गुजरात में मनाया गया विश्व मधुमक्खी दिवस का उत्सव

 आधी से ज्यादा ग्रामीण आबादी की प्रगति से ही देश आगे बढ़ेगा-कृषि मंत्री

मधुमक्खीपालकों से संवाद में बोले श्री तोमर-छोटे किसानों को सशक्त करना पीएम का लक्ष्य 

जम्मू-कश्मीर में 3 जगह सहित 5 राज्यों में 7 शहद परीक्षण प्रयोगशालाओं व प्रसंस्करण इकाइयों का शुभारंभ 

नर्मदा (गुजरात)/ नई दिल्ली: विश्व मधुमक्खी दिवस आज उत्साह के साथ मनाया गया। इस उपलक्ष में राष्ट्रीय स्तर का मुख्य समारोह केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री 


नरेंद्र सिंह तोमर के मुख्य आतिथ्य में टेंट सिटी- II, एकता नगर, नर्मदा, गुजरात में आयोजित किया गया। श्री तोमर ने यहां एक प्रदर्शनी का शुभारंभ किया, साथ ही जम्मू-कश्मीर में पुलवामा, बांदीपुरा व जम्मू, कर्नाटक के तुमकुर, उत्तर प्रदेश के सहारनपुर, महाराष्ट्र के पुणे और उत्तराखंड में शहद परीक्षण प्रयोगशाला एवं प्रसंस्करण इकाइयों का गुजरात से वर्चुअल उद्घाटन किया। इस अवसर पर श्री तोमर व अन्य अतिथियों के साथ संवाद के दौरान विभिन्न राज्यों के मधुमक्खीपालक किसानों ने कहा कि इस अतिरिक्त कार्य से उनकी आमदनी काफी बढ़ी है। श्री तोमर ने कहा कि छोटे किसानों को सशक्त करना प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का लक्ष्य है, जिसे हासिल करने में मधुमक्खीपालन जैसे कृषि के सह-कार्यों का काफी योगदान हो सकेगा। उन्होंने कहा कि भारत की लगभग 55 प्रतिशत आबादी ग्रामीण है, जिनकी प्रगति से ही हमारा देश एक विकसित राष्ट्र बन सकेगा। 

केंद्रीय मंत्री श्री तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी के मार्गदर्शन में देश में मीठी क्रांति लाने के लिए सरकार बहुत गंभीरता से काम कर रही है। केंद्र सरकार ने देश में विश्वस्तरीय प्रयोगशालाएं स्थापित की है, राष्ट्रीय मधुमक्खीपालन व शहद मिशन नामक केंद्रीय वित्त पोषित योजना द्वारा 5 बड़ी क्षेत्रीय एवं 100 छोटी शहद तथा अन्य मधुमक्खी उत्पाद परीक्षण प्रयोगशालाएं स्थापित करने का लक्ष्य है, जिनमें से 3 विश्वस्तरीय अत्याधुनिक प्रयोगशालाएं खोली जा चुकी हैं, वहीं मंजूर 25 छोटी प्रयोगशालाएं स्थापना प्रक्रिया में हैं। कोशिश है कि छोटे किसानों को शहद परीक्षण के लिए दूर नहीं जाना पड़े। प्रोसेसिंग यूनिट्स स्थापना के लिए भी केंद्र सरकार सहायता दे रही है। देश में सवा लाख मीट्रिक टन से अधिक शहद उत्पादन हो रहा है, जिसमें से 60 हजार मीट्रिक टन से ज्यादा प्राकृतिक शहद का निर्यात किया गया है। हम कैसे अपने शहद की गुणवत्ता बढ़ाकर दुनिया के बाजार को कवर कर सकें, इस दिशा में भारत सरकार व राज्य सरकारों की तो तैयारी है, वैसी ही गतिशीलता की अपेक्षा शहद उत्पादक किसानों और अन्य संबंधित लोगों से भी है। 

