लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान के "बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट" अभियान को मिल रहा अपार जनसमर्थन

पटना

लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट यात्रा पर बिहार के दौरे पर हैं। इस यात्रा के दौरान चिराग पासवान राज्य के सभी जिलों में पहुंच कर संपर्क अभियान चला रहे हैं और आगामी 14 अप्रैल को पटना के गांधी मैदान में होने वाली लोक जनशक्ति पार्टी की बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट महारैली के लिए लोगों को आमंत्रित भी कर रहे हैं। यात्रा के दौरान आयोजित जनसभाओं में उमड़ रही भीड़ और लोगों के जनसमर्थन से लोजपा कार्यकर्ता काफी उत्साहित हैं। यात्रा के दूसरे चरण में अभी श्री पासवान उत्तर बिहार में हैं। पहले समस्तीपुर और फिर दरभंगा पहुंचने पर लोजपा कार्यकर्ताओं और समर्थकों की भारी भीड़ ने युवा नेता का जोरदार स्वागत किया। यहां उन्होंने कहा कि आजादी के सत्तर साल बाद भी बिहार का उतना विकास नहीं हो पाया है, जितना होना चाहिए।


मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में पिछले 15 वर्षों में बिहार में काफी काम हुआ है। लेकिन अभी और भी काम होना बाकी है, जिससे बिहार विकसित प्रदेश बन सके। इसके लिए शिक्षा, स्वास्थ्य एवं आधारभूत संरचना को मजबूत करना होगा। आगामी विधानसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन की जीत पक्की है और फिर से नीतीश जी के नेतृत्व में एक मजबूत सरकार का गठन होगा। नीतीश जी ने 15 वर्षों में बिहार में विकास की मजबूत जमीन तैयार कर दी है। अब इसी प्लेटफॉर्म से विकास की नई उड़ान भरनी है। दूसरे विकसित प्रदेशों की तुलना में बिहार अभी काफी पीछे है। अपने बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट अभियान के बारे में श्री पासवान ने बताया कि हर विधानसभा क्षेत्र में पार्टी के कार्यकर्ता जाएंगे और समाज के सभी वर्ग के लोगों से स्थानीय समस्याओं की जानकारी लेने के साथ ही समाधान का सुझाव भी मांगेंगे। इसके बाद 14 अप्रैल को पटना के गांधी मैदान में होने वाली महारैली में बिहार को विकसित करने का विजन और घोषणापत्र जारी किया जाएगा।


उन्होंने कहा कि बिहार का गौरवशाली इतिहास रहा है। देशभर में सर्वोच्च पदों पर बिहार के लोग हैं। बावजूद इसके बिहार में पिछड़ापन है। हमें इसे दूर करना है और बिहार के गौरव को पुनर्स्थापित करना है। चिराग पासवान ने कहा कि बिहार के बाहर बिहारियों को हीन भावना से देखा जाता है जिसका उन्हें काफी दुःख है। उन्हें अपने बिहारी होने पर गर्व है। एक समय था जब देश दुनिया से लोग उच्च शिक्षा के लिए बिहार आते थे। नालंदा और विक्रमशिला विश्वविद्यालयों की पूरी दुनिया में पहचान थी। लेकिन आज बिहार का युवा बेहतर शिक्षा और रोजगार के लिए दूसरे प्रदेशों में जाने के लिए मजबूर हैं। इस स्थिति को बदलना है।


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