किसानों को मिलने लगा देश में कृषि सुधार के नए कानूनों का लाभ
एग्रोविजन की कृषि–खाद्य प्रसंस्करण समिट में केंद्रीय कृषि मंत्री श्री तोमर ने कहा-
कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में बढ़ेंगे काफी रोजगार- केंद्रीय मंत्री श्री गड़करी
नई दिल्ली । केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास, पंचायत राज तथा खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि देश में लाए गए कृषि सुधार के नए कानूनों का लाभ किसानों को मिलने लगा है। एग्रोविजन फाउंडेशन द्वारा आयोजित कृषि–खाद्य प्रसंस्करण समिट का वर्चुअल शुभारंभ करते हुए मुख्य अतिथि श्री तोमर ने यह बात कही। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सड़क परिवहन एवं राजमार्ग तथा एमएसएमई मंत्री नितिन गड़करी ने कहा कि केंद्र सरकार की योजनाओं के कारण कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में निकट भविष्य में काफी रोजगार बढ़ेंगे।
शुभारंभ समारोह में श्री तोमर ने कहा कि भारत की लगभग आधी आबादी की आजीविका कृषि पर निर्भर है और कृषि क्षेत्र की अर्थव्यवस्था की प्रगति, देश की तरक्की और देश की अर्थव्यवस्था से सीधे जुड़ी हुई है। कृषि, ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा प्रधानमंत्री पद संभालने के बाद से लगातार प्रयत्न हो रहा है कि खेती समृद्ध हो। किसानों के लिए जैसे प्लेटफार्म की आवश्यकता होती है, वह सारे उपाय सरकार कर रही है। सरकार ने नए कृषि कानून बनाए व आवश्यक वस्तु अधिनियम में भी महत्वपूर्ण संशोधन किया। किसानों को इनका लाभ मिलना भी शुरू हो गया है। कुछ किसान संगठन आंदोलन कर रहे हैं, जिन्हें किसानों को मिलने वाले फायदे समझाए जा रहे हैं। आने वाले वर्षों में कृषि जगत को इन रिफार्म्स का काफी फायदा मिलेगा और किसानों के लिए ये अत्यधिक लाभकारी सिद्ध होंगे।
श्री तोमर ने कहा कि देश में 10 हजार नए एफपीओ बनाने का काम भी प्रारंभ हो गया है। एफपीओ का यह नया संसार बनने वाला है, जिससे किसानों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव आएगा। इन एफपीओ पर सरकार अगले 5 साल में 6,850 करोड़ रू. खर्च करने वाली है। इनके माध्यम से किसानी की लागत कम होगी, किसान टेक्नालाजी का उपयोग करेंगे, महंगी फसलों की ओर आकर्षित होंगे, जिससे उनका जीवन स्तर ऊंचा उठेगा और इसका फायदा अंततः देश को ही मिलेगा। प्रधानमंत्री जी ने 1 लाख करोड़ रू. के कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर फंड की शुरूआत कर दी है। जैसे-जैसे फंड नीचे, गांवों तक पहुंचेगा तो निश्चित रूप से इसका बहुत फायदा किसानों को मिलेगा। निजी निवेश बढ़ेगा व कोल्ड स्टोरेज गांव-गांव होंगे तो किसान अपनी उपज कुछ समय रोककर भी बेच सकेंगे। इसी तरह की गेप्स को भरने का कार्य प्रधानमंत्री जी कर रहे है। क्लाइमेट चेंज भी हो रहा है, ऐसे में काफी चुनौतियां है, जिनसे निपटने के लिए सरकार ने अनेक योजनाएं व कार्यक्रम लागू किए हैं। मेगा फूड पार्क की योजना पर और बल दिया जा रहा है, कठिनाइयां दूर की जा रही है। फूड प्रोसेसिंग की दृष्टि से श्री गड़करी जी ने महत्वपूर्ण सुझाव दिए है, इस दिशा में उन्हें साथ लेकर फूड प्रोसेसिंग से संबंधित बैठक कर तेजी से प्रगति के लिए प्लानिंग की जाएगी।
