कोविड-19 के कारण उत्पन्न प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद बेहतर होगा खरीफ सीजन- श्री तोमर

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार
देश में अब खरीफ सीजन की तैयारी, केंद्रीय कृषि मंत्रालय कर रहा व्यवस्थाएं 
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की खरीफ मौसम के लिए उत्तम पद्धतियों पर कृषि सलाह जारी
इस वर्ष मानसून सामान्य रहने का पूर्वानुमान कृषि और कृषकों के लिए शुभ होने की आशा
प्रधानमंत्रीजी के मार्गदर्शन में करोड़ों किसानों को तमाम योजनाओं के माध्यम से दी गई राहत
नई दिल्ली। देश में अब खरीफ सीजन की तैयारियां जोर पकड़ रही है। केंद्रीय कृषि एवं 
किसान कल्याण मंत्रालय इस संबंध में सभी व्यवस्थाएं कर रहा है। विभागीय मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह 
तोमर ने विश्वास व्यक्त किया है कि कोविड-19 के कारण उत्पन्न हुई प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद 
खरीफ सीजन में भी अन्नदाताओं की कड़ी मेहनत रंग लाएगी और इस सीजन की फसलें भी बेहतर 
होगी। श्री तोमर गत माह सभी राज्यों के साथ खरीफ सम्मेलन भी कर चुके है, वहीं भारतीय कृषि 
अनुसंधान परिषद ने खरीफ मौसम के लिए उत्तम पद्धतियों पर कृषि सलाह जारी की है।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास तथा पंचायती राज मंत्री श्री नरेंद्र सिंह 
तोमर ने लाकडाउन के दौरान भारत सरकार के दिशा-निर्देशों व मार्गदर्शन के कारण और राज्य 
सरकारों द्वारा इनका पालन किए जाने से  खेती-किसानी की गतिविधियां सुचारू रूप से चल रही है। 
कृषि उपज की आवाजाही में कहीं-कोई बाधा नहीं है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन अनुसार, 
देश के करोड़ों किसानों को पीएम-किसान और राष्ट्रीय कृषि बाज़ार (ई-नाम) सहित अन्य तमाम 
योजनाओं के माध्यम से राहत दी गई है। साथ ही, आगामी खरीफ सीजन के लिए, स्थानीय स्तर पर 
कुछ चुनौतियों के बावजूद, बेहतर तैयारी करने में योगदान दिया गया है। 
श्री तोमर ने आशा जताई है कि गत वर्ष हुई प्रचुर वर्षा, जिससे बांधों में अच्छा जल संचयन 
हुआ और इस वर्ष मानसून सामान्य रहने का पूर्वानुमान कृषकों और कृषि के लिए शुभ होगा। भारतीय 
कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) की ओर से कृषि सलाह को जारी करते हुए उन्होंने कहा कि 
कृषकों द्वारा उत्तम पद्धतियों को अपनाया जाना उच्च उत्पादकता के लिए संसाधनों और निवेशों की 
उपयोग दक्षता बढ़ाता है, लागत में कमी लाता है तथा शुद्ध आय बढ़ाता है एवं इस तरह उच्च कृषि वृद्धि दर में योगदान करता है।


आईसीएआर के महानिदेशक डा. त्रिलोचन महापात्र के अनुसार, संस्थान की ओर से जारी कृषि सलाह में कृषकों द्वारा कृषि उत्पादकता और लाभ में बढ़ोत्तरी के लिए आगामी खरीफ में अपनाई जाने वाली उत्तम पद्धतियों में फसल, पशुपालन और मत्स्य उत्पादन प्रणालियों से संबन्धित विधियों को सम्मिलित किया गया है। आमतौर पर, देश में मानसून की 75 प्रतिशत वर्षा खरीफ मौसम के दौरान जून से सितम्बर के बीच होती है। खरीफ फसलोत्पादन का मुख्य मौसम है, जिसमें सम्पूर्ण देश में 106 
मिलियन हेक्टेयर में फसल बुवाई होती है। खाद्यान्न का उत्पादन प्रायः 130 से 140 मिलियन टन के 
बीच (वर्षा के अनुसार) होता है। 
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग द्वारा सामान्य मानसून के पूर्वानुमान की पृष्ठभूमि में, भारतीय 
कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा पूरे देश में विभिन्न कृषि पारिस्थितिकियों में प्रचलित विविध कृषि 
दशाओं में उगाई जाने वाली सभी मुख्य खरीफ फसलों के लिए कृषि सलाह जारी करने का ध्येय विगत 
फसल मौसम में हासिल की गई उत्पादकता में वृद्धि को बनाए रखना है। 
उत्तम पद्धतियों को अपनाने की अनुशंसा करते हुए संसाधनों, बीजों और पौषक तत्वों के 
दक्षतापूर्ण उपयोग और कीड़ों व बीमारियों के कारण होने वाले नुक़सानों को कम करने के लिए 
किफ़ायती उपाय अपनाने पर बल दिया गया है। दलहनों और तिलहनों के उच्च उत्पादन और 
उत्पादकता के लिए अच्छी गुणवत्ता के उन्नत बीजों को इस्तेमाल किया जाना अत्यंत महत्वपूर्ण है। 
कृषि सलाह को कृषकों और कृषक समूहों तक स्थानीय भाषा में 29 राज्यों के 718 कृषि 
विज्ञान केन्द्रों के साथ राज्यों के कृषि प्रसार विभागों, मुद्रित, इलेक्ट्रानिक, सामाजिक और डिजिटल 
माध्यमों द्वारा प्रसारित किया जाएगा। लाकडाउन के दौरान भी, गत वर्ष के खाद्यान्न पैदावार का 
भण्डारण  सुविधाजनक रहा। हमें अपने उत्पादन को और बढ़ाने की आवश्यकता है जिससे खाद्य 
उपलब्धता और इसकी पहुंच बढ़े तथा अपने खाद्यान्न भंडारण को ज्यादा  सुदृढ़-सक्षम बना सकें।   


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