स्वास्थ्य सचिव ने की कोरोना संकट झेल रहे 11 म्युनिसिपल अफसरों से की बात

महाराष्ट्र, तमिलनाडु, गुजरात, दिल्ली, एमपी आदि में हैं कोरोना के 70 फीसदी मामले 

 

नई दिल्ली। स्वास्थ्य सचिव प्रीति सूदन और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय में ओएसडी राजेश भूषण ने स्वास्थ्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ वीडियो कांफ्रेंङ्क्षसग के माध्यम से सोमवार को प्रधान स्वास्थ्य सचिवों, शहरी विकास सचिवों, निगम आयुक्तों, मिशन निदेशकों (एनएचएम) और उन 11 म्युनिसिपल क्षेत्रों के अधिकारियों के साथ एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की, जिनके यहां कोविड-19 के मामलों का अधिक बोझ है। इसमें स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अपर सचिव कामरान रिज़वी ने भी भाग लिया। महाराष्ट्र, तमिलनाडु, गुजरात, दिल्ली, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, राजस्थान आदि 11 ऐसे म्युनिसिपल क्षेत्र हैं, जो भारत में सक्रिय 70 प्रतिशत मामलों के लिए उत्तरदायी हैं।

 

बैठक में कुल पुष्ट मामलों, मृत्यु दर, मामलों की संख्या दोगुना होने में लगने वाले समय, प्रति मिलियन परीक्षण और पुष्टि के प्रतिशत के संबंध में केस ट्रजेक्टरी को रेखांकित करने के लिए एक प्रस्तुति पेश की गई। यह बताया गया कि बड़ी चुनौती उन निगमों में है, जहां कम समय में मामलों की संख्या दोगुना हो रही है। मृत्यु दर अधिक है और पुष्ट मामलों की दर राष्ट्रीय औसत से अधिक है। उन्हें कंटेनमेंट और बफर जोन की मैपिंग, कंटेनमेंट जोन में अधिदेशित पेरिमटर कंट्रोल, घर-घर निगरानी के जरिये सक्रिय मामलों की तलाश, सम्पर्क में आए लोगों का पता लगाना, टेस्टिंग प्रोटोकॉल, सक्रिय मामलों के नैदानिक प्रबंधन जैसी गतिविधियों, बफर जोन में निगरानी की गतिविधियों जैसे एसएआरआई/ आईएलआई मामलों की निगरानी, सामाजिक दूरी सुनिश्चित करने, हाथों की सफाई को बढ़ावा देने आदि के दौरान गौर किए जाने वाले कारकों के बारे में जानकारी दी गई। शहरी क्षेत्रों में कोविड-19 प्रबंधन की दिशा में पुराने शहरों, प्रवासी श्रमिकों के शिविरों/ समूहों के साथ-साथ अन्य उच्च घनत्व वाले इलाकों में उच्च सतर्कता और निगरानी बनाए रखना महत्वपूर्ण कदम हैं।​​

 

यह इंगित किया गया कि उच्च जोखिम वाली और असुरक्षित आबादी और समूहों की सक्रिय जांच के माध्यम से रोकथाम और मृत्यु दर में कमी लाने के लिए भर्ती किए गए रोगियों के प्रभावी और मजबूत नैदानिक प्रबंधन पर ध्यान देने की आवश्यकता है। जहां एक ओर अनेक ने 24&7 राज्य नियंत्रण कक्षों का संचालन किया है, अन्य क्षेत्र भी उनका अनुसरण कर सकते हैं और ऐसी इकाइयां शुरू कर सकते हैं जो न केवल कोविड-19 के प्रबंधन के संबंध में विभिन्न सुविधाओं / सेवाओं के लिए लोगों को सहायता प्रदान करेंगी, बल्कि उनके पास चौबीसों घंटे सहायता और नैदानिक मामलों में सलाह देने के लिए डोमेन विशेषज्ञों और डॉक्टरों का एक पैनल भी होगा, जो मृत्यु दर में कमी लाने में प्रभावी रूप से योगदान दे सकेगा।

 

बैठक में इस ओर संकेत किया गया कि कुछ म्युनिसिपल क्षेत्रों में मामलों की शीघ्र पहचान, समय पर नैदानिक प्रबंधन और मृत्यु दर में कमी सुनिश्चित करने के लिए परीक्षणों की रफ्तार बढ़ाने की आवश्यकता है। उन्हें अगले दो महीनों के लिए तैयारी सुनिश्चित करने के लिए ऑक्सीजन, वेंटिलेटर और आईसीयू बिस्तरों के साथ आइसोलेशन बिस्तरों पर विशेष ध्यान देने सहित स्वास्थ्य से संबंधित बुनियादी सुविधाओं को तैयार करने पर गौर करने की आवश्यकता है। जिन अन्य मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है, उनमें- नमूने लेने में देरी को दूर करने के लिए सरकारी और निजी प्रयोगशालाओं के साथ सक्रिय समन्वय बनाना, स्वास्थ्य/ बिस्तर की क्षमता बढ़ाने, अपशिष्ट  निपटान और पोजिटिव क्षेत्रों के कीटाणु शोधन के लिए निजी अस्पतालों के साथ साझेदारी, प्रवासी मजदूरों के लिए शिविरों का प्रबंधन, रोगियों और चिकित्सा पेशेवरों को कलंकित करने जैसे मुद्दों के बारे में स्थानीय भाषाओं में जागरूकता फैलाना, जागरूकता और विश्वास बहाल करने के उपायों के लिए निगरानी टीमों के साथ समुदाय के नेताओं, युवा समूहों, गैर-सरकारी संगठनों और स्वयं सहायता समूहों को सक्रिय रूप से शामिल करना शामिल है।

 

कोविड-19 मामलों के प्रबंधन के लिए नगर निगमों द्वारा किए गए उपायों और सर्वोत्तम प्रथाओं के बारे में भी चर्चा की गई। मुंबई नगर निगम के आयुक्त ने स्वास्थ्य की बुनियादी सुविधाओं जैसे आईसीयू बेड/ ऑक्सीजन बेड आदि के लिए निजी अस्पतालों और नगरपालिका अधिकारियों के बीच निकट सहयोग स्थापित होने के बारे में जानकारी दी। वे जल्द ही एक ऑनलाइन पोर्टल को भी सार्वजनिक करेंगे जिसमें प्रत्येक बिस्तर के लिए विशिष्ट आईडी नंबर के साथ बिस्तर की उपलब्धता प्रदर्शित की जाएगी और जीपीएस समर्थित ऑनलाइन एम्बुलेंस ट्रैकिंग सिस्टम स्थापित किया जाएगा। इंदौर के अधिकारियों ने कॉन्टेक्ट  ट्रेसिंग और घर-घर के सक्रिय सर्वेक्षण पर ध्यान केंद्रित किया है। उन्होंने 'गली पेट्रोलिंग टीम्सÓ का गठन किया है, जिनमें समुदाय के स्वयं सेवकों और सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारियों को शामिल किया है, जो कंटेनमेंट जोन्स में विश्वास कायम करने के उपायों में सुधार लाने, सक्रिय निगरानी और आवश्यक वस्तुओं के प्रावधान में सहायता कर रहे हैं।

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