बड़ी सादगी, शालीनता व अपार श्रद्धा के साथ मनाई गयी कांशीराम की जयन्ती


नई दिल्ली :बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष, पूर्व सांसद व उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री  मायावती  के नेतृत्व में, बामसेफ, डीएस-4 व बी.एस.पी. मानवतावादी मूवमेन्ट के जन्मदाता व संस्थापक बहुजन नायक  कांशीराम जी की जयन्ती आज देश भर में बडी सादगी, शालीनता व अपार श्रद्धा के साथ मनाई गयी। आबादी के हिसाब से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में भी, जहाँ यह कार्यक्रम हमेशा बड़े पैमाने पर आयोजित किया जाता है, मण्डल-स्तरीय कार्यक्रम आयोजित किए गए तथा लखनऊ मण्डल के लोगों ने बी.एस.पी. सरकार द्वारा राजधानी लखनऊ के वी.आई.पी. रोड में निर्मित भव्य व विशाल ’’मान्यवर श्री कांशीराम जी स्मारक स्थल’’ पर जाकर वहाँ विशाल गुम्बद के नीचे स्थापित उनकी भव्य प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें श्रद्धा-सुमन अर्पित किया, जबकि सुश्री मायावती जी ने नई दिल्ली स्थित ’’बहुजन प्रेरणा केन्द्र’’ में जहाँ उनकी अस्थिकलश प्रतिष्ठापित है, वहाँ आज सुबह जाकर उनकी प्रतिमा पर अन्य लोगों के साथ पुष्पांजलि व श्रद्धा-सुमन अर्पित किया। 
देश के अन्य प्रदेश में भी ज्यादातर लोगों ने पार्टी कार्यालय व अपने घरों आदि में ही उनके चित्र पर माल्यार्पण करके बहुजन नायक श्री कांशीराम जी को अपना श्रद्धा-सुमन अर्पित किया तथा उनकी सोच व संघर्ष को आगे बढ़ाने बनाने का संकल्प दोहराया, जिसके लिए बहुजन समाज के आत्म-सम्मान व स्वाभिमान की प्रतीक सुश्री मायावती जी ने सभी का तहेदिल से धन्यवाद प्रकट किया।
सुश्री मायावती जी ने इस अवसर पर मीडिया में अपने सम्बोधन में कहा कि वैसे आप लोगों को यह विदित् है कि आज, ’’बामसेफ, डी.एस.-4 व बी.एस.पी. मूवमेन्ट’’ के जन्मदाता एवं संस्थापक मान्यवर श्री कांशीराम जी की जयन्ती है जिन्होंने अपनी पूरी जिन्दगी, परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर के देहान्त के बाद, उनके रुके हुये व अधूरे कारवाँ को गति प्रदान करने के लिए समर्पित की है जबकि शुरू में उन्होंने बाबा साहेब के मूवमेन्ट को चला रहे लोगों को अपना हर प्रकार का सहयोग देकर, उन्हें आगे बढ़ाने की पूरी-पूरी कोशिश की थी, लेकिन उनके देखते-देखते ही उनकी मूवमेन्ट से जुड़े खासकर प्रमुख लोगों के अलग होने से व उनके जातिवादी पार्टियों के हाथों में बिक जाने की वजह से फिर मान्यवर श्री कांशीराम जी ने खुद उनकी मूवमेन्ट को आगे बढ़ाने का कार्य अपने हाथों में ले लिया, जिसे इन्होंने अपने जीते-जी काफी कुछ आगे भी बढ़ाया है जिसे रोकने व खत्म करने के लिए, उनके जीते-जी व देहान्त के बाद भी अभी भी इस किस्म के स्वार्थी व बिके हुये लोग पर्दे के पीछे से हमारी विरोधी पार्टियों के हाथों में खेल रहे है और जिनका ना तो बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर की मूवमेन्ट से और ना ही उनकी मूवमेन्ट को आगे बढ़ाने वाले मान्यवर श्री कांशीराम जी की त्याग व तपस्या आदि से भी कोई लेना-देना है जबकि इनके मामले में सच्चाई यह है कि ये लोग केवल उनका नाम इस्तेमाल करके, ज्यादातर अपनी ‘‘रोटी-रोजी’’ सेकने में ही लगे हैं।
