राजभाषा नियमों का उल्लंघन कर रहा चुनाव आयोग अपनी संविधान विरोधी हरकतों से बाज आये- मुकेश जैन

अखिल भारतीय अंग्रेजी अनिवार्यतस विरोधी मंच की आकस्मिक बैठक में चुनाव आयोग द्वारा मांगने पर भी हिन्दी में लोकसभा का नामांकन पत्र उपलब्ध न कराने पर न केवल चिन्ता जाहिर की गयी बल्कि आयोग का अपने आप को कानून और संविधान से उपर समझना लोकतन्त्र के लिये खतरे की घन्टी बताया गया।


बैठक में अखिल भारतीय अंग्रेजी अनिवार्यता विरोधी मंच के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और नई दिल्ली लोकसभा क्षेत्र से हिन्दू महासभा के प्रत्याशी बिग बोस के सुपर हीरो स्वामी ओम जी ने बताया कि आज सुबह मैं अपने कार्यकर्ता रामचन्द्र के साथ  जामनगर हाउस के चुनाव आयोग के कार्यालय में लोकसभा का नामांकन पत्र लेने गया तो मुझे जबरदस्ती अंग्रेजी का नामांकन पत्र देने का प्रयास किया गया। मेरे द्वारा हिन्दी में नामांकन पत्र देने के लिये कहे जाने पर मुझे कश्मीरी गेट जाकर नामांकन पत्र लेने के लिये कहा गया। जिस पर मैंने राजभाषा नियमों का हवाला देकर हिन्दी में नामांकन पत्र देने के लिये कहा तो अधिकारी गण बगले झांकने लगे और 3 घन्टों तक मुझे बैठाने के बाद भी मुझे हिन्दी में नामांकन पत्र नहीं दिया गया।


बैठक में अखिल भारतीय अंग्रेजी अनिवार्यता विरोधी मंच के राष्ट्रीय महामंत्री श्री मुकेश जैन ने कहा कि चुनाव आयोग को संविधान और कानून से खिलवाड़ करने के लिये सर्वोच्च न्यायालय के संविधान और राजभाषा हिन्दी विरोधी न्यायाधीशों की शह मिल रही है। जिसके कारण कभी नोटा के नाम परकभी आचार संहिता के नाम पर चुनाव आयोग ने अपने अंसंवैधानिक कानून बनाकर जन प्रतिनिधि कानून को मजाक बना दिया है। श्री जैन ने कहा कि चुनाव आयोग जिस प्रकार से संसद और महामहिम राष्ट्रपति जी की अनुमति लिये बिना उम्मीद्वारों से उनकी सम्पत्ति आदि का ब्यौरा मांग रहा है वह  जनप्रतिनिधि कानून का उल्लंघन है। यह सब लोकतन्त्र के लिये सबसे बड़ा खतरा है।


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