कांग्रेसी सांसद ने किसान आंदोलन की खोली पोल, खालिस्तानी, कांग्रेसी और कम्युनिस्ट हुए बेनकाब


 *ये किसान नहीं बल्कि देश को अस्थिर करने वाले मोहरे हैं* 

 *विष्णु गुप्त* 



कांग्रेस अपने ही सांसद की अवधारणा और बेनकाब करने वाली टिप्पणी पर साइलेंट क्यो है। कांग्रेसी सांसद ने एक तरह से अपनी पार्टी और भूरी काकी की बरबाद फसलो को भी आईना दिखाया है।

....... कांग्रेस के सांसद रवनीत सिंह ने अपने एक बयान में साफ खुलासा किया है कि किसानों का यह आंदोलन खालिस्तानियों का है, कम्युनिस्टों का है और एनजीओ टाईप लोगो का है। किसान आंदोलन को खालिस्तानी, कम्युनिस्ट, नक्सली और  एनजीओ के लोगो ने हाई जेक कर लिया है। लालकिले पर जो हिंसा हुई है उसमे योगेन्द्र यादव का हाथ है और इसकी पूर्व प्लानिंग थी। रवनीत सिंह ने यहां तक कहा है कि योगेन्द्र यादव से पूछताछ हो तो सच्चाई  सामने आ जाएगी।

...... कांग्रेस के सांसद रवनीत सिंह सच बोल रहे हैं। इसमें  शक करने की कोई गुंजाइश ही नहीं है। योगेन्द्र यादव की भूमिका देख लीजिए। योगेन्द्र यादव कभी किसान तो कभी छात्र तो कभी मुस्लिम बन जाते हैं। जेएनयू से लेकर  जिहादियों की गोलबंदी शाहीन बाग तक योगेन्द्र यादव पहुंच जाता है। दिल्ली दंगे में जब हिन्दुओं को गाजर मुली की तरह काटा जाता है तब योगेन्द्र यादव भी दिल्ली दंगो में मुसलमानों के पक्ष में जिहाद करता है। उसके एनजीओ को फंडिंग भारत विरोधियों के द्वारा होती है।

........ किसान आंदोलन में जिहादी कनेक्शन क्यो नही है। फिर किसानों के बीच अल्ला हू अकबर का नारा क्यो लगाया जा रहा है। जिन मुसलमानों ने मुजफफरनगर में जाटों और अन्य हिन्दुओं के कतलेआम किया था और जाटों का बहिष्कार करने का आह्वाहन किया था उन लोगो की उपस्थिति क्यो है। जाट और मुस्लिम राजनीति की गठजोड़ की बात क्यो की जा रही है?

........  जब यह किसानों का आंदोलन है तब  इसमें खालिस्तानी साहित्य क्यो वितरित हो रहा है। सिख को भड़काने वाले नारे क्यो लगाए जा रहे हैं। गुरुद्वारों की इसमें भूमिका क्यो है? पंजाब के मुख्यमंत्री की गम्भीर साजिश कौन नहीं जानता है।

.......  निश्चित तौर पर, कम्युनिस्ट , खालिस्तानियों और जिहादियों   की साजिश है, यह साजिश नरेंद्र मोदी को सत्ता से हटाने को है।

......... नरेंद्र मोदी की सहनशीलता की प्रशंसा होनी चाहिए। अगर ऐसा ही आंदोलन किसी कम्युनिस्ट शासन में होता तो कब का लाशों का ढेर लग जाता। थन मेन चौक की घटना याद कीजिए, चीन की कम्युनिस्ट तानाशाही ने तब रेल गाड़ियों से, टेंको से और मिसाइलों से पांच लाख से अधिक छात्रों का नरसंहार किया था। ये छात्र चीन में लोकतंत्र की मांग कर रहे थे। रामलीला मैदान में रामदेव पर लाठियां बरसाई कांग्रेस थी। ऐसे बर्बर और आतताई कांग्रेस और कम्युनिस्ट मोदी को हिंसक कहने में भी शर्म नहीं करते?

....... देश की जनता कांग्रेस, कम्युनिस्टों, मुस्लिम जिहादियों, खालिस्तानियों की साजिशों को समझे और अफवाह और दुष्प्रचार को खारिज करे। ये किसान नहीं बल्कि देश को अस्थिर करने वाले मोहरे है।

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