जीएसटी बना व्यापारियों के लिए जंजाल - वित्त मंत्री निर्मला सीथारमन को भेजा विरोध पत्र

 नई दिल्ली 

 केंद्र सरकार द्वारा 22 दिसम्बर को जीएसटी नियमों में धारा 86-बी को जोड़ कर प्रत्येक व्यापारी जिसका मासिक टर्नओवर 50 लाख रुपए से ज़्यादा है.  को अनिवार्य रूप से 1 प्रतिशत जीएसटी जमा कराना पड़ेगा,  के प्रावधान पर कड़ा एतराज जताते हुए कन्फ़ेडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्ज़ (कैटने आज केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीथारमन को एक पत्र भेजकर माँग की है की इस नियम को तुरंत स्थगित किया जाए और व्यापारियों से सलाह कर ही इसे लागू किया जाए  कैट ने यह भी माँग की है क़ी जीएसटी एवं आय कर में ऑडिट की रिटर्न भरने की अंतिम तारीख़ 31 दिसम्बर 2020 को भी तीन महीने के लिए आगे बड़ाया जाए  

 

कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने श्रीमती निर्मला सीथारमन को भेजे पत्र में यह भी कहा है की अब समय  गया है जब एक बार सरकार को व्यापारियों के साथ बैठ कर अब तक जीएसटी कर प्रणाली की सम्पूर्ण समीक्षा की जाए तथा कर प्रणाली को सरलीकृत बनाया जाए एवं साथ ही किस तरह से कर का दायर बड़ाया जाए तथा केंद्र एवं राज्य सरकारों के राजस्व में किस तरह की वृद्धि क़ी जाए  कैट ने इस मुद्दे पर श्रीमती सीथारमन से मिलने का समय माँगा है  

 

कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री बी सी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा है की नियम 86 बी देश भर के व्यापारियों के व्यापार पर विपरीत असर डालेगा  कोरोना के कारण व्यापार में आई अनेक प्रकार की परेशानियों से व्यापारी पहले ही त्रस्त हैं ऐसे में यह नया नियम व्यापारियों पर एक अतिरिक्त बोझ बनेगा  यह एक सर्व विदित तथ्य है की पिछले एक वर्ष से व्यापारियों का पेमेंट चक्र बुरी तरह बिगड़ गया है  लम्बे समय तक व्यापारियों द्वारा बेचे गए माल का भुगतान और जीएसटी की रक़म महीनों तक नहीं  रही है ऐसे में एक प्रतिशत का जीएसटी नक़द जमा कराने का नियम व्यापारियों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ डालेगा जो न्याय संगत नहीं है  कैट ने कहा क़ी जीएसटी विभाग के पास फ़र्ज़ी बिलों के द्वारा जीएसटी लेकर राजस्व को चूना लगाने वाले लोगों के ख़िलाफ़ शिकायत हैं तो ऐसे लोगों को क़ानून के मुताबिक़ बहुत सख़्ती से निबटना चाहिए किंतु कुछ कथित लोगों को की वजह से सभी व्यापारियों को एक ही लाठी से हांकना  तो तर्क संगत है एवं  ही न्याय संगत  लिहाज़ा इस नियम को फ़िलहाल स्थगित किया जाए  

 

श्री भरतिया एवं श्री खंडेलवाल ने यह भी कहा की पिछले समय में में जीएसटी के नियमों में आए दिन मनमाने संशोधन कर व्यापारियों पर पालना को बोझ लगातार बड़ाया जा रहा है जो की प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के “ ईज़ ऑफ़ डूइंग बिज़्नेस “ के सिद्धांत के ख़िलाफ़ है  इससे जीएसटी कर प्रणाली बेहद जटिल हो गई है  यह बड़ा सवाल है क़ी व्यापारी व्यापार करे या फिर करों सहित अन्य क़ानूनों की पालना ही करता रहे और उसका व्यापार बुरी तरह प्रभावित होता रहे  उन्होंने यह भी कहा क़ी अनेक नियमों ने द्वारा अधिकारियों को असीमित अधिकार दिए जा रहे हैं जो भ्रष्टाचार को पनपाएँगे।जीएसटी का पंजीकरण रद्द करने तथा गिरफ़्तार करने के नियम बेहद कठोर हैं , जिन पर चर्चा किया जाना आवश्यक है  यह बेहद खेद जनक है की ज़ीएसटी के किसी भी मामले में व्यापारियों से कोई भी सलाह मशवरा क़तई नहीं किया जाता जिसके कारण से मनमाने नियम व्यापारियों के ऊपर लादे जा रहे हैं  उन्होंने ज़ोर देकर कहा की एक बार जीएसटी की सम्पूर्ण कर प्रणाली कर व्यापक रूप से चर्चा होनी आवश्यक है जिससे  केवल व्यापारियों को सुविधा हो बल्कि सरकार के राजस्व में भी वृद्धि हो  व्यापारी सरकार के साथ सहयोग करने को तैय्यार हैं किंतु कर प्रणाली जितनी सरल होगी और कर पालना जितनी आसान होगी , उतनी ही अर्थव्यवस्था मज़बूत होगी ।जीएसटी बना व्यापारियों के लिए जंजाल - वित्त मंत्री निर्मला सीथारमन को भेजा विरोध पत्र


