आरबीआई के पैसे से होगी अर्थ व्यवस्था बुस्ट - सुभाष अग्रवाल
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नोएडा । वरिष्ठ सीए सुभाष अग्रवाल का मानना है कि आरबीआई ने सरकार को जो पैसे दिए है उससे देश की अर्थ व्यवस्था बुस्ट हो सकती है। देश में जो थोड़ी बहुत मंदी है उससे उबरने के लिए सरकार इस पैसे का इस्तेमाल कर सकती है।
एक विशेष भेंटवार्ता में सुभाष अग्रवाल ने बताया कि आरबीआई द्वारा सरकार को पैसा जारी किए जाने की आलोचना नहीं करना चाहिए। पूर्व चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर अरविंद सुब्रमण्यम भी इसका समर्थन करते थे उनका मानना था कि आरबीआई के 4 ़5 से 7 लाख करोड़ रुपए एक्स्ट्रा कैपिटल है जिसका इस्तेमाल बैंकों को रीकैपिटलाइज करने या उन्हें आर्थिक तौर पर बेहतर स्थिति में लाने के लिए करना चाहिए।
ज्ञात हो कि भारतीय रिजर्व बैंक ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को लगभग 1.76 लाख करोड़ रुपए लाभांश और सरप्लस पूंजी के तौर पर देने का फैसला किया है। इसमें से 28,000 करोड़ रुपए अंतरिम लाभांश के तौर पर सरकार को पहले ही दिए जा चुके हैं.
ये फैसला 2018 में पूर्व आरबीआई गवर्नर विमल जालान की अध्यक्षता में बनाई गई एक समिति के सिफारिशों के आधार पर किया गया है.
सुभाष अग्रवाल ने बताया कि जब अर्थव्यवस्था की रफ्तार सुस्त हो रही है ऐसे में सरकार के लिए आरबीआई का ये फैसला काफी राहत देने वाला होगा. बैंको के पास पैसा आने से मार्केट में लिक्विडिटी आएगी। लोगों को विभिन्न प्रकार के लोन मुहैया कराने में बैंकेां को सहुलियत होगी।
एक प्रश्न के उत्तर में सीए श्री अग्रवाल ने बताया कि आटों सेक्टर में मंदी का असर इसलिए दिख रहा है क्योंकि इस सेक्टर में सेचुरेशन आ चुका है। बड़ें छोटे शहरों में कार और स्कूटर की संख्या बेतहाशा बढ़ चुकी है। उन्होंने बताया कि पहले भी मंदी आती थी लेकिन लोगों को पता नहीं चल पाता था क्योंकि सरकारें नोट छाप कर घाटे को पूरा कर लिया करती थी।
आटो सेक्टर में मंदी के बारे में विश्व हिंदू परिषद के मनिष वर्मा का कहना है कि यह कैसी मंदी है। जावा मोटरसाइकिल की डिलिवरी में 5-8 महीने के वेटिंग चल रही है। बुलेट के चुनिंदा माडल हाथों हाथ उपलब्ध नहीं है।कीया सेलटोस ने रिकार्ड बुकिंग की है। उन्होंने बताया कि यह सब देश को बदनाम करने के लिए अंतराष्ट्ीय स्तर की साजिश जान पड़ता है।