नमामि गंगे परियोजना से स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी लाभ : मिश्रा

 प्रधानमंत्री लोक प्रशासन उत्कृष्टता पुरस्कार के लिए देश के सबसे बड़े राज्य के जिलाधीशों से नमामि गंगे के तहत नामांकन


गंगा सफाई के समानांतर आर्थिक गतिविधियों को भी बढ़ावा


नमामि गंगे के महानिदेशक राजीव रंजन मिश्रा ने जिला गंगा समितियों को नामांकन प्रस्तुत करने को कहा


नई दिल्ली : "गंगा सफाई की उपलब्धि प्रस्तुत करने का उत्तर प्रदेश के सामने अच्छा मौका है, इससे देशभर में नदी स्वच्छता के कार्यों को प्रोत्साहन मिलेगा”, ऐसा,गंगा की स्वच्छता और निर्मलता के लिए नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा (एनएमसीजी) के के महानिदेशक  राजीव रंजन मिश्रा का का मानना है।


उन्होंने बताया कि उत्तरप्रदेश की 26 जिला गंगा समितियों के प्रयासों से आर्थिक गतिविधियों को भी लाभ मिल रहा है। गंगा के तटीय क्षेत्रों में जैविक खेती और जैविक विविधता के विकास से स्थानीय स्तर पर रोजगार के साधन बढ़ेंगे। ज्ञात हो कि इस वर्ष नमामि गंगे परियोजना को इस पुरस्कारों के लिए शामिल किया गया है।श्री मिश्रा ने वीडियो कान्फ्रेसिंग के माध्यम से उत्तर प्रदेश के जिलाधीशों (डीएम) व जिला गंगा समितियों से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों के साथ हुई बैठक कर उन्हें इस वर्ष के प्रधानमंत्री लोक प्रशासन उत्कृष्टता पुरस्कार के लिए नामांकन प्रस्तुत करने के लिए कहा है। इससे जिला गंगा समितियों के प्रयासों को नई पहचान मिलेगी। ये समितियां जिला स्तर पर गंगा की निर्मलता और अविरलता के लिए स्थानीय निवासियों के सहयोग से काम करती हैं। इनके गठऩ के बाद गंगा की साफ-सफाई और अविरलता एवं निर्मलता में बड़ा परिवर्तन आया है। श्री मिश्रा के अनुसार लॉकडाउन के दौरान भी नमामि गंगे की विभिन्न इकाइयां काम करती रहीं, जिसके कारण अपेक्षा से बेहतर परिणाम मिले हैं।


उत्तरप्रदेश की जिला गंगा समितियों के साथ लगातार बैठकें पूरी करने के बाद उन्होंने बताया “ राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन का उद्देश्य केवल गंगा की निर्मलता और अविरलता तक सीमित नहीं है, हम अर्थ गंगा परियोजना का कार्यान्वयन भी निश्चित कर रहे हैं ताकि गंगा और उसकी सहायक नदियों के आसपास एक स्थायी सोशल-इकॉनामिक जोन विकसित हो, इससे आत्मनिर्भर भारत अभियान को बल मिलेगा”। श्री मिश्रा जिला गंगा समितियों के साथ बैठकों में स्थानीय आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाए जाने पर विशेष जोर दे रहे हैं। गंगा के प्रभाव वाले इलाकों में जैविक खेती को बढ़ावा देना इस प्रक्रिया का हिस्सा है। पूर्व में गंगा यात्रा और गंगा आमंत्रण अभियान की सफलता से आमलोगों में जागरूकता आई है जिससे अब गंगा ही नहीं दूसरी नदियों की भी साफ- सफाई में जनभागीदारी बढ़ रही है। लॉकडाउन के दौरान घर वापसी करनेवाले प्रवासी श्रमिकों को महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा)के जरिए नदी-तालाबों के जीर्णोद्धार के काम से जोड़ा गया, इसे स्थानीय आर्थिकी को लाभ पहुंचा और मानसून का पानी संग्रहित करने के लिए प्राकृतिक स्रोत संरक्षित हुए। इसके अलावा मुरादाबाद में आईआईटी कानपुर और डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के साथ मिलकर बॉयोडाइवर्सिटी विकसित किए जाने कार्य प्रारंभ होने जा रहा है। हरदोई, बिजनौर, मेरठ आदि जिलों में कछुओं की अनेक प्रजातियों को संरक्षण और संवर्धन के काम किए जा रहे हैं। हरदोई में कछुआ तालाब में सुधार कर पहली बार सफलतापूर्वक हैचिंग की गई है। रायबरेली में वेटलैंड के लिए सर्वे जारी है। गंगा किनारों को अतिक्रमण मुक्त किया जा रहा है। इस कड़ी में पौधारोपण अभियान भी एक महत्वपूर्ण योजना है। सभी जिलों में पौधोरोपण कर गंगा वन बनाए जाएंगे। कासगंज में इस योजना के तहत इस वर्ष तीन सौ हेक्टेयर भूमि पर 3.5 लाख पौधे लगाए गए हैं।


बैठक में शामिल सभी जिलाधीशों ने अपने जिले में हो रही गतिविधियों का विवरण दिया। विगत14 दिसंबर को कानपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई नेशनल गंगा काउंसिल की बैठक में नमामि गंगे को प्रधानमंत्री लोक प्रशासन उत्कृष्टता पुरस्कार में शामिल करने का निर्णय लिया गया था।नामांकन के लिए जिलेवार ब्योरा एनएमसीजी को भेजा जाएगा।आगामी 15 अगस्त से पहले आवेदन प्रेषित किए जाएंगे। यह पुरस्कार सिविल सेवा दिवस के अवसर पर वितरित किए जाएंगे। अब साल भर बनी रहेगी कर्णावती में धार : नमामि गंगे परियोजना में गंगा की सहायक नदियों की स्वच्छता और जीर्णोद्धार का कार्य शामिल है। मिर्जापुर जिले में गंगा की सहायक कर्णावती नदी का जीर्णोद्धार होने से अब उसमें सालभर बहाव बना रहेगा। कर्नावती के तटीय क्षेत्रों के सामाजिक-आर्थिक मॉडल को इससे काफी लाभ मिलेगा। वहीं गोमती से मिलनेवाली हरदोई जिले की साई नदी को प्रवासी श्रमिकों की सहायता से पुनर्जीवित किया गया है। इसी तर्ज पर कासगंज और फर्रुखाबाद में बूढ़ी गंगा का जीर्णोध्दार किया गया है। प्रवासी श्रमिकों के मिला काम और संरक्षित हुए जलस्रोत :विशेष रूप से वाराणसी, कानपुर, बिजनौर समेत जिला गंगा समिति के कार्यक्षेत्रों में लॉकडाउन की अवधि में प्रवासी श्रमिकों को प्राकृतिक जल स्रोतों के संरक्षण में लगाया गया। इससे छोटी नदियों और तालाबों को लाभ पहुंचा है। बदायूं में कचला घाट को विकसित किया जाएगा। डॉल्फिनों और किसानों की खुशहाली साथ-साथ: नमामि गंगे के अंतर्गत ही फतेहपुर जिले के किसानों को जैविक खेती का विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है। यह क्षेत्र गंगा डॉल्फिन के लिए भी जाना जाता है इसलिए डॉल्फिन संरक्षण का कार्य भी एक विशेष परियोजना के माध्यम से प्रगतिशील है।


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