श्री तोमर ने बताया कि सरकार, खाद्य प्रसंस्करण/मूल्यवर्धन में बड़े पैमाने पर निवेश हेतु अनुकूल माहौल बनाने के लिए हरसंभव कदम उठा रही है। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ने प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना (पीएमकेएसवाई) में 6 हजार करोड़ रू. के आवंटन के साथ एक मजबूत आधुनिक बुनियादी ढांचा नेटवर्क तैयार करने का लक्ष्य रखा है। पीएमकेएसवाई के तहत मंत्रालय ने वर्ष 2014 से, बीते 6 साल में 640 परियोजनाओं को मंजूरी दी है, जिनमें से लगभग ढाई सौ पूरी हो चुकी हैं। इनमें 21 मेगा फूड पार्क, लगभग पौने दो सौ कोल्ड चेन व मूल्यवर्धन बुनियादी ढांचा, करीब 50 प्रसंस्करण इकाइयां और अन्य परियोजनाएं शामिल हैं। 55 से ज्यादा कृषि-प्रसंस्करण क्लस्टर्स को भी मंजूरी दी गई है। इन सबसे लाखों किसानों को फायदा हो रहा है, वहीं रोजगार के अवसर भी काफी बढ़े हैं। आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ने जून-2020 में क्षेत्र में, ‘वोकल फॉर लोकल’ को प्रोत्साहित करने के लिए प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्योग उन्नयन नाम से योजना शुरू की है, जिसमें 5 साल में 10 हजार करोड़ रू. खर्च होंगे। क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी के जरिये 2 लाख सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण यूनिटों को लाभ पहुंचाने व एक जिला-एक उत्पाद का दृष्टिकोण अपनाने के लिए लक्षित इस क्षेत्र में यह पहली योजना है। 30 राज्यों ने 683 जिलों में 141 उत्पाद अनन्यता हेतु ओडीओपी की सिफारिश की है।
केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि श्री गड़करी जी ने विदर्भ क्षेत्र में किसानों की स्थिति सुधारने के लिए काफी प्रयत्न किए हैं। उनकी दृष्टि और उनके प्रयासों ने विदर्भ की पहचान को बदलना शुरू कर दिया है। वहां के किसानों के जीवन स्तर में बदलाव आया है। श्री तोमर ने एग्रोविजन फाउंडेशन की गतिविधियों की तारीफ करते हुए विश्वास जताया कि है कि दो दिनी इस सम्मेलन में कृषि क्षेत्र के विकास के सभी पहलुओं पर गहन विचार मंथन होगा और यह सम्मेलन किसानों, निवेशकों व उद्यमियों को एक नई दिशा देगा, जो कृषि के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगा।
कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री गड़करी ने कहा कि सरकार आगामी 5 साल में 5 करोड़ रोजगार सृजित करने का प्रयास कर रही हैं। ग्रामीण उद्योगों का टर्नओवर 80 हजार करोड़ रू. है, जिसे अगले 5 साल में 5 लाख करोड़ रू. करने का लक्ष्य है। इसके लिए कृषि एवं ग्रामीण क्षेत्र में प्लानिंग से काम हो रहा है। बंपर खाद्यान्न उत्पादन का जिक्र करते हुए श्री गड़करी ने कहा कि भारत में 280 लाख टन चावल है, जो हम विश्व को सप्लाय कर सकते हैं। नवाचार का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि कृषि क्षेत्र में 2 लाख करोड़ रू. की इकानामी एथेनाल से बनेगी, जिसमें से एक लाख करोड़ रू. किसानों की जेब में जाएंगे।
श्री गड़करी ने खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय द्वारा 37 मेगा फूड पार्क स्वीकृत करने व 21 प्रारंभ करने के लिए श्री तोमर को धन्यवाद दिया। श्री गड़करी ने कहा कि वर्ष 2030 तक भारत, दुनिया का 5वां सबसे बड़ा उपभोक्ता देश बनेगा, जिसके लिए भारत का खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र प्रगति कर रहा है। इसके विस्तार की योजना बनाई जा रही है। किसान रेल भी यशस्वी हुई है, जिससे रेलवे को एक करोड़ रू. का राजस्व तो अकेले विदर्भ से ही मिला है। उन्होंने प्याज के लिए विशेष स्टोरेज सिस्टम विकसित करने का सुझाव दिया ताकि भावांतर नहीं हो। प्रारंभ में एग्रोविजन फाउंडेशन के अध्यक्ष श्री रवि बोरातकर ने विचार रखें। सचिव डा. सी.डी. मायी ने आभार माना। इस अवसर पर मंत्रियों द्वारा प्रदर्शनी का शुभारंभ भी किया गया।