कानून मंत्री के सामने मुख्य न्यायाधीश ने मनमानी गिरफ्तारी और बुलडोजर एक्शन पर जम कर बोला
नई दिल्ली
भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने स्वतंत्रता दिवस पर अपने सहयोगियों को संबोधित किया. उन्होंने मनमानी गिरफ्तारी, ध्वस्तिकरण (Demolition) और गैरकानूनी तरीके से संपत्ति कुर्क करने के मुद्दे पर न्यायपालिका और न्यायाधीशों की भूमिका पर अपनी राय रखी.
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने कोर्ट परिसर में ये कार्यक्रम आयोजित किया था. इसमें मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ के साथ केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल बतौर विशेष अतिथि मंच पर मौजूद थे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित करते हुए आज न्यायपालिका की तारीफ की थी. उन्होंने महत्वपूर्ण निर्णयों का अनुवाद क्षेत्रीय भाषा में उपलब्ध कराने के प्रयासों की प्रशंसा की थी. प्रधानमंत्री की तारीफ के कुछ ही समय बाद मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ सुप्रीम कोर्ट परिसर में आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे.
अपने भाषण में मुख्य न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने बिना किसी खास केस का नाम लिए, मनमानी गिरफ्तारियों और घर/प्रॉपर्टी गिराने की धमकियों का संदर्भ दिया. उन्होंने कहा, *"किसी मामले का नतीजा चाहे जो भी हो, सिस्टम (न्याय व्यवस्था) की ताकत इसी में है कि वह न्याय सुनिश्चित कर सके."*
उन्होंने आगे कहा कि *“किसी व्यक्ति में यह विश्वास होना चाहिए, कि अगर मनमाने ढंग से उसकी गिरफ्तारी होती है, विध्वंस की धंमकी दी जाती है या गैरकानूनी तरीके से संपत्ति कुर्क की जाती है तो सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों से उसे दिलासा मिलेगा और उसकी बात सुनी जाएगी. यह आत्मविश्वास ही न्यायपालिका की ताकत है.”*
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि पिछले 76 सालों का इतिहास यही बताता है कि भारतीय न्यायपालिका का इतिहास आम लोगों के रोजाना के संघर्षों का इतिहास है. उन्होंने कहा, “मेरा मानना है कि न्यायपालिका की चुनौती न्याय मिलने की बाधाओं को खत्म करना है. यह सुनिश्चित करने के लिए हमें एक रोडमैप बनाना है कि न्यायापालिका समाज के अंतिम आदमी की पहुंच में आए और समावेशी बने.”
मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने संवैधानिक लोकतंत्र के विकास में मीडिया, नौकरशाही, राजनीतिक दलों और स्वयंसेवी संगठनों (NGOs) की भूमिका को भी महत्वपूर्ण बताया.
सीजेआई ने कहा, “संवैधानिक भारत के संस्थापक नेताओं ने राष्ट्रीय प्राथमिकताएं तय की थीं. उन्होंने सामाजिक-राजनीतिक विकास और आर्थिक बदलाव लाने के लिए एक सांस्थानिक तंत्र की कल्पना की थी.”
इसके अलावा मुख्य न्यायधीश ने तिरंगे को भारतीयों के संघर्ष और उनकी चेतना का प्रतीक बताते हुए कहा, *“आज 76 साल बाद हमारा तिरंगा स्वतंत्रता और समानता की हवाओं में लहराता है. कभी ऐसा आता है जब हवा रुक जाती है. कभी आसमान में तूफान आ जाता है. लेकिन तिरंगा हमारी समूहित विरासत का प्रतीक बनकर हमारे भविष्य की आकांक्षा का मार्गदर्शन करता है.”*
मुख्य न्यायाधीश ने बताया कि न्यायिक बुनियादी ढांचे को जल्द से जल्द दुरुस्त करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अतिरिक्त कोर्ट रूम और अन्य सुविधाओं को बढ़ाया जाएगा. एक नई इमारत भी बनाने की योजना है. इससे न्याय प्रक्रिया को जल्द निपटाने और समय पर न्याय मुहैया कराने में सहायता मिलेगी...