आईआईटी रुड़की भारत का गर्व है क्योंकि यह एशिया का सबसे पुराना प्रौद्योगिकी संस्थान है - केंद्रीय शिक्षा मंत्री

आईआईटी रुड़की को ह्यूमन-एनिमल कॉनफ्लिक्ट को कम करने के लिए कुछ उपयुक्त उपायों पर काम करना चाहिए और साइंटिफिक सोशल रिस्पांसिबिलिटी में योगदान देना चाहिए- केंद्रीय शिक्षा मंत्री। रुड़की : शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने आज भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), रुड़की में नए लेक्चर हॉल कॉम्प्लेक्स (एलएचसी), सेंट्रलाइज्ड हीटिंग, वेंटिलेशन, एयर कंडीशनिंग (एचवीएसी) और एक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) का ऑनलाइन उद्घाटन किया। इस अवसर पर संजय धोत्रे, राज्य मंत्री- शिक्षा, भारत सरकार उपस्थित रहे। कार्यक्रम के दौरान प्रो. अजीत के. चतुर्वेदी, निदेशक- आईआईटी रुड़की, प्रो. मनोरंजन परीदा, उप-निदेशक आईआईटी रुड़की, डीन, सहायक डीन, विभागाध्यक्ष/ केंद्राधीक्षक, प्रोफेसर-इन-चार्ज, रजिस्ट्रार, संयुक्त रजिस्ट्रार, उप-रजिस्ट्रार आईआईटी रुड़की भी उपस्थित रहे।


इस अवसर पर शिक्षा मंत्री डॉ निशंक ने कहा कि आईआईटी रुड़की भारत का गर्व है क्योंकि यह एशिया का सबसे पुराना प्रौद्योगिकी संस्थान है। प्रमुख संस्थानों में शामिल आईआईटी रुड़की ने अकादमिक क्षेत्र में भारत में एक उच्च मानक स्थापित किया है और भारत के प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण के अनुरूप ‘न्यू इंडिया’ के निर्माण में सक्रिय रूप से योगदान दे रहा है। आईआईटी रुड़की हिमालय क्षेत्र में स्थित है, जो अपने विविध परिस्थितिकीतंत्र के लिए जाना जाता है। हालांकि यहाँ ह्यूमन-एनिमल कॉनफ्लिक्ट समान्य हो गया है।  मंत्री ने आईआईटी रुड़की से अपील किया कि संस्थान इस संघर्ष को कम करने के लिए कुछ उपयुक्त उपायों पर काम करे और साइंटिफिक सोशल रिस्पांसिबिलिटी में अपना योगदान दे। श्री पोखरियाल ने कहा कि नई शिक्षा नीति -2020 ने देश के युवाओं के बौद्धिक विकास के लिए एक नई रूपरेखा प्रस्तुत की है। सरकार ने तेजी से बदलती दुनिया तथा भविष्य की चुनौतियों और जरूरतों को ध्यान में रखते हुए शिक्षा प्रणाली में बदलाव लाने का एक बड़ा प्रयास किया है।


उन्होंने उम्मीद जताई कि एनईपी- 2020 के कार्यान्वयन से छात्रों को काफी मदद मिलेगी और भारत को एक विकसित, डिजिटल और आत्मनिर्भर देश बनाने का मार्ग प्रशस्त होगा।


प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए श्री धोत्रे ने कहा कि इन्फ्रास्ट्रक्चर शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। तीन नए प्रोजेक्ट- लेक्चर हॉल कॉम्प्लेक्स (एलएचसी), सेंट्रलाइज्ड हीटिंग, वेंटिलेशन, एयर कंडीशनिंग (एचवीएसी) और एक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) समय के साथ बदलती आवश्यकताओं के अनुरूप बुनियादी ढांचे को मजबूत करेंगे और इसे वैश्विक मानकों के अनुरूप लाएंगे। उन्होंने आईआईटी रुड़की को इस पहल के लिए बधाई दिया और भविष्य की प्रयासों के लिए शुभकामनाएं भी दी।


लेक्चर हॉल कॉम्प्लेक्स (एलएचसी) का निर्माण 2016 में शुरू हुआ था। इसकी लागत लगभग 80.25 करोड़ रुपया है और इसका निर्माण 13,254 वर्ग मीटर क्षेत्र में किया गया है। 4400 व्यक्तियों की क्षमता वाले इस हॉल में सात कक्षाएँ ऐसी हैं जिनमें प्रत्येक में 250 व्यक्तियों के बैठने की जगह है, 11 कक्षाएं ऐसी हैं जिसमें 150 व्यक्तियों के बैठने की जगह है और 24 अन्य कक्षाओं में 24 व्यक्तियों के बैठने की जगह है। सेंट्रलाइज्ड हीटिंग, वेंटिलेशन, एयर कंडीशनिंग सिस्टम (एचवीएसी) चिल्ड वाटर कूलिंग टेक्नोलॉजी के साथ तीन बिल्डिंग- लेक्चर हॉल काम्प्लेक्स-I/II और दीक्षांत समारोह हॉल में होने वाले विभिन्न गतिविधियों को आसान बनाएगा। इस प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत 14.35 करोड़ रुपया है। इस परियोजना का मुख्य आकर्षण रिमोट मैनेजमेंट सिस्टम (बीएमएस) है, जो रिमोट कंट्रोल द्वारा संचालन की सुविधा प्रदान करता है। साथ ही डिज़ाइन भी इसकी एक विशेषता है जो इसकी क्षमता के अधिकतम उपयोग और ऊर्जा सुरक्षा को सुनिश्चित करता है। 3 एमएलडी क्षमता वाला सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट आईआईटी रुड़की कैंपस के सी-क्लास क्लब के पास सोलानी कुंज में स्थित है। प्लांट कुल 1800 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैला है, और इसकी अनुमानित निर्माण लागत 27.73 करोड़ रुपया है। एसटीपी सीक्वेंसिंग बैच रिएक्टर (एसबीआर) प्रक्रिया के तहत काम करता है। आईआईटी रुड़की एसटीपी की अनूठी विशेषता आवासीय क्षेत्र में अतिरिक्त गंध नियंत्रण और उन्नत तृतीयक उपचार सुविधा है। 1800 वर्ग मीटर में निर्मित एसटीपी में अपशिष्ट जल के उपचार के लिए सीक्वेंसिंग बैच रिएक्टर (एसबीआर) शामिल है। यह पीएलसी (प्रोग्रामेबल लॉजिक कंट्रोलर) और एससीएडीए (सुपरवाइजरी कंट्रोल एंड डेटा एक्विजिशन) से भी लैस है। एसटीपी प्रोजेक्ट की कुल लागत लगभग 27.73 करोड़ रुपया है। प्रो. अजीत के. चतुर्वेदी- निदेशक, आईआईटी रुड़की, ने माननीय शिक्षा मंत्री और माननीय राज्य मंत्री के प्रति आभार प्रकट करता हूँ कि उन्होंने अपना बहुमूल्य समय निकालकर संस्थान के तीन महत्वपूर्ण परियोजनाओं का उद्घाटन किया। उन्होंने आगे संस्थान की प्रगति के लिए उनके निरंतर सहयोग और मार्गदर्शन की आशा व्यक्त की।


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