इसीलिए मान्यवर श्री कांशीराम जी ने,इस किस्म के ‘‘बिकाऊ व स्वार्थी’’ लोगों से अपने खासकर भोले-भाले दलितों, आदिवासियों, पिछड़े वर्गाें एवं अन्य उपेक्षित वर्गाें के लोगों को सावधान करने के खास उद्देश्य से ‘‘चमचा युग’’ के नाम से खुद एक किताब भी लिखी थी जिसमें उन्होंने, इन वर्गों के लोगों को सावधानी के तौर पर विशेषतौर से यह कहा है कि बाबा साहेब के नाम पर जो लोग अपने व्यक्तिगत स्वार्थ व लालच में विभिन्न संगठन व पार्टी आदि बनाकरइन दुःखी व पीड़ित लोगों को बांटने में लगे है तो उससे इन वर्गों को तो कोई फायदा नहीं होगा।
लेकिन इससे इन वर्गों की विरोधी व जातिवादी पार्टियों की ‘’फूट डालो और राज करो’‘ की नीति जरूर कामयाब हो जायेगी ताकि ये लोग, हमेशा-हमेशा के लिए उनके गुलाम व लाचार बने रहें और फिर कभी भी ये लोग अपने पैरों पर खड़े ना हो सके जिसे खास ध्यान में रखकर ही इन वर्गों केलोगों को इनकी (अपनी) मूवमेन्ट को आगे बढ़ाना है तभी ये लोग पूरे आत्मसम्मान व स्वाभिमान के साथ अपनी जिन्दगी व्यतीत कर सकते हैं।और इसके लिए, इनको, बी.एस.पी. के बैनर तले संगठित होकर केन्द्र व राज्यों की भी राजनैतिक सत्ता की मास्टर चाबी खुद अपने हाथों में लेनी होगी जिसका जीता-जागता उदाहरण उत्तर प्रदेश में बी.एस.पी. के नेतृत्व में चार बार बनी सरकार का है और इसका श्रेय केवल ‘‘मान्यवर श्री कांशीराम जी’’ को ही जाता है।
इसके साथ-साथ आज मैं अपनी पार्टी के लोगों को यह भी याद दिलाना चाहती हूँ कि मान्यवर श्री कांशीराम जी अपने जीते-जी हमेशा अपनी पार्टी के लोगों को खासकर जातिवादी मीडिया से सावधान रहने की सलाहा देते रहे हैऔर इस मामले में अक्सर वो कहते थे कि जातिवादी मीडिया हमारी, ज्यादातर वो खबरे दिखाता है जिससे हमारी पार्टी के लोग गुमराह हो जाये। इसके साथ ही जो खबरे, हमारी पार्टी को फायदा पहुंचाने वाली होती है तो उनको वे ज्यादातर जोड़-मरोड़ के ही मीडिया में देता है या फिर वे उनको दिखाते नहीं है।
उदाहरण के तौर पर जैसे, हमने बी.एस.पी. के जिन अनुशासनहीन, स्वार्थी व पार्टी के साथ भीतरघात करने वाले लोगों को पार्टी से निकालकर बाहर किया है तो ऐसे निकाले गये लोग जब दूसरी पार्टियों में जाते है तो उनको मीडिया अपनी जातिवादी मानसिकता के तहत चलकर ऐसे दर्शाता है। जैसे वो बी.एस.पी. के बहुत प्रभावशाली व जन-प्रिया नेता थे जिससे दूसरी पार्टियों में जाने वाले लोगों को बहुत फायदा मिलने वाला है।
जैसे आप श्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी के प्रकरण को ही ले ले। उसके बारे में आपको यह जरूर मालूम होगा कि जब हमारी पार्टी ने, इनको पार्टी विरोधी गम्भीर कारणों से, पार्टी से निकालकर बाहर किया था और उसके बाद, जब इन्होंने दिल्ली में जाकर कांग्रेस के बडे़ नेताओं की मौजूदगी में कांग्रेस ज्वाइन की थी तो तब पूरे देशभर के मीडिया ने उसे ऐसे दर्शाया था कि जैसे उत्तर प्रदेश में बी.एस.पी. से जुड़ा मुसलमान पूरा का पूरा अब कांग्रेस पार्टी के साथ चला जायेगा, जबकि यह व्यक्ति कांग्रेस के लिए खोदा पहाड़ और निकला चूहा की तरह ही साबित हुआ - जैसे इन्होंने इस बार कांग्रेस के टिकट पर बिजनौर से लोकसभा का आमचुनाव लड़ा परन्तु उसे लगभग 25/26 हजार वोट पड़े और उसकी जमानत जब्त हो गई थी - जबकि मुसलमान वहां लगभग 30/35 प्रतिशत हैं।
