9 राज्यों में 196 बेटर लाइफ फार्मिंग सेंटरों का केंद्रीय कृषि मंत्री ने किया शुभारंभ

 


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0 हजार नए एफपीओ से गांवों में बढ़ेंगे रोजगार- श्री तोमर

1 लाख करोड़ रू. के एग्री इंफ्रा फंड से किसानों के खेतों तक पहुंचेंगे साधन-सुविधाएं

कृषि सुधार के नए कानूनों के बहुत अच्छे परिणाम आने वाले हैं, देश के किसानों का समर्थन

नई दिल्ली । केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास, पंचायत राज और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने 9 राज्यों में कृषक उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के साथ मिलकर बेहतर कार्य करने के लिए स्थापित 196 बेटर लाइफ फार्मिंग सेंटरों का शुभारंभ किया। कार्यक्रम में राष्ट्रीय किसान दिवस की बधाई देते हुए श्री तोमर ने कहा कि 10 हजार नए एफपीओ से गांवों में रोजगार बढ़ेंगे, वहीं 1 लाख करोड़ रू. के कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर फंड से किसानों के खेतों तक साधन-सुविधाएं पहुंचेंगे। कृषि सुधार के नए कानूनों के बहुत अच्छे परिणाम आने वाले है। पंजाब को छोड़कर देशभर के किसान इन कानूनों का खुलकर समर्थन कर रहे हैं।

ये बेटर लाइफ फार्मिंग सेंटर उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड, ओड़िशा, पश्चिम बंगाल व कर्नाटक में शुरू हुए हैं। कार्यक्रम में लगभग 15 हजार प्रगतिशील किसानों व 200 एफपीओ के सदस्यों के साथ ही राज्यसभा सदस्य पद्मश्री डा. विकास महात्मे, बायर ग्रुप के एमडी डी. नारायन, बायर क्रॉप साइंस साउथ एशिया के सीओओ  सिमोन थॉरस्टन, इंटरनेशनल फाइनेंस कार्पोरेशन के साउथ एशिया प्रतिनिधि  हर्ष विवेक, नेटाफिम के एमडी श्री रणधीर चौहान, यारा इंटरनेशनल के सीईओ  संजीव कंवर, ग्रोवर इंगेजमेंट-बायर के हेड  रोहित मैनी एवं सेंटरों के सदस्य शामिल हुए। 

मुख्य अतिथि श्री तोमर ने उम्मीद जताई कि सेंटरों से जुड़े हजारों किसान अपनी कृषि संबंधी जरूरतों को पूरा करने के साथ ही आय बढ़ाने में कामयाब होंगे व सभी एफपीओ सफलतापूर्वक कार्य करेंगे। ये सभी 9 राज्य कृषि की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, इनमें किसानों की जोत छोटी है। इनमें सेंटर खोलना किसानों व एफपीओ के हित में सकारात्मक सोच है। देश में 86 प्रतिशत छोटे किसान है, जो खेती में स्वयं निवेश करने की क्षमता नहीं रखते है व महंगी फसलें उत्पादित करने की रिस्क नहीं ले पाते, परंपरागत ढंग से खेती करते हैं, जिससे अच्छे मुनाफे से वंचित रह जाते हैं। ऐसे में ये सेंटर किसानों की भलाई के लिए मील का पत्थर साबित होंगे। उन्होंने बताया कि सरकार ने 10 हजार नए एफपीओ बनाने की स्कीम प्रारंभ कर दी है, जिस पर 5 साल में 6,850 करोड़ रू. खर्च होंगे। इनकी वित्तीय मजबूती के मद्देनजर इक्विटी ग्रांट व क्रेडिट गारंटी फंड है। प्रति किसान 2 हजार रू. तक के मैचिंग ग्रांट के रूप में इक्विटी ग्रांट होगा, जिसकी अधिकतम सीमा 15 लाख रू. प्रति एफपीओ होगी। डेढ़ हजार करोड़ रू. तक के क्रेडिट गारंटी फंड का उद्देश्य एफपीओ को बिना किसी कोलैटरल एवं थर्ड पार्टी गारंटी के बैंक से 2 करोड़ रू. तक का लोन आसानी से दिलाना है। एफपीओ को प्रोफेशनल तरीके से आगे बढ़ाने एवं जमीनी स्तर पर कार्यान्वयन के लिए क्लस्टर बेस्ड बिजनेस आर्गेनाइजेशन का प्रावधान है। प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना, कस्टम हायरिंग सेंटर व सामान्य सुविधा केंद्र के माध्यम से गांवों में रोजगार बढ़ेंगे। निर्यात को भी बढ़ावा मिलेगा। 

