सेक्टर 122 में मनाया जा रहा छठ महापर्व,पवित्रता, संयम और श्रद्धा का संगम
नोएडा: नोएडा के सेक्टर 122 में इस वर्ष का छठ महापर्व एक विशेष उदाहरण बन गया है।यहाँ एक माँ और बेटा मिलकर श्रद्धा, शुद्धता और परंपरा का यह कठिन छठ व्रत कर रहे हैं — जो अपने आप में एक अनोखी और प्रेरणादायक पहल है।छठ पर्व आमतौर पर महिलाओं द्वारा किया जाने वाला कठोर उपवास होता है, लेकिन इस वर्ष माँ के साथ बेटे ने भी समान श्रद्धा और नियमों के साथ यह व्रत निभाने का संकल्प लिया है
छठ व्रत का अर्थ और महत्व पर प्रकाश डालते हुए आवासीय कल्याण संगठन के अध्यक्ष डॉ उमेश शर्मा ने बताया कि छठ” शब्द संस्कृत के “षष्ठी” से बना है, जिसका अर्थ होता है छठा दिन।यह पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है।छठ व्रत में सूर्य देव की उपासना की जाती है क्योंकि सूर्य जीवन, ऊर्जा, स्वास्थ्य और समृद्धि के प्रतीक हैं।इस दिन सूर्य की दोनों अवस्थाओं — डूबते सूर्य और उगते सूर्य — की पूजा की जाती है।
उन्होंने बताया कि यह व्रत स्त्री और पुरुष दोनों कर सकते हैं, लेकिन इसे बहुत कठिन और पवित्र माना जाता है, क्योंकि इसमें चार दिनों तक शुद्धता, आत्मसंयम और निर्जला उपवास रखा जाता है।
*महापर्व छठ के 4 दिन का वर्णन और विशेषता*
*पहला दिन* – नहाय-खाय (Nahay-Khay)
छठ पर्व की शुरुआत नहाय-खाय से होती है। इस दिन व्रती (उपवासी) शुद्ध होकर पवित्र जल में स्नान करते हैं और घर की सफाई कर स्वच्छता का ध्यान रखा जाता है। अरवा चावल, लौकी (कद्दू) की सब्जी और चने की दाल का प्रसाद बनाकर खाया जाता है।
यह दिन शुद्धता और आत्म-शुद्धिकरण का प्रतीक है। “शरीर और मन की पवित्रता का प्रारंभ यहीं से होता है।”
*दूसरा दिन* – खरना (Kharna / Lohanda)
नहाय-खाय के अगले दिन व्रती पूरे दिन निर्जला उपवास रखते हैं और शाम को सूर्यास्त के बाद गुड़ और चावल की खीर, रोटी और केले का प्रसाद बनाकर पूजा करते हैं। इसके बाद यही प्रसाद ग्रहण किया जाता है।
यह दिन आत्म-संयम और अनुशासन का प्रतीक है। “सहनशीलता और श्रद्धा से मिलता है परम संतोष।”
*तीसरा दिन* – संध्या अर्घ्य (Sandhya Arghya)
तीसरे दिन व्रती निर्जला व्रत रखते हैं और शाम के समय नदी, तालाब या घाट पर डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं। घाटों पर भव्य सजावट और गीतों की गूंज होती है।
यह दिन सूर्य देव की उपासना और कृतज्ञता का प्रतीक है। “डूबते सूर्य को प्रणाम, जीवन में लाए उजियारा तमाम।”
*चौथा दिन* – उषा अर्घ्य (Usha Arghya)
अंतिम दिन प्रातः काल सूर्योदय से पहले घाट पर पहुंचकर व्रती उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं। इसके बाद व्रत का समापन किया जाता है और प्रसाद वितरित किया जाता है।
यह दिन नई ऊर्जा, उम्मीद और जीवन के पुनर्जागरण का प्रतीक है। “उगते सूरज को नमन, नई आशा, नई किरण।”
छठ पूजा के प्रसाद बनाते हुए एक व्रती उपासकसेक्टर 122में बना छठ पूजा के लिए घाट




