कानपुर मुठभेड़ : जवानों की हत्या मुखबिरी का नतीजा तो नहीं

पुलिस से अधिक तैयार था हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे, तीन तरफ से हुआ था हमला


कानपुर। कुख्यात बदमाश को पकड़ने के लिए दबिश देने गई पुलिस की टीम से अधिक तैयारी और ताकतवर बदमाश साबित हुए। बदमाशों के हमले में सीओ और एक इंस्पेक्टर समेत आठ जवान शहीद हो गए और सात गंभीर रूप से जख्मी हो गए। जिस तरह से जेसीबी लगाकर गांव में किसी वाहन के जाने का रास्ता रोका गया और गाड़ियों से उतरते ही पुलिस टीम पर जिस तरह से ताबड़तोड़ हमला हुआ, उससे यह सवाल उठ रहे हैं कि यह पुलिस के जवानों की हत्या मुखबिरी का नतीजा तो नहीं। 


जानकारी के मुताबिक कानपुर के राहुल तिवारी नाम के व्यक्ति ने विकास दुबे के खिलाफ अपहरण और हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज कराया था। केस दर्ज होने के 24 घंटे बाद ही पुलिस की टीम ने विकास दुबे पर शिकंजा कसने की तैयारी कर ली। तीन थानों की फोर्स के साथ सीओ बिल्हौर देवेंद्र मिश्र ने गुरुवार की देर रात विकास दुबे के घर पर दबिश दी। सीओ देवेंद्र मिश्रा के नेतृत्व में बिठूर, चौबेपुर, शिवराजपुर थानों की संयुक्त पुलिस टीमें अपराधी विकास दुबे को पकड़ने के लिए उसके गांव विकरु पहुंची और घेराबंदी करते हुए बदमाश की गिरफ्तारी के लिए जाल बिछाया। इस बीच पुलिस के गांव में आने की भनक अपराधियों को लग गई।


गांव के रास्ते पर एक जेसीबी मशीन को इस तरह खड़ा किया गया था कि कोई भी गांव के अंदर वाहन लेकर दाखिल ना हो सके। उससे साफ है कि बदमाशों को पुलिस की आमद के बारे में जानकारी पहले ही मिल चुकी थी। डीएसपी मिश्रा ने अपने सहकर्मियों के साथ वाहनों से उतरकर पैदल ही गांव में दाखिल होने का फैसला किया। जैसे ही पुलिसवाले वाहनों से बाहर निकले। अचानक उन पर गोलियां बरसने लगी। पुलिसवाले संभल भी नहीं पाए कि तीन दिशाओं से उन पर फायरिंग होने लगी।


घटनाक्रम में पुलिस पर भी सवाल उठ रहे हैं कि आखिर कैसे पहले से ही विकास दुबे को पुलिस की दबिश की सूचना मिल गई। घटनाक्रम इस ओर इशारा कर रहा है जैसे विकास दुबे को पुलिस की दबिश की पूरी जानकारी थी। उसने किसी भी हद तक जाने की तैयारी कर रखी थी। देर रात जब पुलिस की टीमें उसके घर पहुंची और उसके बचने का कोई रास्ता न निकला तो उसने जघन्य हत्याकांड को अंजाम दे दिया। सड़क पर रास्ता रोककर लगाई गई जेसीबी भी रेड की पूर्व सूचना होने की तस्दीक कर रही है।


बताया जा रहा है कि हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे को दबिश की जानकारी मिल गयी थी और वह अपनी टीम के साथ घात लगाए बैठा था। जैसे ही पुलिस क्षेत्र में घुसी, उनपर अंधाधुंध फायरिंग कर दी गयी। देखते ही देखते पुलिसकॢमयों की लाशें बिछ गयीं। यह फायरिंग स्प्रिंगफील्ड राइफलों के साथ अन्य अत्याधुनिक असलहों से की गई थी। मौके से एके-47 के खोखे बरामद होने की बात सामने आ रही है। पुलिस अधिकारी भी बदमाशों द्वारा सेमी ऑटोमेटिक वेपन के इस्तेमाल की संभावना जता रहे हैं। डीजीपी ने कहा कि फॉरेंसिंक जांच के बाद ही इस पर कुछ कहा जा सकता है। ऐसा लग रहा है कि फायरिंग में सोफेस्टिकेटड वेपन का इस्तेमाल किया गया।



विकास दुबे के साथ ही उसके गैंग ने छत से पुलिस पर अंधाधुंध फायरिंग की। पुलिसकर्मियों को समझने तक का मौका नहीं मिला कि आखिर हुआ क्या। तीन ओर से बदमाशों ने पुलिस को घेर रखा था और फायरिंग कर रहे थे। बदमाशों की फायरिंग में सीओ बिल्हौर देवेंद्र मिश्रा समेत तीन सब इंस्पेक्टर और चार सिपाही शहीद हो गए। इस पूरे ऑपरेशन के दौरान एसओ बिठूर कौशलेंद्र को एक गोली जांघ और दूसरी हाथ पर लगी।


सिपाही अजय सेंगर, अजय कश्यप, सिपाही शिवमूरत, दरोगा प्रभाकर पांडेय, होमगार्ड जयराम पटेल समेत सात पुलिसकर्मियों को गोलियां लगीं हैं। सेंगर और शिवमूरत के पेट में गोली लगी। इस हमले में घायल पुलिसकर्मियों को कानपुर के रीजेंसी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इसमें दो पुलिसकर्मी की हालत गंभीर बताई जा रही है।


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