शुरुआत में ही हृदयरोग की टोह देने वाला नया उपकरण
नई दिल्ली (इंडिया साइंस वायर):भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास के शोधकर्ताओं ने रक्त वाहिकाओं के स्वास्थ्य और उम्र का पता लगाने के लिए एक नया उपकरण विकसित किया है। यह एक पोर्टेबल उपकरण है, जो हृदय रोगों की शुरुआती जाँच में मददगारहो सकता है।
आर्टेंस नामक यह उपकरण ब्लड प्रेशर की निगरानी के लिए उपयोग होने वाले डिजिटल ब्लड प्रेशर मॉनिटर की तर्ज पर काम करता है। आईआईटी मद्रास में हेल्थकेयर टेक्नोलॉजी इनोवेशन सेंटर में विकसितयह कंप्यूटिंग प्लेटफॉर्म से जुड़ा गैर-इमेजिंग परीक्षण है।
हृदय रोगों की घटनाओं को देखते हुए शोधकर्ताओं का कहना कि नियमित चिकित्सीय परीक्षणोंमें स्वास्थ्य स्थिति का आकलन करने के लिएआर्टेंस का उपयोग गैर-विशेषज्ञों द्वारा भी किया जा सकता है।
ऊपरी बाँह और जाँघों पर लगाये जाने वाले प्रेशर कफ और कैरोटिड धमनी का पता लगाने के लिए गर्दन की सतह पर लगाने के लिए परीक्षण इस उपकरण मेंशामिल है। यह उपकरण कैरोटिड धमनी कठोरता, महाधमनी नाड़ी तरंग वेग और केंद्रीय रक्तचाप को मापता है।
आईआईटीमद्रास के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंगविभाग में सहायक प्रोफेसर डॉ जयराज जोसेफ कहते हैं –“इस उपकरण को विकसित करने का उद्देश्य शुरूआती चरण में ही हृदय संबंधी कमजोरियों का पता लगाना है और लोगों को मरीज बनने से रोकना है।”
जोसेफ कहते हैं –"पाँच हजार से अधिक लोगों पर इसका मूल्यांकन किया गया है, और व्यापक परीक्षण के बाद उपकरण प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और व्यावसायीकरण के लिए तैयार है।"
इस उपकरण को अमेरिका, यूरोपीय संघ और भारत में पाँच यूटिलिटी पेटेंट प्राप्त हैं, और इसके पास दस डिजाइन पेटेंट हैं, तथा विभिन्न क्षेत्रों में 28 पेटेंट प्रक्रियाधीन हैं।
आर्टेंसका व्यावसायिक उपयोग कार्डियो डायग्नोस्टिक्स में लगी चिकित्सा उपकरण कंपनियों में हो सकता है। गैर-सरकारी संगठनों एवं सामाजिक निकायों द्वारा लगाये जाने स्वास्थ्य जाँच शिविरों, फिटनेस क्षेत्र की कंपनियों में भी इस उपकरण का उपयोग हो सकता है, जहाँ लोगों के फिटनेस संकेतकों को ट्रैक करने और स्वास्थ्य परियोजनाओं को तैयार एवं लागू करने के लिए तकनीक के उपयोग पर जोर दिया जाता है।
आईआईटी मद्रास के वक्तव्य के अनुसार, पहले से ही नीदरलैंड और भारत के कई अस्पतालों के शोधकर्ताओं द्वारा आर्टेंस काउपयोग किया जा रहा है।
यह अध्ययन शोध पत्रिका जर्नल ऑफ हाइपरटेंशन में प्रकाशित किया गया है। शोधकर्ताओं में डॉ जयराज जोसेफ के अलावा पी.एम. नबील और किरण राज शामिल हैं।