शासन में सुधार के लिए सांसदों के काम में जनता की भागीदारी जरूरी : ओम बिरला

सोशल मीडिया के जरिये संसद को घर-घर पहुंचाने में मिली सफलता : लोकसभा अध्यक्ष 


नई दिल्ली। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने वर्चुअल माध्यम से आयोजित किए जा रहे संसदों के अध्यक्षों के पांचवें विश्व सम्मेलन के दूसरे दिन गुरुवार को 'संसदों और लोगों के बीच दूरी को कम कर शासन में सुधार करना विषय पर हुई पैनल चर्चा में भाग लिया । 


लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी क्रांति के इस दौर में संसदीय निगरानी और शासन में सुधार लाने के लिए सभी संसदों को अपने कामकाज में जनता की भागीदारी बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने इस बात का उल्लेख किया कि 135 करोड़ लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व कर रही भारत की संसद जनता से सतत संपर्क बनाए रखने में सक्रिय भूमिका निभा रही है। उन्होंने कहा कि इस जटिल प्रक्रिया को पांच 'आईÓ के माध्यम से फलीभूत किया जाता है : 'इंटरेक्टÓ, जिसके अंतर्गत हमारे सांसद हमेशा जनता से जुड़े रहते हैं और उनसे प्राप्त सूचना एवं सुझावों को सदन में परिलक्षित करते हैं। 'इन्फॉर्मÓ, अर्थात जनता को सूचना प्रसार माध्यमों और सोशल मीडिया के जरिये लगातार सरकार की योजनाओंं और नीतियों के बारे में अवगत कराया जाता है। 'इंवोल्वÓ, अर्थात जन-जन को विकास प्रक्रिया में शामिल किया जाता है। 'इम्बाइबÓ, अर्थात जनता से शासन प्रक्रिया पर मिले सुझावों को आत्मसात किया जाता है और 'इम्प्रूवÓ के तहत शासन प्रक्रिया एवं योजनाओं में अपेक्षित सुधार किया जाता है।   


इस बात का जिक्र करते हुए कि भारत की संसद देश की सर्वोच्च विधायी संस्था है, ओम बिरला ने कहा कि हमारी संसद जन-जन से जुड़ी है और पारदर्शिता व सुशासन सुनिश्चित करने पर हमेशा जोर देती है। श्री बिरला ने यह भी कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान भी हमारी संसद ने सांसदों और जनता के बीच 24&7 संपर्क बनाये रखा और हजारों जरूरतमंदों को तत्काल राहत और आवश्यक सहायता उपलब्ध कराई। 


ओम बिरला ने यह टिप्पणी की कि हमारी मजबूत समिति प्रणाली विधायी जांच में जनता की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करती है। इसके अलावा, लोकसभा और राज्यसभा टीवी चैनलों पर सदन की कार्यवाही के लाइव प्रसारण, समर्पित वेबसाइटों और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से हम संसद को घर-घर पहुंचाने में सफल रहे हैं। 


दो दिन चले इस सम्मेलन के दौरान प्रतिभागियों ने महिला-पुरुष समानता, राजनीतिक प्रक्रिया में युवाओं की सहभागिता, जलवायु परिवर्तन, मानव प्रवास और आतंकवाद जैसे अनेक मुद्दों पर अपने अनुभव और विचार साझा किए गए। राजीव प्रताप रूड़ी, सांसद मीनाक्षी लेखी, लोकसभा की महासचिव स्नेहलता श्रीवास्तव ने भी पैनल चर्चा में भागीदारी निभाई। 


संसदों के अध्यक्षों के पांचवें विश्व सम्मेलन का आयोजन अंतर संसदीय संघ, जेनेवा और ऑस्ट्रिया की संसद द्वारा संयुक्त रूप से 19 और 20 अगस्त 2020 को संयुक्त राष्ट्र के सहयोग से किया गया। इतने बड़े अंतर्राष्ट्रीय संसदीय सम्मेलन का आयोजन पहली बार वर्चुअल माध्यम से हुआ। इस सम्मेलन का विषय था प्रभावी बहुपक्षीय के लिए एक ऐसा संसदीय नेतृत्व, जिससे पृथ्वी और मानवजाति का सतत विकास और शांति सुनिश्चित हो सके। सम्मेलन के दूसरे भाग का आयोजन अगले साल आस्ट्रिया की राजधानी वियना में होगा। कोविड -19 महामारी और विश्व पर इसके विनाशकारी प्रभाव के परिदृश्य में आयोजित किए गए इस सम्मेलन का उद्देश्य बेहतर विश्व के निर्माण के लिए बहुपक्षवाद और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना है।


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