 


केंद्र सरकार द्वारा 22 दिसम्बर को जीएसटी नियमों में धारा 86-बी को जोड़ कर प्रत्येक व्यापारी जिसका मासिक टर्नओवर 50 लाख रुपए से ज़्यादा है. को अनिवार्य रूप से 1 प्रतिशत जीएसटी जमा कराना पड़ेगा, के प्रावधान पर कड़ा एतराज जताते हुए कन्फ़ेडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्ज़ (कैट) ने आज केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीथारमन को एक पत्र भेजकर माँग की है की इस नियम को तुरंत स्थगित किया जाए और व्यापारियों से सलाह कर ही इसे लागू किया जाए । कैट ने यह भी माँग की है क़ी जीएसटी एवं आय कर में ऑडिट की रिटर्न भरने की अंतिम तारीख़ 31 दिसम्बर 2020 को भी तीन महीने के लिए आगे बड़ाया जाए । 


 


कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री बी सी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खंडेलवाल ने श्रीमती निर्मला सीथारमन को भेजे पत्र में यह भी कहा है की अब समय आ गया है जब एक बार सरकार को व्यापारियों के साथ बैठ कर अब तक जीएसटी कर प्रणाली की सम्पूर्ण समीक्षा की जाए तथा कर प्रणाली को सरलीकृत बनाया जाए एवं साथ ही किस तरह से कर का दायर बड़ाया जाए तथा केंद्र एवं राज्य सरकारों के राजस्व में किस तरह की वृद्धि क़ी जाए । कैट ने इस मुद्दे पर श्रीमती सीथारमन से मिलने का समय माँगा है । 


 


कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री बी सी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा है की नियम 86 बी देश भर के व्यापारियों के व्यापार पर विपरीत असर डालेगा । कोरोना के कारण व्यापार में आई अनेक प्रकार की परेशानियों से व्यापारी पहले ही त्रस्त हैं ऐसे में यह नया नियम व्यापारियों पर एक अतिरिक्त बोझ बनेगा । यह एक सर्व विदित तथ्य है की पिछले एक वर्ष से व्यापारियों का पेमेंट चक्र बुरी तरह बिगड़ गया है । लम्बे समय तक व्यापारियों द्वारा बेचे गए माल का भुगतान और जीएसटी की रक़म महीनों तक नहीं आ रही है ऐसे में एक प्रतिशत का जीएसटी नक़द जमा कराने का नियम व्यापारियों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ डालेगा जो न्याय संगत नहीं है । कैट ने कहा क़ी जीएसटी विभाग के पास फ़र्ज़ी बिलों के द्वारा जीएसटी लेकर राजस्व को चूना लगाने वाले लोगों के ख़िलाफ़ शिकायत हैं तो ऐसे लोगों को क़ानून के मुताबिक़ बहुत सख़्ती से निबटना चाहिए किंतु कुछ कथित लोगों को की वजह से सभी व्यापारियों को एक ही लाठी से हांकना न तो तर्क संगत है एवं न ही न्याय संगत । लिहाज़ा इस नियम को फ़िलहाल स्थगित किया जाए । 


 


श्री भरतिया एवं श्री खंडेलवाल ने यह भी कहा की पिछले समय में में जीएसटी के नियमों में आए दिन मनमाने संशोधन कर व्यापारियों पर पालना को बोझ लगातार बड़ाया जा रहा है जो की प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के “ ईज़ ऑफ़ डूइंग बिज़्नेस “ के सिद्धांत के ख़िलाफ़ है । इससे जीएसटी कर प्रणाली बेहद जटिल हो गई है । यह बड़ा सवाल है क़ी व्यापारी व्यापार करे या फिर करों सहित अन्य क़ानूनों की पालना ही करता रहे और उसका व्यापार बुरी तरह प्रभावित होता रहे । उन्होंने यह भी कहा क़ी अनेक नियमों ने द्वारा अधिकारियों को असीमित अधिकार दिए जा रहे हैं जो भ्रष्टाचार को पनपाएँगे।जीएसटी का पंजीकरण रद्द करने तथा गिरफ़्तार करने के नियम बेहद कठोर हैं , जिन पर चर्चा किया जाना आवश्यक है । यह बेहद खेद जनक है की ज़ीएसटी के किसी भी मामले में व्यापारियों से कोई भी सलाह मशवरा क़तई नहीं किया जाता जिसके कारण से मनमाने नियम व्यापारियों के ऊपर लादे जा रहे हैं । उन्होंने ज़ोर देकर कहा की एक बार जीएसटी की सम्पूर्ण कर प्रणाली कर व्यापक रूप से चर्चा होनी आवश्यक है जिससे न केवल व्यापारियों को सुविधा हो बल्कि सरकार के राजस्व में भी वृद्धि हो । व्यापारी सरकार के साथ सहयोग करने को तैय्यार हैं किंतु कर प्रणाली जितनी सरल होगी और कर पालना जितनी आसान होगी , उतनी ही अर्थव्यवस्था मज़बूत होगी ।

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