मंत्रालय ने घुटना प्रत्यारोपण उपकरणों के निर्धारित मूल्य की अवधि 14 सितंबर तक बढ़ाई
इससे आम लोगों की 1500 करोड़ रुपए की बचत होगी
नई दिल्ली
रसायन और उर्वरक मंत्रालय के फार्मास्युटिकल्स विभाग के अधीन राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एपीपीए) ने आम आदमी तक उचित मूल्य पर आवश्यक चिकित्सा उपकरणों की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए घुटना प्रत्यारोपण उपकरणों की “निर्धारित मूल्य” की अवधि 14 सितंबर 2021 तक के लिए एक वर्ष और बढ़ा दी है।
एनपीपीए की ओर से इस संबंध में दवा मूल्य नियंत्रण आदेश (डीपीसीओ) 2013 (अनुलग्नक II) के तहत 15 सितंबर 2020 को एक अधिसूचना जारी की गई है।
एन पी पी ए ने दिनांक 16 अगस्त, 2017 को जारी आदेश क्रम संख्या एस.ओ. 2668 (ई) के जरिए घुटना प्रत्यारोपण उपकरणों की कीमत पहली बार एक वर्ष की अवधि के लिए निर्धारित की थी। इसकी समय सीमा 13 अगस्त 2018 और फिर 15 अगस्त 2019 को एक-एक वर्ष के लिए और बढ़ा दी गई। उपरोक्त अवधि 15 अगस्त 2020 को समाप्त हो रही थी ऐसे में इसकी समीक्षा करना आवश्यक हो गया था।
जुलाई 2020 में एनपीपीए ने ऐसे उपकरण बनाने वाली या इनका आयात करने वाली सभी कंपनियों से जुलाई 2018 से जून 2020 तक की अवधि के बिक्री के आंकड़े प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। इसके बाद एनपीपीए ने 6 अगस्त 2020 को आयोजित अपनी बैठक में ऐसी 14 प्रमुख कंपनियों (10 आयातक और 4 घरेलू निर्माता) से एकत्र किए गए आंकड़ों का अवलोकन करने के बाद यह तय किया कि 15 अगस्त 2020 तक लागू कीमतों की समय सीमा 15 सितंबर 2020 तक एक महीने और बढ़ा दी जाएं।
इस विषय पर 14 सितंबर 2020 को हुई प्राधिकरण की बैठक में फिर से चर्चा की गई। बैठक में यह पाया गया कि वर्ष 2017 में इन उपकरणों की अधिकतम मूल्य सीमा निर्धारित करने से दो वर्षो में इनकी कीमतों में 69 प्रतिशत तक की कमी आई और साथ ही ऐसे उपकरण बनाने वाली घरेलू निर्माता कंपनियो की बाजार हिस्सेदारी में भी 11 प्रतिशत का इजाफा हुआ जो सरकार के 'आत्मनिर्भर भारत' की सोच के अनुरुप है।
इन बातों को ध्यान में रखते हुए यह आवश्यक समझा गया कि व्यापक सार्वजनिक हित में प्रत्यारोपण उपकरणों की कीमतों को विनियमित किया जाना जारी रखा जाना चाहिए। परिणामस्वरुप एनपीपीए ने इन उपकरणों की मौजूदा निर्धारित मूल्य सीमा की अवधि को एक वर्ष (14 सितंबर 2021 तक) बढ़ाने का फैसला किया और 15 सितंबर 2020 को इस संबंध में बाकायदा एक अधिसूचना जारी की गई। सरकार के इस इस कदम से आम आदमी के 1500 करोड़ रुपये बचाए जा सकेंगे।