श्री तोमर ने कहा कि किसानों की भलाई के लिए भारत सरकार बहुत तेजी से काम कर रही है। निजी निवेश नहीं आने तक किसी भी क्षेत्र की ग्रोथ नहीं होती है। कृषि के क्षेत्र में अभी तक गांवों, खेतों, ग्राम पंचायतों तक इंफ्रास्ट्रक्चर का लाभ नहीं मिल पाया था, इसीलिए 1 लाख करोड़ रू. के फंड का प्रावधान किया गया है। इससे निजी निवेश गांव-गांव तक पहुंचाने का लक्ष्य है। सरकार का उद्देश्य यह है कि किसानों के खेतों तक साधन-सुविधाएं पहुंचाए जाएं। इस फंड से लोन देना शुरू किया जा चुका है। कृषि मंत्रालय के पोर्टल पर भी सीधे आवेदन किया जा सकता हैं। बैंक लोन दें, इसकी नियमित मानीटरिंग की जा रही है। इस लोन पर 3 प्रतिशत ब्याज छूट दी जा रही है, जिससे सवा 4 प्रतिशत ब्याज पर लोन मिल सकेगा। कृषि से सम्बद्ध क्षेत्रों के लिए भी सरकार ने 50 हजार करोड़ रू. से ज्यादा का प्रावधान किया है, जिसका लाभ लिया जाएं। एफपीओ के साथ ही अन्य किसानों को भी इन फंड से बनने वाले इंफ्रास्ट्रक्चर का लाभ होगा। इन तमाम सुविधाओं को देखते हुए नई पीढ़ी के युवा भी खेती के लिए आगे आएंगे।

उन्होंने बताया कि किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) से कोरोना संकट के दौरान लगभग डेढ़ करोड़ किसानों को लाभ मिला है, जिन्हें डेढ़ लाख करोड़ रू. से ज्यादा के लोन स्वीकृत किए गए है। पीएम किसान सम्मान निधि में 10 करोड़ 59 लाख किसानों को 96 हजार करोड़ रू. दिए जा चुके हैं। 25 दिसंबर को दोपहर 12 बजे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के हाथों इस स्कीम की एक और किश्त में 9 करोड़ किसानों को 18 हजार करोड़ रू. सीधे उनके बैंक खातों में शिफ्ट किए जाएंगे। कृषि सुधार कानूनों के लिए भी प्रधानमंत्री जी ने पहल की, जिससे किसानों को शोषण से मुक्ति मिलेगी। अब किसान अपने खेत या घर से कहीं भी- किसी को भी अपनी उपज बेचने के लिए स्वतंत्र है। एपीएमसी रहेगी लेकिन मंडी के बाहर टैक्स नहीं होगा, जिसका लाभ भी किसानों को ही मिलेगा और वह वाजिब दाम पाने में सफल हो सकेगा। किसानों का कृषि उपज ले जाने का खर्चा भी बचेगा। नए कानून में किसानों को उनकी उपज का भुगतान अधिकतम 3 दिन में मिलेगा। किसानों को घर बैठे ही मोबाइल फोन पर देशभर के कृषि उपज के भाव मालूम होंगे, जिससे वे उचित मूल्य पर उपज बेच सकेंगे। इससे पारदर्शिता रहेगी, इंस्पेक्टर राज की समाप्ति होगी। सुशासन की दृष्टि से यह बहुत बड़ा कदम है, जिससे किसानों के जीवन में बदलाव आएगा व समृधि बढ़ेगी। कांट्रेक्ट फार्मिंग के कानून से, छोटे किसानों के पास बड़े खरीददार खुद चलकर आएंगे व प्रस्ताव देंगे कि किस दाम पर बुवाई पूर्व ही सौदा कर सकते हैं। इससे किसान महंगी फसलों की ओर आकर्षित होंगे व गांव-गांव फूड प्रोसेसिंग की सुविधा होगी तथा कृषि उपज का निर्यात भी बढ़ेगा। अनुबंध करना किसान पर निर्भर है। यह सुनिश्चित किया गया है कि किसानों की भूमि पूरी तरह से सुरक्षित रहेगी। 

कार्यक्रम में सांसद डा. महात्मे ने कहा कि बेटर लाइफ फार्मिंग सेंटरों से किसानों को बहुत सुविधा होगी, वे उपज खेत से ही बेच सकेंगे। डा. महात्मे ने नए कानूनों को किसानों के हक में बताते हुए कहा कि उन्हें पहली बार स्वतंत्रता मिली है। किसानों को वैकल्पिक बाजार मिल गया, अब उचित मूल्य मिलेगा।


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