गढ़वाल विश्वविद्यालय श्रीनगर गढ़वाल का आठवां दीक्षांत समारोह सम्पन्न
हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय श्रीनगर गढ़वाल का आठवां दीक्षांत समारोह आज सम्पन्न हुआ। कोविड-19 आपदा के दिशा-निर्देशों के अनुरूप इस वर्ष दीक्षांत समारोह का आयोजन मूलतः ऑनलाइन माध्यम से किया गया, जबकि विश्वविद्यालय के कुछ अधिकारी सामान्य रूप से भी विश्वविद्यालय के प्रेक्षागृह से आयोजन में सम्मिलित हुए। समारोह का सीधा प्रसारण सोशल मीडिया (फेसबुक, यूट्यूब, यूनिवर्सिटी वेबसाइट, Twitter) तथा ई टीवी से भी किया गया। भारत सरकार के शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक', समारोह के मुख्यअतिथि थे तथा समारोह की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ. योगेन्द्र नारायण ने की, कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष प्रोफेसर डी.पी. सिंह थे। कार्यक्रम का आयोजन विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर अन्नपूर्णा नौटियाल के निर्देशन में किया किया गया तथा उनके अलावा इसमें विज़िटर द्वारा नामित सदस्य, विश्वविद्यालय कार्य परिषद् के सदस्य, विद्या परिषद् के सदस्य, डीन, कुलसचिव एवं क्षेत्र के प्रतिनिधियों ने समारोह में ऑनलाइन एवं प्रत्यक्ष रूप से हिस्सा लिया। समारोह में 72 छात्रों को पीएच.डी. तथा 83 छात्रों को स्नातकोत्तर की उपाधि प्रदान की गयी, इनके अलावा 39 विषयों में सर्वाधिक अंक प्राप्त करने वाले छात्रों को 59 स्वर्ण पदक भी प्रदान किए गए।
आठवां दीक्षांत
समारोह 2020 "ऑनलाइन शिक्षण एवं प्रतिस्कन्दन/Online education and
resilience'' विषय (theme) पर केंद्रित था जो ''शिक्षण, अधिगम एवं कौशल विकास─एक हिमालय की भावना के लिए"
(Education, learning and skill development-working for the cause of one
Himalaya) सूत्र वाक्य को अमल में लाने के विश्वविद्यालय के प्रयासों का अवलोकन
है।
कुलपति ने
विश्वविद्यालय का परिचय दिया एवं विश्वविद्यालय की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए
कहा कि विभिन्न भौगोलिक विषमताओं और संसाधनों की कमियों के बावजूद विश्वविद्यालय
ने कोविड-19 से उत्त्पन्न असहजता को ऑनलाइन माध्यमों के प्रयोग से सफलता
पूर्वक एक अवसर के रूप में परिवर्तित किया। इस दौरान विश्वविद्यालय ने अनेक
राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय गोष्ठियों एवं सेमिनारों का आयोजन किया। राष्ट्रपिता
महात्मा गाँधी की 150 वीं जन्मतिथि पर विश्वविद्यालय ने दुनियां के
अनेकों विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर अनेक गोष्ठियों का आयोजन किया।
उन्होंने बताया की वर्तमान में विश्वविद्यालय के तीनों परिसरों में 11 स्कूलों में
39 विभागों का संचालन हो रहा है तथा विश्वविद्यालय नयी शिक्षा नीति के
अनुरूप पाठ्यक्रमों की रुपरेखा विकसित करने की तयारी कर रहा है।
शोध एवं शैक्षणिक
गतिविधियों पर बात करते हुए कुलपति ने बताया कि विश्वविद्यालय
के नेतृत्व में भारतीय हिमालय केंद्रीय विश्वविद्यालयों के एक कार्य
समूह का गठन किया गया, जिसका उद्देश्य ‘एक हिमालय एवं मानवीय चेहरे के
साथ शोध’ की भावना के साथ हिमालयी राज्यों की ज्वलंत समस्याओं को कम
करना है। इस विश्वविद्यालय समूह का गठन भारत सरकार के माननीय शिक्षा
मंत्री श्री रमेश पोखरियाल जी की प्रेरणा और सहयोग से संभव हुआ है इस पहल में
