सर्वधर्म सदभाव और विश्व शांति के प्रणेता बाबा विरसा सिहं




गोबिंद सदन दिल्ली के संस्थापक बाबा विरसा सिंह के आगमन दिवस पर

विश्व शांति को समर्पित तीन  दिवसीय गुरमत समागम 

मवाना: प्रत्येक वर्ष की तरह दिन बुधवार 15 मार्च  गोबिंद सदन दिल्ली  के संस्थापक बाबा विरसा सिंह के आगमन दिवस के उपलक्ष्य में  गुरमत समागम का आयोजन  गुरुद्वारा  शिव सदन  व तेजपुरी  आसिफाबाद प्रातः 9 बजे से शुरू हुआ जिसका 2बजे समापन  हुआ। इस अवसर पर गुरबाणी कीर्तन का गायन अथवा आये हुए विद्वानों ने अपने अपने विचार रखे तथा बाबा विरसा सिंह गुरु साहिबान, अवतारों के संदेशों को अपने जीवन में ढालने के लिए लोगों को प्रेरित किया तथा सामूहिक रूप में विश्व शांति के लिए प्रार्थना (अरदास ) की गई। 

  बाबा विरसा सिंह महाराज का कहना था  कि धर्म तोड़ता नहीं जोड़ता है।  गुरु नानक देव  व् गुरु गोबिंद सिंह  का सांझी वलता का सन्देश “एक पिता एकस के हम बारिक”, “अवल अल्लाह नूर उपाया कुदरत के सब बन्दे एक नूर ते सब जग उपजया कों भले कों मन्दे”, "मानस की जात सभे  एके पेहचानबो" जिन प्रेम कियो तिन ही प्रभ पायो  का सन्देश दिया।  अगर हम मानवता को विश्व भर में आने वाले संकटों से बचाना चाहते हैं और विश्व में शांति लाना चाहते हैं तो    बाबा विरसा सिंह  के सन्देश एवं सुझाये रास्तों पर चलना होगा।

 अगर हम विश्व को बचाना चाहते हैं तो  गोबिंद सदन बाबा विरसा सिंह  के संदेशों का अपने जीवन में अनुसरण करें  क्योंकि विश्व शांति का रास्ता गोबिंद सदन से हो कर ही निकलता है जहाँ सब धर्मों की सीख को एक माला में पिरोया गया है।

 जहाँ धर्म  और मजहब की दीवारें टूट जाती हैं भगवान् का घर वो भी बिना दीवारों के ये चमत्कार  अपने आप हैरान कर देने वाला है । मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, भगवान् महावीर, भगवान् बुध और चर्च सब एक साथ स्थापित हैं। एक ही छत्त के नीचे अलग अलग धर्मों के लोग एक दूसरे के धर्म स्थानों पर पाठ पूजा हवन प्रार्थना करते देख सकते हैं , इसी चमत्कार को देखने अथवा महसूस करने दुनिया भर के लोग खिंचे  चले आते हैं।  पिछले कई दशकों से होते हुए गुरु ग्रन्थ साहिब के अखंड पाठ,गुरु गोबिंद सिंह  की वाणी जाप साहिब  हनुमानचालीसा पाठ,  अखंड विशव शांन्ती हवन, और  पूजा हो निरंतर हो रही है और सब मिलकर विश्व शांति के लिए प्रार्थना करते हैं ।

गुरुद्वारा शिव सदन व तेजपुरी की शुरुआत   हस्तिनापुर की पवित्र  धरती पर चार दशक पहले माता गंगा जी के आशीर्वाद से व बाबा जी के आध्यात्मिक ज्ञान से आरम्भ हुआ और बंजर धरती को अपनी कर्मभूमि बनाकर  विकास की एक ऐतिहासिक मिसाल कायम की और जनकल्याण के लिए अपना जीवन समर्पित किया. बाबा जी हमेशा कहते थे कि अगर देश को विश्व शक्ति  बनाना है तो ईमानदारी के साथ ईश्वरीय आस्था के साथ मेहनत करना सभी देश





वासियों का कर्त्तव्य है।




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