोखाधड़ी से बचने के लिए किसानों को उनकी उपज के गुणवत्ता आधारित मूल्य के रूप में अनुबंधित भुगतान किया जाता है। कृषि उपज के लिए करारों को बढ़ावा देने से इनकी उच्च गुणवत्ता तथा निर्धारित आमदनी की प्रक्रिया मजबूत होती है, जिसका मुख्य उद्देश्य विभिन्न चरणों में कृषि को जोखिम से बचाना है। ये करार उच्च मूल्य वाली कृषि उपज के उत्पादन और प्रसंस्करण के लिए उद्यमियों द्वारा निवेश को बढ़ाने तथा निर्यात को बढ़ावा देने में मददगार होंगे। कृषि समझौते के तहत विवाद होने पर सुलह व विवाद निपटान तंत्र भी काम करेगा।


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