चपरासी से राष्ट्रपति तक सब चौकीदार ही चौकीदार

एक ऊंचे विशालकाय पेड़ पर शहद से लबालब भरा हुआ मधुमक्खियों का एक बहुत बड़ा छत्ता लटक रहा था। एक अनाड़ी और अधकचरे दिमाग वाले बच्चे के मुंह में शहद की लार टपकने लगी। उसने अपनी औकात देखे बिना ही मधुमक्खियों की चौकीदारी में सुरक्षित शहद के उस छत्ते पर एक पत्थर दे मारा। जानते हैं क्या हुआ? मधुमक्खियों के झुंड ने पत्थर मारने वाले को काट खाया और सारे शहद को पेड़ के माली चौकीदार ने अपने बर्तन में भरकर उन लोगों में बांट दिया जिनके सहयोग से इस शहद को तैयार किया गया था।


 


अब जरा वर्तमान राजनीतिक ऊठक-बैठक पर नजर डालें। एक अनाड़ी राजनीतिक नेता वंशवादी शहजादे ने देश के यशस्वी प्रधानमंत्री को ‘चोर-चौकीदार’ कहकर विकास, सुरक्षा और स्वाभिमान के शहद से भरे हुए मधुमक्खियों के विशालकाय छत्ते पर पत्थर मार दिया है। 23 मई को सारा संसार देखेगा कि ‘सबका साथ-सबका विकास’ के परिश्रमी महामंत्र से एकत्रित किया गया सारा शहद देश के चौकीदार के बर्तन में आ गिरा, जिसे सभी देशवासियों में बांट दिया जाएगा। शहजादे का क्या होगा यह बताने की आवश्यकता नहीं है।


 


वंशवादी राजनीतिक कुनबे के शहजादे ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की चौकीदारी पर सवालिया निशान लगाकर अपने ही दल के विनाश के वारंट अपने ही हाथों जारी कर दिये हैं। एक निर्मल, पवित्र और बेदाग ‘कमल’ की ओर बढ़ रहे भ्रष्ट ‘हाथ’ को भारतवासी कभी भी बर्दाश्त नहीं करेंगे। यदि नरेन्द्र मोदी भारत के चौकीदार हैं तो भारतवासी भी नरेन्द्र मोदी के चौकीदार हैं। दोनों की चौकीदारी पर संदेह करने वाले ही वास्तव में असली चोर हैं।


 


घोटालों/घपलों में कानूनी शिकंजे में फंसे हुए लोगों ने राजनीतिक शिष्टाचार और शर्म की सारी हदें पार करके देश के प्रधानमंत्री को चोर कह के 130 करोड़ भारतीयों का अपमान किया है। सत्ता की भूखी इस भ्रष्ट जुंडली ने भारतवासियों द्वारा चुने गए ईमानदार चौकीदार को चोर कहकर जहां एक ओर सारे देश के करोड़ों चौकीदारों (कर्तव्यनिष्ट नागरिकों) को कटघरे में खड़ा कर दिया है, वहीं उन्होंने अपने पांव पर स्वयं ही कुल्हाड़ी के कई प्रहार कर दिए हैं।


 


शहजादे और उसके दल के नेताओं/प्रवक्ताओं ने देश के सभी चौकीदारों :- ‘सैनिकों’, ‘पुलिसकर्मियों’, ‘न्यायाधीशों’, ‘अध्यापकों’, ‘पत्रकारों’, ‘लेखकों’, ‘मजदूरों’, ‘किसानों’, ‘धर्मगुरुओं’, ‘चिकित्सकों’, ‘इंजीनियरों’ जैसे अग्रणी रक्षकों को एक ही शब्द ‘चोर’ के शोर से लज्जित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। अब तो केन्द्र की सरकार ने लोकपाल की नियुक्ति कर के एक बहुत बड़ा चौकन्ना चौकीदार और बना दिया है। चौकीदार शब्द एक सम्मानजनक, जिम्मेदार, परिश्रम और दायित्व का परिचायक है। तभी तो करोंड़ों भारतवासी देश के चौकीदार की एक ही ललकार के पीछे खड़े होकर ऊंची आवाज में कह रहे हैं - हम भी चौकीदार हैं।


 


मुंह में चांदी का चम्मच लेकर महलों में जन्म लेने वाले शहजादे को भारत के धर्म, संस्कृति, भाषा, गौरवशाली इतिहास की तनिक भी जानकारी नहीं है। हिन्दुत्व से कोसों दूर पाश्चात्य वातावरण में संस्कारित लोग मंदिरों में जाकर कितने भी नाटक क्यों न कर लें, यह देशभक्त और धर्मपरायण भारतीयों को मूर्ख नहीं बना सकते। इनके पापों के सारे घड़े लबालब भर चुके हैं। यह सारे घड़े एक साथ ही फूटेंगे।


 


मोदी विरोधी शिशुपालों ने धर्मरक्षक अर्थात भारतरक्षक चौकीदार को मौत का सौदागर, नीच, दानव, खून की दलाली करने वाला इत्यादि 99 गालियां दे दी हैं। अब चौकीदार को चोर कहकर इन्होंने 100वीं गाली दे दी है। अब इस योगेश्वर चौकीदार के सुदर्शन चक्र से शिशुपालों (वंशवादियों) को दुनिया की कोई भी ताकत बचा नहीं सकती।


 


कुरुक्षेत्र के मैदान ए जंग में कौरवों और पांडवों की दोनों सेनाएं आमने-सामने खड़ी हो गई हैं। एक ओर सत्ता के भूखे और दिशाहीन कौरवों का जमघट (महामिलावटी गठबंधन), शहजादे तथा राजकुमारी की पिछलग्गू भीड़ और दूसरी ओर चौकन्ने चौकीदार के नेतृत्व में राष्ट्रवादी पांडवों की संगठित शक्ति है। विजय किसकी होगी यह सारा देश जानता है।


 


समाप्त।।


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