गांवों व किसानों की ताकत को न मुगल खत्म कर पाएं न अंग्रेज - केंद्रीय मंत्री श्री तोमर

 देश को आत्मनिर्भर बनाने में इन्हीं की अग्रणी भूमिका रहेगी


केवीके की भूमिका कृषि कोतवाल की, सकारात्मक प्रतिस्पर्धा करें, कृषि की प्रगति का भाव हरेक में हों मध्यप्रदेश- छत्तीसगढ़ के कृषि विज्ञान केंद्रों की 27वीं जोनल कार्यशाला का समापन समारोह


नई दिल्ली । मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) की 27वीं जोनल कार्यशाला का समापन समारोह केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास तथा पंचायती राज मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के मुख्य आतिथ्य में हुआ। इस अवसर पर श्री तोमर ने कहा कि हमारे देश के गांवों और किसानों की ताकत को न को मुगल खत्म कर पाएं, न ही अंग्रेज हिला पाएं, न ही अन्य कोई तोड़ पाया। अब प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के आव्हान पर भारत को आत्मनिर्भर बनाने में भी गांवों व किसानों की ही अग्रणी भूमिका रहेगी। श्री तोमर ने कहा कि केवीके की भूमिका कृषि कोतवाल की है, वे आपस में सकारात्मक प्रतिस्पर्धा करें। कृषि की प्रगति- उन्नति का भाव हरेक के मन में हो तो कृषि के विकास के साथ-साथ देश को आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकेगा।


भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान (अटारी), जबलपुर द्वारा आयोजित तीन दिनी कार्यशाला के समापन पर श्री तोमर ने कहा कि आज खेती की दृष्टि से भारत संतुष्टि की स्थिति में है। दूध एवं अन्य खाद्य पदार्थों के उत्पादन के मामले में भी हमारा देश बहुत अच्छी स्थिति में है। यह सब किसानों एवं वैज्ञानिकों की अथक मेहनत का सुफल हैं। छत्तीसगढ़ जहां धान का कटोरा है, वहीं म.प्र., देश में दलहन-तिलहन उत्पादन में अग्रणी है और सात साल से कृषि कर्मण अवार्ड पा रहा है। उन्होंने कहा कि केवीके कृषि की प्रगति-उन्नति के लिए हैं, यह भाव हरेक कर्मचारी के मन में होना चाहिए। सभी केवीके को प्रतिस्पर्धी होना चाहिए, ताकि कृषि के विकास के साथ देश और ऊंचाइयों पर पहुंचे। केवीके के परिश्रम से काफी उपलब्धियां अर्जित हुई है, यह भी सोचा जाएं कि कार्यक्षेत्र की कमजोरियां कौन-सी है व इन्हें दूर करने का रौडमेप बनाएं। समाज व एनजीओ को जोड़ते हुए बेहतर काम करना चाहिए। प्रधानमंत्री जी के आव्हान पर किसानों को मृदा स्वास्थ्य परीक्षण कार्ड वितरण का कार्य अच्छे से हुआ। स्थितियों को और अच्छा बनाने पर भी विचार व कार्य होना चाहिए। केवीके कृषि कोतवाल के रूप में है। उन्हें समाज को, युवाओं को जोड़ना होगा जो कृषि विस्तार को कुशलतापूर्वक आगे बढ़ा सकें। श्री तोमर ने कहा कि आपदाओं पर विजयी प्राप्त करने की ताकत कृषि व्यवस्था और ग्रामीण भारत के पास ही है। कोरोना संकट में तमाम प्रतिकूलताओं के बावजूद फसल कटाई हुई, ग्रीष्म ऋतु की फसलें अच्छे से बोई गई व उपार्जन भी बेहतर हुआ। प्रधानमंत्री जी ने वोकल फार लोकल का नारा दिया, जो ग्रामीण व्यवस्था से ही जुड़ा है। आत्मनिर्भर भारत के निर्माण की बात जब आती है तो ग्रामीण, किसान, गरीब आदमी, कर्मचारी, कृषि वैज्ञानिक, सबके कंधों पर जवाबदारी है। गांव व किसान, मुख्यतः इन दो के परिश्रम से ही भारत आत्मनिर्भर बनने वाला है। हमारे गांवों-किसानों का ताना-बाना मुगलों ने खत्म करने की कोशिश की, अंग्रेजों ने भी इसे तहस-नहस करने का प्रयास किया, लेकिन हमारे पूर्वजों ने इसे इतना मजबूत बनाया है कि कोई भी ताकत इसे तोड़ नहीं पाई है। आजाद भारत में यह और भी मजबूत हुआ। केंद्रीय मंत्री श्री तोमर ने कहा कि हमारे वैज्ञानिक बहुत विजनरी है, सिर्फ खेती ही नहीं, अन्य क्षेत्रों में भी उनकी महारत है। खेती में उत्पादन व उत्पादकता बढ़े, साथ ही आने वाले कल में खेती के प्रति लोगों का आकर्षण बढ़े, यह बहुत जरूरी है अन्यथा भविष्य में जो चुनौतियां आएगी, उससे निपटना मुश्किल होगा। शहरीकरण बढ़ रहा है, ऐसे में कुछ किसान सोचते है कि वे अच्छे दामों पर जमीन बेच दें। इससे खेती का रकबा कम होगा, ऐसे में केवीके योजनाबद्ध ढंग से सुनिश्चित कर सकता है कि छोटे रकबे में भी खेती कैसे लाभप्रद हो और अन्य कार्य कर रहे पढ़े-लिखे तबके में भी खेती के प्रति आकर्षण पैदा करें। श्री तोमर ने जैविक व प्राकृतिक खेती पर बल देते हुए कहा कि जैविक खेती कोई एक रस्म नहीं है, यह तो हमारी जरूरत है, स्वास्थ्य की दृष्टि से भी और धरती को ठीक रखने के लिए भी, वहीं यह पशुपालन तथा किसानों की अच्छी आमदनी एवं निर्यात बढ़ाने के लिए भी आवश्यक है। म.प्र. व छ.ग. में आदिवासी बड़ी संख्या में है। वे जो खेती करते हैं, वह जैविक होती है, क्योंकि वे कोई केमिकल-फर्टिलाइजर उपयोग नहीं करते। ऐसी खेती चिन्हित करके उस पर फोकस करते-समझाते हुए उन्हें बेहतर तरीके बताएं, जो आय बढ़ाने में मददगार हों, इससे देश में आर्गेनिक खेती का रकबा बढ़ेगा, पशुधन भी लाभप्रद होगा। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन की चुनौती हम सबके सामने हैं। इस मामले में केवीके क्षेत्रवार पूरी तैयारी करें। मृदा स्वास्थ्य के लिए जागरूकता कार्यक्रम चलाएं, सरकार इसके लिए धनराशि देगी। इसके लिए स्वच्छता दूत जैसे लोग तैयार किए जाएं, किसानों को समझाएं। माडल ऐसा होना चाहिए कि आपकी बात किसानों के गले उतर जाएं। सभी किसान मृदा स्वास्थ्य परीक्षण कराएंगे, तो स्थितियां सुधरेगी। श्री तोमर ने कहा कि कोविड संकट ने हम सबको अवसर दिया है। किसानों के लिए सरकार ने रिफार्म किए, अब किसानों को मंडी जाना जरूरी नहीं, फसल बेचने के लिए टैक्स भी नहीं देना है। प्रधानमंत्री  ने उन्हें कानूनी अधिकार देकर आजादी दे दी है। दो नए अध्यादेश जारी हुए, जिनके माध्यम से भी क्लस्टर खेती को बढ़ावा मिल सकता है। केवीके को इसकी तैयारी करना चाहिए। हर केवीके की क्षेत्रवार प्लानिंग होना चाहिए, आईसीएआर को पूरी योजना बनाना चाहिए। उन्होंने खेती-किसानी में, ग्रामीण क्षेत्र में निजी निवेश को बढ़ाने की जरूरत बताते हुए कहा कि सरकार द्वारा कानूनी बदलाव, एक लाख करोड़ रूपए के कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर फंड सहित भारी-भरकम पैकेज देने से निजी निवेश भी बढ़ने वाला है। यह पूरा पैसा आत्मनिर्भर भारत बनाने में मदद करेगा। दस हजार नए एफपीओ की गाइडलाइन बन गई है, जिन्हें बुआई से लेकर विपणन तक केंद्र आर्थिक सहायता देगा। इनमें ज्यादा से ज्यादा छोटे किसानों को जोड़ा जाएं।


कार्यक्रम में दीनदयाल शोध संस्थान के पदाधिकारी  अभय महाजन, आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. त्रिलोचन महापात्र, उप महानिदेशक (कृषि प्रसार) डॉ. अशोक कुमार सिंह, डा. वी.पी. चहल, अटारी (जबलपुर) के निदेशक डा. एस.आर.के. सिंह, कृषि व पशु चिकित्सा विश्वविद्यालयों के कुलपति, आईसीएआर के संस्थानों के निदेशक एवं वैज्ञानिक भी वीडियो कांफ्रेंसिंग से शामिल हुए। समारोह में, कड़कनाथ मुर्गी, जो झाबुआ से है, को वैश्विक स्तर पर प्रचारित करने में केवीके के प्रयासों का जिक्र सभी ने किया।



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