किसानों की आय बढ़ाने के लिए मधुमक्खी पालन को बढ़ावा दे रही सरकार- श्री तोमर

विश्व मधुमक्खी दिवसके उपलक्ष में वीडियोकांफ्रेंसिंग से हुआ आयोजन


आत्मनिर्भर भारत अभियान में प्रधानमंत्री जी ने दिया है 500 करोड़ रू. का पैकेज


शहद के 5 सबसे बड़े उत्पादकों में भारत शुमार, निर्यात में 265 प्र.श. वृद्धि


किसानों की आमदनी दोगुना करने में मधुमक्खी पालन बहुत सहायक हो सकता है-मंत्री


वेबिनार में शामिल हुए देशभर के प्रतिनिधि,अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने भी की भागीदारी


नई दिल्ली।विश्व मधुमक्खी दिवस के उपलक्ष में वीडियोकांफ्रेंसिंग से हुए एक आयोजनमें केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास तथा पंचायत राज मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार मधुमक्खी पालन को बढ़ावा दे रही है। आत्मनिर्भर भारत अभियान में मधुमक्खी पालन को और बढ़ावा देने के लिए 500 करोड़ रू. का प्रावधान घोषित किया गया है। देश के मधुमक्खी पालकों की मेहनत से, विश्व में शहद के 5 सबसे बड़े उत्पादकों में भारत का नाम शुमार है।भारत में वर्ष 2005-06 की तुलना में अब शहद उत्पादन 242 प्रतिशत बढ़ गया है, वहीं इसके निर्यात में 265 प्र.श. की वृद्धि हुई है।किसानों की आमदनी दोगुना करने में मधुमक्खी पालन बहुत सहायक हो सकता है।


मीठी क्रांति और आत्मनिर्भर भारत विषय पर राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम(एनसीडीसी) ने यह वेबिनारनेशनल बी बोर्ड, पश्चिम बंगाल सरकार, उत्तराखंड सरकार और शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कश्मीरके साथ मिलकर किया। इसमें मंत्री श्री तोमर ने कहा कि शहद उत्पादन व निर्यात में वृद्धि इस बात को प्रदर्शित करती है कि इस काम से किसान भी लाभान्वित हो रहे हैं, उनके जीवन स्तर में बदलाव आ रहा है और उनकी आमदनी भी बढ़ रही है। मधुमक्खी पालन के प्रशिक्षण के लिए चार माड्यूल बनाए गए हैं, जिनके माध्यम से देश में 30 लाख किसानों को प्रशिक्षण दिया गया है।इन्हें अन्य सहायता भी उपलब्ध कराई गई है।


श्री तोमर ने बताया कि मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के लिए बनी कमेटी की सिफारिशों के आधार पर भी सरकार आगे कार्यवाही कर रही है। प्रधानमंत्री जी ने मीठी क्रांति के तहत हनी मिशन की भी घोषणा की है, जिसके चार भाग है, इसका भी काफी लाभ मिलेगा। मधुमक्खी पालन का काम गरीब व्यक्ति भी कम पूंजी में अधिक मुनाफा प्राप्त करने के लिए कर सकता है। इसीलिए, इसे बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री जी द्वारा 500 करोड़ रू. के पैकेज की घोषणा की गई है। इससे मधुमक्खी पालकों के साथ ही किसानों की भी दशा और दिशा सुधारने में मदद मिलेगी।


 


आयोजन का उद्देश्य कृषि आय और कृषि उत्पादन बढ़ाने के साधन के रूप में भूमिहीन ग्रामीण गरीब, छोटे और सीमांत लोगों के लिए आजीविका के स्रोत के रूप में वैज्ञानिक मधुमक्खी पालन को लोकप्रिय बनाना है।


मधुमक्खी पालकों के साथ हीशहद प्रोसेसर, विपणन और ब्रांडिंगपेशेवरों, अनुसंधान विद्वानों, शिक्षाविदों, प्रमुख शहद उत्पादक राज्यों के सहयोगियों, राज्य और केंद्र सरकारों के प्रतिनिधियों, एफएओ और एनईडीएसी, बैंकॉक जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों की भागीदारी इस वेबिनार में रही।


वेबिनार में उत्तराखंड के सहकारिता मंत्री डॉ.धनसिंह रावत ने देवभूमि उत्तराखंड को जैविक शहद उत्पादन की मुख्यधारा में लाने के संकल्प पर प्रकाश डाला। उन्होंने हनी मिशन में संशोधन लाने की आवश्यकता का उल्लेख किया।


एनसीडीसीके एमडीश्री सुदीप कुमार नायक ने महिला समूहों को बढ़ावा देने और एपिकल्चर सहकारी समितियों के विकास में एनसीडीसी की भूमिका पर प्रकाश डाला।


सहकार भारती केराष्ट्रीय अध्यक्ष श्री रमेश डी. वैद्यने प्रधानमंत्री जी के सपने को पूरा करने के लिए सहकारी समितियों से अपील की। शेर-ए-कश्मीर यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चरसाइंस एंड टेक्नोलॉजी के वाइसचांसलर प्रो.नजीर अहमद ने कश्मीर में शहद की अनूठी विशेषताओं के बारे में जानकारीदी।


UNFAO केप्रतिनिधिश्री टॉमियोशिचिरीने शहद के निर्यात में गुणवत्ता आश्वासन के महत्व के बारे में बात की। पश्चिम बंगाल के अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ.एम.वी. राव ने महिला समूहों द्वारा जैविक शहद व जंगली शहद के उत्पादन, ब्रांडिंग और विपणन को बढ़ावा देने के लिए अपनी सरकार के कदमों के बारे में बताया।बागवानी आयुक्त डॉ.बी.एन.एस. मूर्ति ने नए मिशन में नवाचारों पर प्रकाश डाला।


मध्य प्रदेश, कश्मीर, पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड, बिहार, केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश व झारखंड के सफल मधुमक्खी पालकों और उद्यमियों ने अपने अनुभवों को साझा किया और मीठी क्रांति लाने के लिए आगे के तरीके सुझाए।


 


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