श्री तोमर ने कहा कि श्री मोदी जब गुजरात में मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने गुजरात के विकास में नए आयाम स्थापित किए, उनकी सरकार गुजरात में भी गरीब व किसान केंद्रित रही, जो संवेदनशील एवं मानवीयता से ओतप्रोत थी। गरीबी उन्मूलन, रोजगार सृजन, स्वास्थ्य सुविधाओं के विकास, किसानों को सिंचाई के साधनों की पर्याप्त उपलब्धता की दृष्टि से मोदी जी के नेतृत्व में गुजरात ने श्रेष्ठ कार्य किया और सफलता पाई। उनके द्वारा लाए गए गुजरात राज्य के विकास माडल की खूब चर्चा होती रही है। 

श्री तोमर ने बताया कि सेंट्रल हाल में पीएम के रूप में श्री मोदी ने अपने पहले भाषण में कहा था कि उनकी सरकार गरीब व किसान केंद्रित होगी। श्री तोमर ने कहा कि देश में गैर बराबरी समाप्त होना चाहिए, यह समय की आवश्यकता है, गरीबों के जीवन स्तर में बदलाव लाना भी आवश्यक है लेकिन हमारी सरकार का यह सिर्फ नारा नहीं है, बल्कि मैदानी रूप से इस दिशा में ठोस कार्य भी किए जा रहे हैं। इसके लिए पीएम ने एक के बाद एक कार्यक्रमों व योजनाओं की संरचना की है। जब पीएम श्री मोदी ने जन-धन खाते खोलने की बात कही थी तो कुछ लोगों ने उपहास उड़ाया था लेकिन मोदीजी ने परवाह नहीं की। वे जानते थे कि 43 करोड़ से अधिक लोग आजादी के बाद भी बैंकिंग सिस्टम से नहीं जुड़े है तो यह स्थिति हमारे देश को कभी विकसित राष्ट्र नहीं बनने देगी। ये खाते जीरो बैलेंस पर खोले गए, जिनमें 1.46 लाख करोड़ रु. से ज्यादा गरीबों ने जमा किए, इतनी बड़ी राशि बैकिंग सेक्टर में आई, जिससे देश की ताकत बढ़ी। 

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इसी प्रकार, देश के छोटे किसानों पर एफपीओ व हनी मिशन जैसी योजनाओं से ध्यान केंद्रित किया गया है। मधुमक्खीपालन के लिए आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत 500 करोड़ रु. का विशेष पैकेज दिय़ा गया है। सरकार की कोशिश है कि सभी के सहयोग से गांवों में आम गरीब किसानों व खेतिहर मजदूरों को मधुमक्खीपालन से जोड़कर, कम पैसे-कम लागत में ट्रेनिंग देकर उनके जीवनस्तर में बदलाव लाया जाएं, सभी हितधारक इस दिशा में सोचे और इसे अमल में लाएं, जिससे देश का बड़ा फायदा होगा। श्री तोमर ने गुजरात सरकार की सराहना करते हुए कहा कि वह गांव-गरीब-किसान के लिए समर्पित है, वहीं इस आयोजन के माध्यम से लौह पुरूष सरदार वल्लभभाई पटेल जी का भी सान्निध्य हमें मिला है।

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री  कैलाश चौधरी ने कहा कि मधुमक्खीपालन के लिए सरकार ने विभिन्न योजनाओं के माध्यम से किसानों को नई टेक्नालाजी के साथ ही आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराए है। सरकार मधुमक्खीपालन को बढ़ावा देने के लिए मिशन मोड पर काम कर रही है, ताकि किसानों की आय बढ़ें। श्री चौधरी ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी ने किसानों की भलाई के लिए लगातार कार्य किया है, कोरोना काल के दौरान भी उन्होंने आवश्यक छूट देकर कृषि कार्य को प्रभावित नहीं होने दिया।

गुजरात के कृषि मंत्री राघवजी पटेल ने केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा इस आयोजन के लिए गुजरात राज्य का चयन करने पर प्रसन्नता जताई। उन्होंने मधुमक्खीपालन के संबंध में गुजरात के किसानों/मधुमक्खी पालकों को प्रोत्साहित किया तथा विभिन्न योजनाओं-कार्यक्रमों के माध्यम से कृषि क्षेत्र के समग्र विकास के लिए प्रधानमंत्री श्री मोदी व केंद्रीय कृषि मंत्री श्री तोमर की सराहना की। 