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार श्री अजीत डोभाल एवं नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ राजीव
कुमार जी ने भी दिलचस्पी दिखाई और सहयोग दिया। कुलपति ने प्रसन्नता जाहिर
करते हुए कहा कि माननीय मंत्री जी ने हिमालय में न केवल दिलचस्पी दिखाई बल्कि
इसके उद्देश्यों की पूर्ति के लिए उनके शिक्षा मंत्रालय
ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के माध्यम से 2 करोड रुपए की राशि
भी स्वीकृत की।
शोध एवं शैक्षणिक
कार्यक्रमों का ब्यौरा देते हुए उन्होंने कहा कि वर्तमान में विश्वविद्यालय
के विभिन्न विभाग 13 करोड की शोध परियोजनाओं पर कार्य कर रहे हैं,
तथा विश्वविद्यालय ने विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों के साथ
शैक्षणिक एवं शोध कार्यक्रमों में सहयोग के लिए 26 एमओयू भी हस्ताक्षर किए
हैं। वर्ष 2019-20 में विश्वविद्यालय द्वारा 300 से अधिक शोध पत्र,
लेख तथा 14 पुस्तकें प्रकाशित हुई।
कुलपति ने बताया कि
विश्वविद्यालय ने ‘सैर-सलीका’ और ‘उमंग’ डॉक्यूमेंट्री के माध्यम से स्वामी
विवेकानंद जी की हिमालय पदयात्रा को लोकप्रिय बनाया है, जिससे क्षेत्र में पर्यटन
को बढ़ावा मिलेगा तथा 'एक भारत-श्रेष्ठ भारत' एवं 'वोकल फॉर लोकल' को बढ़ावा
मिलेगा, इसके अतिरिक्त विश्वविद्यालय की फैकल्टी द्वारा अनेक कार्यक्रमों जैसे
नमामि गंगे, उन्नत भारत, फिट इंडिया कैंपेन, ब्लड डोनेशन कैंप, कोविड अवेयरनेस,
कोविड के दौरान मानसिक स्वास्थ्य जैसे सामाजिक एवं राष्ट्रीय हित के कार्यक्रमों
का आयोजन एवं प्रतिभाग किया गया। ग्रीन केंपस के अंतर्गत चौरास परिसर को
हरित परिसर बनाने में कार्य हो रहा है। विश्वविद्यालय की भूमि पर एक
जैवविविधता पार्क का निर्माण भी बुगानी रोड पर चल रहा है।
हेमवती नंदन गढ़वाल
केंद्रीय विश्वविद्यालय को UGC ने संविधान दिवस की 70वी वर्ष गांठ पर वर्षभर
आयोजित कार्यक्रमों के लिए स्टेट कोऑर्डिनेटर युनिवेर्सिटी नामित किया गया।
जिसमें कोविड-19 के दौर में विश्वविद्यालय ने पूरे देश में सर्वश्रेस्ठ
प्रदर्शन किया।
कुलपति ने कहा
विश्वविद्यालय सही दिशा में अग्रसर है साथ ही एक सकारात्मक माहौल के लिए
प्रयत्नशील है। विश्वयविद्यालय नई शिक्षानीति के दिशा निर्देशों
के अनुरूप अपने पाठ्यक्रमों में लचीलापन लाएगा तथा NAAC में अपनी
रैंकिंग A से A+ करने के लिए सभी निर्धारित मानकों पर विश्वविद्यालय की
स्थिति में सुधार के लिए प्रयत्नशील है।
समारोह के विशिष्ट अतिथि तथा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग
के अध्यक्ष डॉ. धीरेन्द्र प्रताप सिंह जी ने विश्वविद्यालय तथा समारोह में
प्रतिभाग करने वाले विश्वविद्यालय की विभिन्न समितियों के सदस्यों, प्रतिभागियों
एवं उनके अभिवावकों को इस आयोजन के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा इस
दीक्षांत समारोह सभी उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों के लिए एक महत्वपूर्ण
दिन होता है उन्हें इसके पश्चात् अपने अर्जित ज्ञान का प्रयोग अपने समाज की
बेहतरी के लिए करना है। उन्होंने विद्यार्थियों के उज्जवल भविष्य की कामना करते
हुए उन्हें बधाई दी।
भारत सरकार के शिक्षा मंत्री तथा समरोह
के मुख्य अतिथि माननीय श्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने अपने सम्बोधन में
