भविष्य की अर्थव्यवस्था की जरूरत कृषि प्रौद्योगिकी स्टार्टअप

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ई दिल्ली (इंडिया साइंस वायर): कृषि प्रौद्योगिकी से जुड़े स्टार्टअप्स भारत की अर्थव्यवस्था के भविष्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। केन्द्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार), केन्द्रीय पृथ्वी विज्ञान राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय और कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय में राज्यमंत्री डॉक्टर जितेन्द्र सिंह ने यह बात कही है। डॉ जितेन्द्र सिंह, मैसूरू में एग्री-टेक एवं फूड-टेक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। 

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा भारतीय कृषि क्षेत्र में आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन, पुराने पड़ चुके उपकरणों के उपयोग, अनुचित संरचना और किसानों की विभिन्न बाजारों का आकलन करने में अक्षमता- जैसी कठिनाइयों को दूर करने के निमित्त नीतिगत माहौल प्रदान किए जाने की वजह से पिछले कुछ वर्षों में भारत में कृषि तकनीकी स्टार्टअप्स की एक नई लहर आई है। डॉ जितेन्द्र सिंह ने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि युवा उद्यमी अब आईटी सेक्टर और बहुराष्ट्रीय कंपनियों की नौकरियां छोड़कर अपने स्टार्टअप स्थापित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अब ये उद्यमी अनुभव कर रहे हैं कि कृषि में निवेश सुरक्षित और लाभकारी व्यापारों में से एक है।

डॉ जितेन्द्र सिंह ने कहा, कृषि प्रौद्योगिकी से जुड़े स्टार्टअप समूची कृषि मूल्य श्रृंखला के समक्ष उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के लिए अभिनव विचार और किफायती समाधान प्रदान कर रहे हैं। इन स्टार्टअप्स में इतनी सामर्थ्य है कि वे भारतीय कृषि क्षेत्र के परिदृश्य को बदल सकते हैं और अंततः किसानों की आय में वृद्धि कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह स्टार्टअप्स और नवोदित उद्यमी किसानों, कृषि सामग्री के डीलरों, थोक विक्रेताओं, फुटकर विक्रताओं और उपभोक्ताओं को एक-दूसरे से जोड़कर उनके लिए सशक्त बाजार संपर्क और समय पर गुणवत्तापूर्ण उत्पाद प्रदान करने वाली बीच की कड़ी बन गए हैं।

डॉ जितेन्द्र सिंह ने कहा - कृषि, भारतीय अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण स्तंभों में से एक स्तंभ है, यहाँ की 54 प्रतिशत आबादी कृषि पर सीधे निर्भर है, और देश के सकल घरेलू उत्पाद में इसका हिस्सा करीब 20 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि भारत में कृषि की पिछले कुछ वर्षों में सतत् प्रगति हुई है, लेकिन अब इस क्षेत्र में युवाओं के अभिनव विचारों को प्रोत्साहित करने की जरूरत है।

डॉक्टर जितेन्द्र सिंह ने इस्राइल, चीन और अमेरिका जैसे देशों का उदाहरण देते हुए कहा कि इन देशों ने नई प्रौद्योगिकी की मदद से खेती के तरीकों में बड़ा परिवर्तन किया है। उन्होंने कहा कि हाइब्रिड बीज, प्रेसीशन फार्मिंग, बिग डेटा एनालिटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, जीओ टैगिंग, और सैटेलाइट मॉनिटरिंग, मोबाइल ऐप और कृषि प्रबंधन सॉफ्टवेयर को खेती की पूरी प्रक्रिया में विभिन्न स्तरों पर लागू करके उपज और कृषि से होने वाली आय को बढ़ाया जा सकता है।

डॉ जितेन्द्र सिंह ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस वर्ष फरवरी में कृषि क्षेत्र के लिए देश भर में भारत में निर्मित 100 ‘कृषि ड्रोन’ की शुरुआत की। ये ‘कृषि ड्रोन’ अपनी अनूठी समकालिक उड़ानों से खेती की प्रक्रिया में सहयोग कर सकते हैं। डॉ जितेन्द्र सिंह ने उम्मीद व्यक्त की है कि इंटरनेट एवं स्मार्टफोन उपयोग में वृद्धि के साथ-साथ स्टार्टअप्स के उभरने और सरकार की विभिन्न पहलों की वजह से कृषि क्षेत्र में प्रौद्योगिकी अपनाने की गति तेज होगी। 

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत में बहुत से कृषि तकनीकी स्टार्टअप्स मुख्य रूप से बाजार आधारित हैं, जहाँ ई-कॉमर्स कंपनियां ताजे और ऑर्गेनिक फल और सब्जियां सीधे किसानों से खरीद कर बिक्री करती हैं। लेकिन, हाल में बहुत से स्टार्टअप्स ने किसानों की कठिनाइयों के अभिनव और टिकाऊ समाधान प्रदान करने शुरू किए हैं। उन्होंने कहा कि स्टार्टअप्स अब बायोगैस संयंत्र, सौर ऊर्जा चालित प्रशीतन गृह, बाड़ लगाने और पानी पम्प करने, मौसम पूर्वानुमान, छिड़काव करने वाली मशीन, बुआई की मशीन और वर्टिकल फार्मिंग जैसे समाधानों से को आय बढ़ाने में किसानों की मदद कर रहे हैं। (इंडिया साइंस वायर)

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