आयुर्वेद की सहायता से स्वास्थ्य:  बेन ग्रीनफील्ड

नई दिल्ली के एयरोसिटी स्थित रोसिएट हाउस में आयोजित हुई भारत की पहली बायोहैकिंग फोरम

नई दिल्ली

आज के समय में फिटनेस की बात करें तो खुद से ही प्रयोग करने का अधिक चलन देखा जा रहा है। ज्यादातर लोग अच्छी बॉडी पाने की इच्छा के चलते तेजी से नतीजे देखना चाहते हैं और इस उम्मीद में वे नई तकनीकों और आहारों को अमल में ला रहे हैं। हर कोई उतनी ऊर्जा का हकदार है, जितनी उसे दिन भर के अपने कामों के लिए चाहिए होती है,” अमेरिकी बायोहैकिंग के अग्रणी विशेषज्ञ व लेखक बेन ग्रीनफील्ड ने दिल्ली में भारत की पहली बायोहैकिंग फोरम 1.0 में यह बात कही।

एक पेशेवर बायोहैकर, पर्सनल ट्रेनर और न्यूयॉर्क टाइम्स के बैस्टसेलिंग लेखक के रूप में विख्यात बेन ग्रीनफील्ड चाहे कहीं भी हों, दोपहर के समय कुछ पल सोने का समय निकाल ही लेते हैं।

एक अच्छी पॉवर नैप या झपकी, यकीनन, एक कला से ज्यादा एक विज्ञान है। क्योंकि दिन में बीच कुछ समय की झपकी लेना ऐसे में मुश्किल हो सकता है, यदि आपके पास महज एक ही घंटे का समय हो। और तब क्या होगा, जब आप घबराये हुए से उठें, या फिर सोकर उठने के बाद और अधिक थकान महसूस करें? आइए जानें कि पॉवर नैप को कमजोरी समझने की जगह अपनी ताकत कैसे बनाया जायें।

बायोहैकिंग की चर्चा इन दिनों पूरी दुनिया में है और अब यह भारत में प्रवेश कर रहा है। फिजिक ग्लोबल के सीईओ जग चीमा ने कहा, “हम हर किसी के लिए विज्ञान आधारित शिक्षा उपलब्ध कराना चाहते हैं, लेकिन इसे दूसरी चीजों से जोड़ कर भी रखना है। पिछले कुछ वर्षों में जीवन की गुणवत्ता में भारी कमी आई है, जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए। प्रतिदिन छोटे-छोटे बदलाव लाकर और सोचे-समझे विकल्प चुनकर लोगों के जीवन को बेहतर बनाया जा सकता है। भारत में पहले कभी ऐसा प्लेटफॉर्म नहीं देखा गया, जहां विश्व स्तर पर और वैज्ञानिक रूप से सही शिक्षा देने का कार्य दुनिया के कुछ सर्वश्रेष्ठ लोगों द्वारा किया गया हो, जैसे कि बेन ग्रीनफील्ड और क्रिस गेथिन जो अपने-अपने क्षेत्रों में अग्रणी हैं।

बेन ग्रीनफील्ड बायोहैकिंग के बारे में बात करते हुए प्रेस ने यह जानना चाहिए कि उनकी लाइब्रेरी में किस तरह की किताबें हैं, तो उन्होंने बताया कि लगभग एक दर्जन किताबें आयुर्वेदिक चिकित्सा से संबंधित हैं, जिन्हें वह हर दिन देखते पढ़ते हैं। उनकी किताबों में कुछ सरल उपाय दिये हैं, जैसे सुबह उठकर जीभ साफ करना और तेल खींचना, भोजन से पहले और बाद में जड़ी-बूटियों, मसालों और पाचक चूर्ण आदि पर ध्यान देना, सूखी त्वचा को ब्रश से साफ करना, योगासन करना और स्वशन व्यायाम करना।

उन्होंने कहा, ”आयुर्वेदिक चिकित्सा में बहुत ज्ञान है जिसका उपयोग हम अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए कर सकते हैं और जेनेटिक्स को सुधारने में भी कर सकते हैं। भारत में, लोग सदियों तक जिस तरह से रहते आये हैं और जैसा उनका खान-पान रहा है, वो आज भी कुछ हद तक उनके डीएनए में है। अगर कोई मुझसे सलाह लेने आये, तो मैं झट से किसी आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से मिलने की सलाह दूंगा।


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