कहा कि स्थापना के 47वें वर्ष में प्रवेश करते हुए इस विश्वविद्यालय ने कठिन
चुनौतियों के बीच भी प्रगति की अपनी यात्रानिरंतर जारी रखी है, परिणामस्वरूप
2009 में इसे केन्द्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा प्राप्त हुआ।
उन्होंने
विश्वविद्यालय में नीति आयोग, नई दिल्ली द्वारा भारतीय हिमालयन केन्द्रीय
विश्वविद्यालय कंसोर्टियम (IHCUC) की स्थापना पर प्रसन्नता जाहिर की कि और
आशा व्यक्त की कि कंसोर्टियम पर्वतीय क्षेत्रो में महिला श्रमिको के आर्थिक
प्रभावों का संगणन एवं मूल्यांकन; विपणन के विशेष सन्दर्भों में हिमालयीराज्यों की
कृषि-पारिस्थितिकी; पर्वतीय क्षेत्रों में किफायती एवं पर्यावरण के अनुकूल पर्यटन
का विकास; पर्वतीय क्षेत्रो से पलायन नियंत्रण हेतुरोजगार के अवसरों का सृजन तथा
जल संरक्षण एवं संवर्धन की रणनीति के क्षेत्र केअध्ययन में अपनी महत्त्वपूर्ण
भूमिका निभाएगा।
माननीय मंत्री ने
कहा कि वह अपने को सौभाग्यशाली समझते हैं की वह इस विश्वविद्यालय के
भूतपूर्व छात्र रहे हैं और उन्हें इस विश्वविद्यालय के दीक्षांत
समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में आने का अवसर मिला है। उन्होंने बताया की
उनकी बहुत सी अनूठी यादें इस विश्वविद्यालय से जुड़ी हैं तथा छात्र
से मुख्य अतिथि तक का उनका सफर अनेकों उतार-चढ़ाव व चुनौतियों भरा रहा
है। उन्होंने कहा किसी भी संस्थान को मजबूती देने में और विस्तार
देने में पूर्व छात्रों का योगदान होता है। पूर्व छात्र अपनी जड़ों को छोड़ते नहीं
हैं और तन, मन, धन से संस्थान की सेवा में हमेशा अग्रसर रहते हैं। देने की
प्रवृत्ति से संस्थान और संस्थानों से समाज व राष्ट्र को मजबूती मिलती है।
उन्होंने छात्रों से कहा विद्या दान एवं वित्त दान और समय दान, जो भी आप
सक्षम हों अवश्य करें। यही हमारे देश की संस्कृति भी है और परंपरा भी।
उन्होंने
कहा यह विश्वविद्यालय हिमालय की पहाड़ियों की गोद में देश के सुंदरतम
कैंपस में से एक है तथा गढ़वाल क्षेत्र में हर एक संस्थान आपको संरक्षण एवं योगदान
की नज़रों से देखता है। आपको अपनी भूमिका को समझते हुए अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन
करना होगा। आपके पास अपार संभावनाएं हैं चाहे विज्ञान हो, पर्यावरण हो या फिर
आध्यात्म। आप "सेन्टर ऑफ एक्सीलेंस" के तौर पर पूरे देश और दुनिया को
लीड कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि
शिक्षा व्यापक तौर पर राष्ट्र निर्माण का काम करती है और सूक्ष्म रूप से चरित्र निर्माण
का। हमें चरित्र निर्माण से राष्ट्र निर्माण की ओर बढ़ना होगा। मेरा एक ही मंत्र है
- Nation First, Character Must (नेशन फर्स्ट, करैक्टर मस्ट)। उन्होंने कहा
की इस विचार के प्रणेता स्वामी विवेकानंद भी थे और महर्षि अरविंद भी। और इसी
विचार को माननीय प्रधानमंत्री जी ने नई शिक्षा नीति के रूप में मजबूती दी है।
उन्होंने
कहा की नई शिक्षा नीति चरित्र से व्यक्ति और व्यक्ति से राष्ट्र निर्माण
की परिकल्पना पर आधारित है जो न केवल प्रोफेशनल पैदा करेगी बल्कि विश्व नागरिक भी
तैयार करेगी। ऐसा विश्व मानव जिसके संस्कार एवं मूल्य भारतीयता पर टिके हों और
उसका विजन वैश्विक हो। जो नेशन फर्स्ट को भी समझता हो और वसुधैव कुटुम्बकम को भी
मानने वाला हो।
उन्होंने
कहा ऐसा कोई क्षेत्र नहीं, ऐसा कोई प्रदेश नहीं जहां हमें पहाड़ की छाप और
