मजदूरों के पलायन के लिए राज्य जिम्मेदार -कैट

 


 


नयी दिल्ली


 बड़ी संख्या में देश के विभिन्न राज्यों से मजदूरों के पलायन के कारण देश का व्यापार एवं उद्योग बड़े संकट में पड़ गया है और देश भर में दुकानें एवं उद्योग खुलने के बाद भी कारोबार समुचित रूप से हो नहीं पाया है ! वर्तमान में मजदूरों का पलायन व्यापार के अस्तित्व के लिए एक बड़ा विषय बन गया है ! कन्फेडरशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने मजदूरों के पलायन के लिए केंद्र के साथ विभिन्न राज्य सरकारों को जिम्मेदार ठहराया है और कहा है की यदि राज्य सरकारें केंद्र सरकार से बातचीत कर शुरू से इस मामले की महत्वता समझते हुए संभालती तो मजदूरों का पलायन नहीं होता ! मजदूरों के जाने से कारोबार बिलकुल नहीं हो रहा जिसके कारण केंद्र एवं राज्य सरकारों को राजस्व की बड़ी चपत लगेगी ! कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष  बी सी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री  प्रवीन खंडेलवाल ने इस मामले को व्यापार के लिए बेहद गंभीर बताते हुए कहा की केंद्र सरकार के आदेश के बाद देश के विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा वर्तमान लॉक डाउन की अवधि में छूट दिए जाने के बाद पिछले दो दिनों से दिल्ली सहित देश भर में व्यापारियों ने अपने प्रतिष्ठान खोले हैं किन्तु कारोबार केवल बहुत ही आंशिक रूप से ही शुरू हो पाया है लेकिन बड़ी मात्रा में मजदूरों के पलायन के कारण व्यापार एवं उद्योग को बहुत ही बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है ! उधर दूसरी तरफ कोरोना के डर के कारण ग्राहक बिलकुल भी बाजार में नहीं आ रहा है ! देश भर के व्यापारी अपने व्यापार के भविष्य को लेकर बेहद चिंतित हैं ! श्री भरतिया एवं श्री खंडेलवाल ने कहा की दिल्ली में लगभग 30 लाख मजदूर व्यापारियों के यहाँ काम करते थे और अधिकतर मजदूर दिल्ली में प्रवासी मजदूर थे ! इन मजदूरों में से लगभग 26 लाख मजदूर अपने गृह गाँवों में पलायन कर गए हैं ! लगभग 4 लाख मजदूर दिल्ली के स्थानीय निवासी हैं जिनमें से बड़ी संख्या में मजदूर व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर काम के लिए नहीं आ रहे हैं वहीँ दूसरी ओर दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में ग़ाज़ियाबाद, नॉएडा,फरीदाबाद,गुडगाँव, बल्लबगढ़, सोनीपत आदि से लगभग 4 लाख मजदूर प्रतिदिन दिल्ली आते हैं जो वर्तमान में राज्यों के बॉर्डर पर प्रतिबन्ध होने के कारण दिल्ली नहीं आ पा रहे हैं ! श्री भरतिया एवं श्री खंडेलवाल ने यह भी कहा की मजदूरों के बड़ी मात्रा में पलायन से एक विचित्र स्तिथि पैदा हो गई है ! जिन राज्यों से मजदूर पलायन कर गए हैं उन राज्यों में काम है पर मजदूर नहीं है लेकिन ठीक इसके विपरीत जिन राज्यों में मजदूर अपने घर चले गए हैं उन राज्यों में मजदूरों की बहुतायत हो जायेगी लेकिन उनके लिए काम नहीं होगा ! इससे निश्चित रूप से अर्थव्यवस्था का संतुलन बिगड़ जाएगा ! श्री भरतिया एवं श्री खंडेलवाल ने कहा की मजदूरों की कमी और ग्राहकों के बाजार में न आने के कारण से व्यापारियों का व्यापार बिलकुल न के बराबर चल रहा है और यदि यही हाल रहा तो दिल्ली के व्यापार में बहुत बड़ी कमी आएगी जिसका सीधा असर केंद्र एवं राज्य को जाने वाले जीएसटी कर संग्रह पर पड़ेगा ! श्री भरतिया एवं श्री खंडेलवाल ने कहा की लगभग यही स्तिथि देश के हर राज्य में है ! इस विस्फोटक स्तिथि को देखते हुए केंद्र सरकार को अविलम्ब राज्य सरकारों से बातचीत कर मजदूरों को वापिस लाने के लिए एक ठोस योजना बनानी चाहिए ! यदि मजदूर वापिस काम पर नहीं लौटे तो व्यापार एवं उद्योग का चक्का पूरी तरह से नहीं घूमेगा और कोरोना के कारण देश का व्यापार एवं उद्योग एक बड़े दुष्चक्र में फंस जाएगा !


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