इसी प्रकार इलाहाबाद से दलित वर्ग में पासी समाज से श्री इन्द्रजीत सरोज के भी प्रकरण को ले ले। इन्होंने भी इस बी.एस.सी. की लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था और वे काफी बुरी तरह से यह चुनाव हार गये थे, जबकि वह इस बार सपा व बसपा गठबन्धन से चुनाव लड़ रहे थे।लेकिन वहीं दूसरी तरफ जब दूसरी पार्टियों के लोग बी.एस.पी. में आते है तो उन्हें या तो वे दिखाते नहीं, या फिर उनको वे जिस पार्टी को छोड़कर आये है तो उनका रिजेक्टेड माल बताके, बी.एस.पी. को ज्यादा फायदा होने की खबर नहीं दिखाते है।
इसीलिए मान्यवर श्री कांशीराम जी ने हमेशा अपने लोगों को मीडिया के बारे में यही कहा है कि मीडिया में जिन अखबारों व चैनलों आदि की अभी तक भी यहां अपने देश में खासकर कमजोर वर्गाें के प्रति जातिवादी मानसिकता नहीं बदली है तो उनसे अपनी पार्टी के लोगों को हमेशा सावधान रहना है।
इसके साथ-साथ, आज मैं मीडिया को यह भी स्पष्ट कर देना चाहती हूँ कि बी.एस.पी. में रहे जो लोग भी दूसरी पार्टियों में गये है, या आगे जाने वाले है तो वे ज्यादातर पार्टी से निकाले गये लोग है या फिर, पार्टी ने उन्हें, उनके गलत कारनामों की वजह से पार्टी में किनारे कर दिया है अर्थात् उन्हें पार्टी में कुछ भी कार्य नहीं दिया है।
इसके साथ ही मान्यवर श्री कांशीराम जी अपने हर कार्यक्रम में ज्यादातर इस बात पर जोर देते रहे हैं कि हमें बहुजन समाज को ना बिकने वाला समाज तैयार करना है तभी यह समाज केन्द्र व राज्यों की सत्ता में आसीन हो सकता है और इनकी इस बात का असर यह पड़ा कि पार्टी में जिन लोगों को भी निकाला गया या फिर वे अपने स्वार्थ में पार्टी को छोड़कर चले गये तो वे अकेले ही गये है, लेकिन उनके साथ उनका समाज नहीं गया है। इस मामले में मध्यप्रदेश में भी श्री फूलसिंह बरैया का उदाहरण आप लोगों के सामने है, जिसे कांग्रेस पार्टी ने राज्यसभा के लिए अब अपना दूसरा उम्मीदवार बनाया है और साथ ही उसे जिताने के लिए बी.एस.पी. की मदद भी मांग रहे हैं। क्या यह चोरी और सीना जोरी की कांग्रेसी मिसाल नहीं है?
ऐसे महान् व्यक्तित्व मान्यवर श्री कांशीराम जी की आज जयन्ती पर जो अब हमारे बीच में नहीं रहे है, उनको मैं पूरे तहेदिल से अपने श्रद्धा-सुमन अर्पित करती हूँ। साथ ही, इस मौके पर, मैं पूरे देशभर में उनके सभी अनुयायियों व शुभचिन्तकों को भी हार्दिक बधाई व शुभकामनाये देती हूँ जो ये लोग विभिन्न स्तर पर आज उनकी जयन्ती मना रहें हैं। लेकिन इस समय पूरे देश में खासकर ‘‘कोरोना’’ का प्रकोप होने की वजह से इस बार ज्यादातर हमारे लोग, इनकी जयन्ती अपने घरो में ही मना रहे है तथा इनको विभिन्न रूपों में अपने श्रद्धा-सुमन अर्पित कर रहे है, उन सभी का भी मैं हार्दिक दिल से आभार प्रकट करती हूँ। अब अन्त में, मेरा इनके सभी अनुयायियों से यह भी कहना है कि वे इनके बताये हुये रास्तों पर चलकर अपने मसीहा व भारतीय संविधान के मूल-निर्माता परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर के अधूरे पड़े कारवाँ को पूरा करने के लिए, रात-दिन मेहनत के साथ कार्य में लगे। इस खास अपील के साथ ही अब मैं पुनः मान्यवर श्री कांशीराम जी’’ को, अपनी सच्ची श्रद्धा अर्पित करती हूँ।


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