पुरुषार्थ की छाया देखने को न मिले।, उन्होंने कहा की उत्तराखंड देवभूमि
है और यहां हर व्यक्ति में देवत्त्व है। हमें अपनी दैवीय आस्था, संस्कार एवं जीवन
पद्धति को संचित करना होगा। उन्होंने छात्रों से कहा की उन्हें उधमिता की
भावना का विकास करना है और गढ़वाल विश्वविद्यालय इस संबंध में परिवर्तनकारी पहल कर
उनको सपोर्ट सिस्टम दे सकता है।
उन्होंने कहा
की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी हमेशा स्टार्टअप की बात करते हैं, हमें
नौकरी करने वाले से नौकरी देने वाला बनना है। विश्विद्यालयों को इसमें निर्णायक
भूमिका निभानी है, उनको एक नेतृत्व प्रदान करना है।
विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉक्टर योगेंद्र नारायण ने समारोह में प्रतिभाग करने वाले सभी लोगों का धन्यवाद किया, उन्होंने उन्होंने विशेष रूप से भारत सरकार के शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक जी का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि
मंत्री नई शिक्षा नीति के जनक हैं और यह शिक्षा नीति पूरे देश की शिक्षा पद्धति को बदल देने वाली है। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति का फलक बहुत व्यापक है और यह प्राइमरी शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा स्तर तक कई नए एवं महत्वपूर्ण विचारों को समाहित किए हुई है जोकि उच्च कुशल नागरिक और नवाचार को प्रोत्साहित करने वाली है। हम सभी का कर्तव्य है इसके क्रियान्वयन को सुनिश्चित करें।
उन्होंने बताया कि
सरकार आत्मनिर्भरता, कौशल विकास एवं विभिन्न भारतीय विज्ञान और ज्ञान परंपरा की
विरासत का निर्माण रचनात्मक सोच को विकसित करने के लिए प्रयासरत है। उन्होंने
आत्मनिर्भरता के महत्व पर भी प्रकाश डाला
और कहा कि संकट भी अपनी निर्भरता की प्रेरणा देते हैं। उन्होंने कहा नई
शिक्षा नीति में कौशल विकास पर भी विशेष जोर दिया गया है जो कि हमारी जरूरत जरूरतों
को पूरा करने के लिए अत्यंत जरूरी है विद्यार्थियों को कौशल विकास के जरिए
स्वरोजगार की तरफ पढ़ने की आवश्यकता है, जिसके लिए सरकार भी वित्तीय सहायता देकर
प्रोत्साहन दे रही है।
रचनात्मक
चिंतन नई शिक्षा नीति का एक महत्वपूर्ण भाग है, हमें अपने छात्रों को लीक से हटकर
सोचने के लिए प्रेरित करना होगा हमारी परीक्षाओं का आयोजन भी इसी तर्ज पर होना
चाहिए।
उन्होंने कहा
कि विश्वविद्यालय की पहचान इस बात से होती है कि वह भारतीय विश्वविद्यालय की
सूचियों में किस पायदान पर है, और खुशी व्यक्त की कि हमारा विश्वविद्यालय भारत के
केंद्रीय विश्वविद्यालयों की सूची में प्रथम 5 विश्वविद्यालयों में से एक है और
इसे और बेहतर करके भारत के समस्त विश्वविद्यालयों की सूची में प्रथम 50
विश्वविद्यालयों में लाना है।
इस अवसर पर दीक्षांत
समारोह के संयोजक प्रोफेसर आरसी रमोला, ऑनलाइन के संयोजक प्रोफेसर वाईपी रेहमानी, मीडिया
समिति के संयोजक प्रोफेसर एम एम सेमवाल, प्रो आर सी भट्ट,डा दीपक राणा, महेश डोभाल,
नरेश खंडूरी, राजेन्दर प्रसाद, प्रो आर पी एस नेगी, प्रो इंदु खंडूरी, डॉ
प्रीतम सिंह नेगी, डॉ नरेश राणा, ,डॉ नरेश कुमार, प्रो अरूण बहुगुणा श्वेता वर्मा,
प्रदीप मल्ल, हीमशीखा गुसाई आदि उपस्थित थे।
विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रोफेसर एन.एस.
पवार ने सभी अतिथियों एवं छात्रों का धन्यवाद ज्ञापन किया।