लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को अपना बताकर नेपाल ने खड़ा किया विवाद
- कोरोना संकट के बाद बातचीत से हल किया जाएगा मसला : भारत
नई दिल्ली। भारत और नेपाल के रिश्ते काफी प्रचीन है। दोनों देशों की संस्कृति और सभ्यता एक सी है। दोनों देशों के बीच आपसी रिश्ते का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इनके नागरिकों को एक-दूसरे देश में आने-जाने के लिए पासपोट और वीजा की जरूरत नहीं होती है। लेकिन, अब नेपाल ने अपने नक्शे में लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को अपना दिखाकर विवाद को जन्म दे दिया है। हालांकि ये सभी स्थान भारत के अभिन्न अंग हैं। इस बीच, भारत सरकार ने कहा है कि कोरोना संकट के बाद दोनों देश आपसी बातचीत से इस मसले को हल कर लेंगे।
नेपाल के भू-प्रबंधन और सुधार मंत्री पद्मा अरयाल ने नेपाल का नया नक्शा जारी किया है। इसमें नेपाल ने लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा के कुल 335 वर्ग किलोमीटर के इलाके को अपना बताया है। इससे पहले नेपाल सरकार ने ऐलान किया किया था कि वह नया नक्शा जारी कर लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को अपने क्षेत्र में शामिल करेगी। इस नक्शे को अब स्कूलों और सभी सरकारी कार्यालयों में इस्तेमाल किया जाएगा। पद्मा ने कहा कि नए नक्शे को संसद के समक्ष रखा जाएगा, ताकि उसमें किए गए संशोधनों को मंजूरी दिलाई जा सके।
नेपाल ने अपने नए नक्शे में लिंपियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी के अलावा गुंजी, नाभी और कुटी गांवों को भी शामिल किया है। इससे पहले नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के नेतृत्व में कैबिनेट की बैठक के दौरान इस मैप को मंजूरी दी गई थी। इसके मुताबिक, लिंपियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी को नेपाल का हिस्सा बताया था। जबकि ये इलाके भारत में आते हैं।
नेपाली कैबिनेट से नए नक्शे के प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद नेपाल की राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने कहा था कि लिंपियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी इलाके नेपाल में आते हैं। इन इलाकों को वापस पाने के लिए मजबूत कूटनीतिक कदम उठाए जाएंगे। एक दिन पहे प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने संसद में कहा था कि कालापानी, लिंपियाधुरा और लिपुलेख हमारा है और हम उसे वापस लेकर रहेंगे।
दरअसल, पिछले दिनों धारचूला से लिपुलेख तक नई रोड का रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उद्घाटन किया था। इस रोड पर काठमांडू ने आपत्ति जताई है। इस रोड से कैलाश मानसरोवर जाने वाले तीर्थयात्रियों की दूरी कम हो जाएगी। नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ग्यावली ने इस मामले में विरोध जताने के लिए भारत के राजदूत विनय मोहन क्वात्रा को तलब किया था। जवाब में भारत ने कहा था कि उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में हाल ही बनी रोड पूरी तरह भारत के इलाके में हैं। उधर, ग्यावली ने एक ट्वीट में जानकारी दी कि कैबिनेट ने 7 प्रान्त, 77 जिलों और 753 स्थानीय निकायों वाले नेपाल का नक्शा प्रकाशित करने का निर्णय लिया है। इसमें लिंपियाधुरा, लिपुलेक और कालापानी भी होंगे।