कार्यक्रम में स्लोवेनिया गणराज्य की राजदूत सुश्री मटेजा वोडेब, भारत में एफएओ प्रतिनिधि कोंडा रेड्डी चाव्वा, केंद्रीय कृषि सचिव  मनोज अहूजा, अपर सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी, केंद्रीय उद्यानिकी आयुक्त डा. प्रभात कुमार सहित कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी व गुजरात के अधिकारियों के साथ ही बड़ी संख्या में किसान/मधुमक्खीपालक व शहद उत्पादन से जुड़े हितधारक व एनडीबीबी अध्यक्ष  मिनेश शाह सहित विभिन्न संगठनों के पदाधिकारी मौजूद थे। किसानों/मधुमक्खीपालकों के बीच मधुमक्खीपालन के वैज्ञानिक ज्ञान के प्रसार के लिए परिचर्चा-तकनीकी सत्र भी आयोजित किए गए।

मधुमक्खीपालकों से संवाद में झलका उत्साह व आगे बढ़ने की ललक

कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय मंत्री श्री तोमर, राज्य मंत्री श्री चौधरी व गुजरात के मंत्री श्री पटेल ने विभिन्न राज्यों के मधुमक्खीपालकों से संवाद किया, जिसमें उनमें काफी उत्साह व आगे बढ़ने की ललक जाहिर हुई। 

जम्मू-कश्मीर के शहद उत्पादक श्री इम्तियाज कुरैशी व श्री नूर मोहम्मद भट्ट ने बताया कि शहद उत्पादन से किसानों की आय बढ़ रही है और अन्य किसान भी मधुमक्खीपालन से जुड़ना चाहते हैं। श्री जनकराज (आरएसपुरा, जम्मू-कश्मीर) तथा श्री चंद्रशेखर ने बताया कि केंद्र सरकार की स्कीम के तहत खोले जा रहे एफपीओ से भी मधुमक्खीपालकों को फायदा हो रहा है, शीघ्र ही अन्य एफपीओ खुलने से अधिकाधिक किसानों को ज्यादा सुविधाएं होगी और उनकी आमदनी बढ़ेगी। 

बनासकांठा (गुजरात) के श्री पटेल राणा भाई लालाजी ने बताया कि मधुमक्खीपालन से उनकी आय काफी बढ़ी है, उन्होंने प्रधानमंत्री श्री मोदी का शुक्रिया अदा किया, जिनकी नीतियों की वजह से किसान समृद्ध हो रहे हैं। पुणे के श्री राहुल शर्मा ने कहा कि उन्हें पहले काफी आर्थिक परेशानी थी लेकिन मधुमक्खीपालन शुरू करने के बाद से उन्हें पांच-छह लाख रु. सालाना आय हो रही है। 15 से ज्यादा अन्य किसान भी उनके साथ इस कार्य से जुड़े है और उन्हें रोजगार मिला है। उन्होंने बताया कि सरकार की नीतियों के कारण मधुमक्खीपालन के उत्पाद बेचने में अब कोई दिक्कत नहीं होती है। 

नवसारी (गुजरात) की सुश्री अश्मिता पटेल ने भी अपनी बात कही, वहीं सहारनपुर (उत्तर प्रदेश) के मधुमक्खीपालक श्री अजय कुमार ने कहा कि उनके जिले में हजारों मधुमक्खीपालक है और यह कार्य काफी अच्छा काम चल रहा है। सुरत (गुजरात) के श्री विनोदजी मधुमक्खीपालकों को ट्रेनिंग भी दे रहे हैं और लाखों रु. सालाना आय कमा रहे हैं। हरिद्वार (उत्तराखंड) के श्री प्रेमपाल सिंह ने बताया कि उन्होंने दूसरे किसानों को भी जागरूक किया और सभी मिल-जुलकर यह कार्य अच्छी तरह से कर रहे हैं। 

कच्छ (गुजरात) के श्री अनिल मेहता ने बताया कि हनी मिशन की शुरूआत के बाद से बहुत अच्छा कार्य चल रहा है। उन्होंने 300 किसानों का एक एफपीओ भी बनाया है, जिसके माध्यम से मधुमक्खीपालकों को सुविधाएं हो रही है। मधुमक्खीपालन से इन किसानों के जीवन में अलग ही, अच्छा मोड आ गया है। 

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