अतिशय विनम्र सुषमा दीदी आत्म प्रशंसा से कोसों दूर रहती थी
इतनी जल्दी हम सभी को छोड़कर बैकुंठ धाम चली जाएंगी सुषमा दीदी यह किसी को विश्वास ही नहीं हो रहा है। विलक्षण प्रतिभा विराट व्यक्तित्व की धनी सुषमा जी को यूं ही राजनीति का अजातशत्रु नहीं कहा जाता है। अतिशय विनम्र , आत्म प्रशंसा से कोसों दूर रहने वाली सुषमा दीदी के साथ कई अनगिनत यादें हैं जिसे याद कर आंखें नम हो जा रही है। अपनी विनम्रता से राजनीतिक विरोधियों को भी दोस्त बना लेती थी। उनके अचानक छोड़ के चले जाने से हर आंखें नम है। उनका चार दशकों का लंबा सार्वजनिक जीवन का सफर निष्कलंक था।
1977 में हरियाणा में मंत्री बनी। मैं उस समय छात्र नेता था। उस समय हम लोग उनके बारे में जानते थे। जेपी सेनानियों के साथ उनका भावनात्मक रिश्ता रहा। बिहार को लेकर हमेशा संवेदनशील रहती। उनके साथ बिहार में संगठन को मजबूत बनाने को लेकर हमेशा चर्चाएं होती रहती थी। मुझे याद आ रहा है जब आडवाणी जी रथयात्रा लेकर निकले थे। उस दौरान सुषमा स्वराज जी भी उनके साथ थी। देर रात तक सभा को संबोधित करना। लोगों से संपर्क करना बिना थके, बिना रुके काम करते रहना। यह सब उनके व्यक्तित्व से सीखने को मिलता था। हमेशा एक मार्गदर्शक की भूमिका में रही। कभी भी उनके चेहरे पर रत्ती भर गुस्सा आज तक मैंने नहीं देखा। हम लोग आश्चर्यचकित रहते थे। मुझे सन् याद नहीं आ रहा है। एक बार वे पटना में एक रैली को संबोधित करने आई थी। वे एकाएक बेहोश हो गई डॉ सीपी ठाकुर जी सहित पटना के वरीय डॉक्टरों की टीम उन्हें देखने आए। उनका ब्लड प्रेशर हाई हो गया था। जब कुछ समय के बाद उन्हें होश आया रात काफी हो गई थी तो अपने पास खड़े कार्यकर्ताओं को वरीय नेताओं को उन्होंने घर जाने को यह बोलते हुए कहा कि मैं बिल्कुल ठीक हूं आप सभी घर जाए यह उनकी शालीनता को, उनकी विनम्रता को दर्शाता था वह हर कार्यकर्ता की चिंता करती थी। दूसरे को दुखी देखकर वह खुद दुखी हो जाती थी। इसका सबसे बड़ा उदाहरण जब वह विदेश मंत्री के रूप में काम कर रही थी तो अनगिनत लोगों के दुखों को हरने का उन्होंने काम किया। विश्व के किसी भी देश में मजदूरी का काम करने वाले शख्स के घर वाले भी उन्हें अपना दुख बता सकते थे। पहले कहा जाता था कि विदेश मंत्रालय केवल बड़े लोगों के लिए है। इस मिथक को भी उन्होंने तोड़ा। उन्होंने आम जनता के लिए विदेश मंत्रालय का द्वार खोल दिया था। मुझे याद आ रहा है कि बक्सर संसदीय क्षेत्र के दो निवासी खाड़ी एवं अन्य देशों में फंसे थे। इस संदर्भ में जब मैंने उन्हें अवगत कराया तो त्वरित उन्होंने कार्रवाई की फिर इसकी सूचना व्यक्तिगत रूप से मुझे भी दी। यह उनकी खासियत थी वे कार्य संपन्न होने एवं कार्य प्रगति के बारे में निश्चित तौर पर अवगत कराती थी। विधायक के के रूप में जब मैं बिहार में था। भाजपा विधानमंडल के नेता के रूप में काम कर रहा था तो निरंतर उनका मार्गदर्शन परामर्श मिलता रहा। सांसद बनने के उपरांत जब दिल्ली आया तो उनका निरंतर सहयोग मिला। केंद्र में राज्य मंत्री बनने के बाद मेरा सौभाग्य था कि मैं उनके मिनिस्ट्रियल ग्रुप में था। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के आदेश पर जब सभी मंत्रियों को दूसरे देश भारत के साथ संबंध को प्रगाढ़ बनाने के लिए भेजे जा रहे थे तब सुषमा दीदी ने मुझे तुवालु देश भेजा था। इस दौरान उन्होंने कहा था कि भारतीय सभ्यता और संस्कृति हमेशा जोड़ने का काम करती है। इस कड़ी में छोटा देश हो या बड़ा सभी को भारत की विदेश नीति यहां की संस्कृति सभ्यता से अवगत कराना है। उन्हें भारत के सांस्कृतिक रूप से पास लाने का प्रयास करना है। उन्हीं की प्रेरणा से मैं न्यूजीलैंड, फिजी, मॉरीशस एवं हांगकांग की भी यात्रा की। भारतीय संस्कार, भारतीय संस्कृति,भारतीय सभ्यता की जड़े किस तरह मजबूत हो इसका वे हमेशा चिंतन मनन और प्रयास करती रहती थी। उन्होंने एक बार मुझसे कहा कि भागलपुर से आते हैं। आपने आज तक कुछ मांगा नहीं आपको मैं बिन मांगे भागलपुर में पासपोर्ट सेवा केंद्र दे रही हूं साथ ही आप के संसदीय क्षेत्र बक्सर में भी यह केंद्र खुलेगा। यह इस बात का प्रतीक है की सभी के भावनाओं का कद्र करती थी। सार्वजनिक जीवन में बिना किसी भेदभाव लोगों की सेवा करना, व्यवहार में विनम्रता लाना मैंने उनसे सीखा है। मंगलवार को दिन भर लोकसभा में रहने के उपरांत देर शाम मंत्रालय पहुंचकर विभागीय कार्य करने के उपरांत आवास लौटने के क्रम में एम्स में भर्ती होने की सूचना मिली। मैं एम्स की ओर चल पड़ा। होनी को लेकिन कुछ और मंजूर था। सुषमा दीदी ने देश का गौरव बढ़ाया उनका स्थान कोई नहीं ले सकता है। सार्वजनिक जीवन में महिला सशक्तिकरण की एक बेहतरीन उदाहरण जिससे बड़ी संख्या में लड़कियों ने प्रेरणा ली है। परमपिता परमेश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें। उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।