महिलाएं खुद को पहचानो:जानिए क्या हैं स्त्री प्रकृति के गुण और उन्हें कैसे जगाएं

लेखिका - डॉ कुसुम पथरिया






अपने अंदर स्त्री प्रकृति को कैसे जगाएं प्रकृति के साथ जुड़ें ,रचनात्मक रहें ,प्रतिभा का इस्तेमाल करें ,घर की सजवट करें ,भावनाओं को समझें ,ख़ुद की देखभाल करें ।

स्त्रैण शक्ति महिला के अंदर बसी शक्ति है। अपने मन, विचार और शरीर का पोषण करना भी स्त्री गुणों को जागृत करना है। सप्ताह में एक दिन ऐसा भी रखें, जब आपका कोई प्लान हो। चाहें आप शॉपिंग करें जाकर शरीर संवारें या घर पर किताबें पढ़ें। उस दिन आप वो करें, जिनकी आपको उस वक्त जरूरत महसूस हो रही हो। ऐसा करने से आप खुद को समय देकर बेहतर समझ पाएंगीं।

एक व्यक्ति के अस्तित्व की प्रकृति दो रूपों में होती है, स्त्रैण प्रकृति और पुरुष प्रकृति। ये प्रकृति जन्म से मिले लिंग के आधार पर नहीं बल्कि गुण और पहचान से जुड़ी होती है। मर्दों और स्त्रियों में इन दोनों के गुणों से ही संतुलन बनता है। पितृसत्ता से भरे समाज में स्त्री प्रकृति को कमजोरी, त्याग, सह-निर्भरता, शक्तिहीनता के रूप में देखा जाता है। वर्तमान समय में स्त्रियों के लंबे संघर्ष के बावजूद भी ये धारणा नहीं बदली है। जबकि सच ये है कि स्त्री प्रकृति इन सबसे अलग अपने अंदर की रचना शक्ति होती है। आइए जानते हैं, क्या है स्त्रैण प्रकृति और आप कैसे उसे अपने अंदर जगा सकती हैं।

स्त्रैण प्रकृति क्या है?

स्त्रैण शक्ति महिला के अंदर बसी कलात्मक और रचनात्मक शक्ति होती है। पुरुष शक्ति से अलग ये शक्ति महिलाओं को उनकी भाएच वनाओं को शांत कर बहाव के साथ बहने की प्रेरणा देती है। स्त्रैण शक्ति के पहलू इस प्रकार हैं।

पोषण,संवेदनशीलता,सहजता,सहायकता,सौम्यता,विनम्रता,सहानुभूति,स्नेह

भावनात्मक,सामाजिक दयालु

ऐसे जगाएं अपने अंदर की स्त्रैण प्रकृति को

प्रकृति के साथ जुड़ें:

स्त्रैण ऊर्जा का सबसे बड़ा सबूत है प्रकृति। ये पालन, पोषण और सुंदरता का संगम है। इस तेज रफ्तार जिंदगी से बाहर निकलकर जब आप प्रकृति से जुड़ेंगी, तब आप अनुभव करेंगी कि कैसे आपका मन और विचार शांत होते हैं। समय निकालकर किसी पार्क या गार्डन में टहलने जाएं, पक्षियों को सुने, हवा के झोंके महसूस करें, जमीन पर बैठे, नंगे पांव चलें, सितारों की ओर देखें। प्रकृति के साथ आप जितना वक्त बिताएंगी, उतना ही अपने आपको और स्त्री शक्ति को बेहतर समझ पाएंगीं।

रचनात्मक रहें

स्त्रैण प्रकृति रचनात्मक ऊर्जा और जीवन शक्ति ऊर्जा से जुड़ी है। ये प्रकृति कुछ नया बनाने के लिए हमेशा तैयार रहती है। इसे अपने अंदर जगाने के लिए हमेशा कुछ नया बनाने की कोशिश करें। कला का सहारा लें। पेंटिंग, क्राफ्टिंग, खाना बनाना, लेखन कला, बागवानी करना जैसे बहुत सारी कलाओं में से अपनी कला चुनें और उससे हमेशा कुछ नया बनाएं।अपनी प्रतिभा का सहारा लें

कला और प्रतिभा एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। नृत्य और संगीत स्त्री प्रकृति को जगाने का एक शक्तिशाली तरीका है। अपने अंदर की प्रतिभा को पहचानें और उसका अभ्यास करें। किसी शांत कोने में अपने मनपसंद गाने जोर से गाएं। अगर आपको नृत्य पसंद है, तो अपने मनपसंद गानों पर नाचें। थकने पर थोड़ा रुकें, गहरी सांस लें और फिर शुरू करें। और महसूस करें कि आपका शरीर आपसे क्या कह रहा है।

सजावट करें:

महिला के अंदर का नारीत्व अपने आसपास की सुंदरता को देखने और महसूस करने के लिए तरसता है। कोई भी ऐसा बदलाव और सजावट जिससे आपको खुशी मिले, जरूर करें। फिर चाहें वो नए कपड़े, तस्वीरें और घर का रंग ही क्यों न हो।मैं अपना घर सुगंधित और व्यवस्थित रखती हूँ।

अपनी भावनाओं को समझें

संवेदनशीलता, पूर्वाभास, दया, सहजता, कोमलता, सहजता और प्रेम जैसी भावनाओं को समझें। पुरुष प्रकृति से अलग ये गुण स्त्री प्रकृति के प्रतीक हैं और महिलाओं को ये विरासत में मिलते हैं। इसलिए अपनी इन भावनाओं को समझें और महसूस करें, लेकिन अपनी सीमाएं भी निर्धारित करें।

( परिचय: लेखिका डॉ कुसुम पथरिया समाजिक न्याय व  महिला अधिकारिता बोर्ड के महिला विंग की राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। समाज सेवा के क्षेत्र में उनका उल्लेखनीय योगदान है। )

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