अश्विनी अत्रि की फोटो प्रदर्शनी आज से प्रारम्भ
नई दिल्ली ; अश्विनी अत्रि की फोटो प्रदर्शनी का उद्घाटन प्रसिद्ध कत्थक कलाकार शोवना नारायण ने इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में किया और इसे आम जनता के लिए खोल दिया गया। इस अवसर पर बोलते हुए शोवना ने कहा “आपके इन फोटोग्राफ्स के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया।आपकी जो यह सुंदर यात्रा है और इतनी सुंदर नुमाईश जो अपने लगाई है, मुझे इसका हिस्सा बनाने के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया।“
“अच्छा मैं आप सब से पूछती हूँ क्या आप यह छोटी-छोटी चीज़ देखते हो? या बस निकल जाते हो? जैसे जो दीपशिखा है इसकी जो परछाई पड़ रही है यह हम लोग देखकर निकल जायेंगे या हमारी नज़र भी नहीं पड़ेगी। लेकिन शायद अश्विनी इसमें शेप देखेगा और रंग देखेगा और इसको अपने कैमरे में कैद कर लेगा। यह फर्क है”।
फोटोग्राफ्स पर टिपण्णी करते हुए शोवना ने कहा कि “आपकी हर एक फोटोग्राफ किसी पेंटिंग की तरह लगती है।
दूसरी बात यह आम चीज़ें है जो हम देखते है पर शायद देखते नहीं है लेकिन कुछ उससे आगे देखते है। इनकी परसेप्शन थोड़ी और आगे है, एक अलग ही दुनिया में। मुझे एक संस्कृत का श्लोक याद आ रहा है। ॐ सदाशिवाय त्रिनेत्र जागृताय पूर्णत्वम् दृश्यम रुद्राय नमः । आपने तो सम्पूर्ण दृष्टि हमें दे दी और अपने तो हमें वह सब कुछ दिखा दिया जो हमारी सोच से परसेप्शन से आगे है। उस दृष्टि को हम नमन करते है। मेरा मतलब है कि वह जो आपकी नज़रें है जो इन सब चीज़ों के आगे देखती है, अगर कहा जाए तो भगवान की जो सृष्टि है उसके जो रंग हैं जो रचना हैं और उनकी जो प्रस्तुतीकरण की है और जिस तरह से अपने हमारे सामने इसे पेश किया है। और हम इनको देख पाए और हमारा तीसरा नेत्र बनने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया। जिस तरह से अपने रंग और शेप को कैप्चर किया है मैंने इनसे पुछा कि क्या आप रंग को थोड़ा बढ़ाते हो enhance करते हो? तो इन्होने (अत्रि) कहा की नहीं यह बिलकुल नेचुरल है जैसा इन्हें देखा गया है। यह देख पाना और उसको कैमरे में कैद करना और कैद करके इसको हमेशा के लिए अनंतकालके लिए हमको पेश करना, ताकि हम लोग इसको सराह सके।“
फोटो प्रदर्शनी 'थर्ड आई' के बारे में बताते हुए अश्विनी अत्रि ने कहा कि "प्रदर्शनी के लिए 32 चित्रों का चयन किया गया है। यह प्रदर्शनी फोटोग्राफी के डिजिटल ऐरा में मेरी यात्रा की ही एक झलक है, जिसमें भगवान और इंसान की रचनाओं में रौशनी और छाया के समन्वय को केंद्रित किया गया है। जो जैसा दिख रहा है उसको वैसे ही कैमरे में बंद करने का नशा कुछ और ही है। लेकिन इस सारी कोशिश में मैं प्रकाश की दशा और गहराई से कोई खिलवाड़ नहीं करता हूँ। यह मेरी अपनी निजी आस्था है। और परिणाम यदि वास्तविक प्रकाश और छाया के समन्वय के बहुत करीब होते हैं तो वह पल मुझे बेहद संतुष्टि प्रदान करते हैं।"