कृषि क्षेत्र को उन्नत व रोजगारोन्मुखी बनाने में नई शिक्षा नीति होगी सहायक: श्री तोमर
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद सोसाइटी की 92वीं वार्षिक आम बैठक का हुआ आयोजन
नई दिल्ली
नरेंद्र सिंह तोमर, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग एवं पंचायती राज मंत्री ने बतौर अध्यक्ष आज भा.कृ.अनु.प. सोसाइटी की 92वीं वार्षिक आम बैठक को संबोधित किया।
श्री तोमर ने इस अवसर पर भा.कृ.अनु.प. के माध्यम से राज्यवार कृषि समस्याओं के समाधान व 2022 तक किसानों की दुगुनी आय के प्रति संकल्पित सरकार की योजनाओं को रेखांकित किया। केंद्रीय कृषि मंत्री ने इस मौके पर परिषद से जुड़े वैज्ञानिकों, शिक्षकों, छात्रों व किसानों को बधाई एवं शुभकामनाएँ दी। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की कृषि-हितैषी योजनाएँ, किसानों की कड़ी मेहनत और वैज्ञानिकों द्वारा विकसित उन्नत तकनीकी का ही योगदान है कि दुग्ध एवं मत्स्य उत्पादन में भारत दुनिया के शीर्ष स्थानों पर विराजमान है।
श्री तोमर ने कहा कि उत्पादन व उत्पादकता को बढ़ाकर कृषि की प्रगति दर को तेज करने तथा किसानों को सशक्त बनाने की दिशा में वर्तमान सरकार द्वारा अनेक व्यापक योजनाओं को जमीनी तौर पर क्रियान्वित किया गया है। उन्होंने कहा कि किसान उत्पादक संगठनें भी किसानों एवं कृषि-क्षेत्रों की चुनौतियों के समाधान में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। उन्होंने ज़ोर देते हुए कहा कि कोविड-19 जैसे प्रतिकूल दौर में भी भा.कृ.अनु.प. ने अपनी प्रासंगिकता को बनाए रखा। उन्होंने कहा कि कृषि के क्षेत्र में भा.कृ.अनु.प. ने अब तक बहुत-से नए किस्मों का ईजाद किया है जिसका प्रतिफल पूरे देश को मिल रहा है।
कृषि शिक्षा के क्षेत्र में भा.कृ.अनु.प. और कृषि विश्वविद्यालयों की अभूतपूर्व प्रगति को रेखांकित करते हुए श्री तोमर ने नई शिक्षा नीति के माध्यम से कृषि शिक्षा को और भी अधिक रोजगारोन्मुखी तथा उन्नत बनाने की जरूरत पर जोर दिया। अंत में, उन्होंने कहा कि सम्मिलित प्रयासों से ही देश में कृषि की बेहतरी का, किसानों की खुशहाली का मार्ग प्रशस्त होगा और किसानों की आय बढ़ेगी।
पीयूष गोयल, केंद्रीय रेल मंत्री, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री और उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नारे ‘जय किसान, जय विज्ञान, जय अनुसंधान’ को उद्धृत करते हुए कहा कि कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान के क्षेत्र में भा.कृ.अनु.प. ने अतुलनीय काम किया है। श्री गोयल ने आत्मनिर्भर भारत की दिशा में भा.कृ.अनु.प. की महत्त्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के दौर में फसलों का विविधीकरण जरूरी है। परशोत्तम रूपाला, कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री ने भा.कृ.अनु.प. के नौ दशकों से अधिक की सफलतापूर्वक यात्रा और अभूतपूर्व उपलब्धियों को रेखांकित करते हुए कहा कि कोविड-19 जैसी विषम परिस्थिति में भी कृषि क्षेत्र ने न केवल रिकॉर्ड उत्पादन किया बल्कि शहरों से लौटे ग्रामीणों को रोजगार और आजीविका के अवसर भी उपलब्ध कराए।
कैलाश चौधरी, कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री ने इस बात पर ज़ोर दिया कि किसी भी देश का विकास उसके कृषि क्षेत्र के विकास के बिना अधूरा है। उन्होंने कहा कि किसानों की आय में वृद्धि के लिए उन्नत बीज, भंडारण, कम लागत, उचित खाद और बेहतरीन विपणन व्यवस्था अनिवार्य है। श्री चौधरी ने ज़ोर देते हुए कहा कि अभियानों व कार्यक्रमों के जरिए किसानों को जैविक खेती करने के लिए जागरूक करना जरूरी है।
राज्यों के कृषि, बागवानी, पशु-पालन एवं मात्स्यिकी मंत्री; डॉ. रमेश चंद, सदस्य, नीति आयोग, भारत सरकार; संजय अग्रवाल, सचिव, कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग, कृषि मंत्रालय, भारत सरकार भी इस मौके पर उपस्थित रहे।
इस मौके पर भाकृअनुप के उत्पादों तथा प्रकाशनों का विमोचन भी किया गया।
डॉ. त्रिलोचन महापात्र, सचिव (कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग) एवं महानिदेशक (भा.कृ.अनु.प.) ने इस अवसर पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की सफलतापूर्वक यात्रा और उपलब्धियों को विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा के अलावा भा.कृ.अनु.प. नई-नई प्रौद्योगिकियों को भी किसानों तक पहुँचाने के लिए संकल्पित है।
इस अवसर पर सोसायटी के प्रतिष्ठित सदस्यगण; भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की शासी निकाय के सदस्यगण; श्री संजय कुमार सिंह, अतिरिक्त सचिव (कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग) एवं सचिव (भा.कृ.अनु.प.); डेयर के वित्तीय सलाहकार; परिषद के वरिष्ठ अधिकारीगण; कृषि-वैज्ञानिकों तथा परिषद के कर्मचारी-सदस्यों ने आभासी तौर पर अपनी उपस्थिति दर्ज की।