चौतरफा चुनौतियों से घिरा देश


  • अनियंत्रित करोना महामारी

  • बेलगाम पारम्परिक देशद्रोह

  • पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद

  • अवसरवादी गंदी राजनीति


भारत की यशस्वी सरकार, कर्तव्यनिष्ठ करोना योद्धा, भारत की सेना और भारत के देशभक्त नागरिक अनेक चुनौतियों का सामना जिस साहस और जज्बे के साथ कर रहे हैं उसकी पूरे विश्व में सराहना की जा रही है| परन्तु राष्ट्रीय एकता एवं समाज सेवा के इस देवदुर्लभ वातावरण को भारत विरोधी शक्तियां नष्ट करने में जुटी हुई हैं|


करोना महामारी को समाप्त करने के लिए सारा देश जूझ रहा है| करोना योद्धा अपने घर-परिवार से दूर रहते हुए अपने राष्ट्रीय कर्तव्य का पालन कर रहे हैं| सरकार भी समयोचित कदम उठाकर नागरिकों के जीवन की रक्षा कर रही है अनेक सामाजिक एवं धार्मिक संस्थाओं के कार्यकर्ता दिन-रात सेवा कार्यों में व्यस्त हैं| डॉक्टर, नर्से, मेडिकल स्टॉफ, सफाई कर्मचारी एवं पुलिस के जवान अपना कर्तव्य निभाने में कोई भी कसर नहीं छोड़ रहे |


परंतु एकात्मता और सौहार्द के इस माहौल को बिगाड़ कर अपनी समाप्त हो रही मजहबी और राजनीतिक औकात को चमकाने के लिए कई तत्व सक्रिय हो गए हैं| ऐसा लगता है कि मानो देशभक्ति और देशद्रोह में स्पर्धा हो रही है| एक ओर सरकार के दिशानिर्देशों का पालन हो रहा है और दूसरी ओर सरकार के प्रयासों को किसी भी प्रकार से विफल कर देने के प्रयास हो रहे हैं| इस संकटकालीन समय में सरकार के कामकाज में रोड़े अटकाने वाले इन तत्वों को यही समझ में नहीं आ रहा कि उनके इस गैरजुम्मेदाराना व्यवहार से 130 करोड़ भारतीयों का जीवन खतरे में पड़ रहा है|


 


वैसे तो करोना महामारी स्वयं में ही एक चुनौती है| देश का अधिकांश भाग इसकी लपेट में आ चुका है| निरंतर प्रयासों के बावजूद भी मरीजों की संख्या बढ़ रही है| यद्पि सरकार द्वारा घोषित ‘लॉकडाउन’ की वजह से इसकी रफ्तार में कमी आई है| परंतु इस प्रतिबंध के कुछ ढीला होते ही जो दृश्य दिखाई दे रहे हैं, वे चिंताजनक ही नहीं अपितु खतरनाक भी हैं| शराब, सिगरेट आदि की दुकानों पर उमड़ी भीड़ बने बनाए खेल को बिगाड़ सकती है| इस ढील पर पुनर्विचार करने की जरूरत है| कहीं ऐसा न हो कि हमारे देश का हाल भी वही न हो जाए जो अमरीका और इटली जैसे बड़े-बड़े देशों का हो रहा है| यह भी ध्यान रखा जाए कि यह करोना वायरस केंद्र की सरकार द्वारा बनाया गया नहीं है| यह विदेशी आक्रमण जैसा आघात है


 


ऐसे समय में अनेक परम्परागत मजहबी कट्टरपंथी नेता देश और समाज के साथ द्रोह करने से भी बाज नहीं आ रहे| तब्लीगी जमातियों ने किस प्रकार करोना की जलती आग में घी डाल कर इसकी आंच को सारे देश में पहुंचा दिया| इनका बचाव करने के लिए मजहबी नेता ही आगे आ गए| लोगों पर थूकने, डॉक्टरों व नर्सों को अपमानित करने, पुलिस कर्मियों पर हमले करने, जमातियों को संरक्षण देने और मस्जिदों में भीड़ लगाने जैसे कुकृत्य देशद्रोह की श्रेणी में नहीं आते क्या? सिवाए संघ और भाजपा के, इन राष्ट्र विरोधियों का विरोध किसने किया?  केवल उत्तर प्रदेश की सरकार को छोड़ कर किसी भी प्रदेश की सरकार ने इनके साथ सख्ती नहीं बरती |


वोट बैंक की राजनीति करने वाले लोग सदियों से फल-फूल रही इस जिहादी मानसिकता को इन दिनों में भी खाद पानी दे रहे हैं| इसी देश विरोधी मानसिकता के रथ पर सवार होकर वारिस पठान जैसे पाकिस्तान समर्थक लोग घोषणा करते हैं कि “हम तो मस्जिद में आकर नमाज अदा करेंगे, हमें रोकने की गलती मत करना” “ 15 प्रतिशत मुसलमान 85 प्रतिशत हिन्दुओं को संभाल लेंगे” विदेशी हमलावरों की दहशतगर्द तहजीब को अपना मजहबी हक मानने वाले इन अनसरों का भारत की सनातन संस्कृति, देश की सुरक्षा, राष्ट्र की अखण्डता और समाज जीवन से कुछ भी लेना-देना नहीं है| यह भारत के अन्न-जल से पल कर विदेशी आक्रांताओं के उद्देश्य को पूरा करने  में जुटे हैं| यह अलग बात है कि करोना के ज्यादातर मरीज इसी तहजीब के लोग हैं|


इन दिनों पाकिस्तान भी अपनी परम्परागत भारत विरोधी साजिशों को बढ़ा रहा है| कश्मीर के शांत माहौल में फिर से आतंकी आग लगाने के षड़यंत्र रचे जा रहे हैं| हाल ही में हंदवाड़ा में हए आतंकी हादसे में आठ भारतीय जवानों की शहादत से सारा देश सकते में हैं| पाकिस्तान के प्रधानमंत्री, सेनाधिकारी और मजहबी सरगना इन दिनों युद्ध के उन्माद में पागल हो चुके हैं| भारत में आतंकी हमलों को अंजाम देने की योजनाएं बन रही हैं| राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ और मोदी सरकार को तबाह करने के ख्वाब देखे जा रहे हैं| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चमकदार एवं असरदार अंतर्राष्ट्रीय छवि को बिगाड़ने की नापाक साजिशें रची जा रही हैं| भारत में रहने वाले अनेक मजहबी तत्व इसी दिन की इंतजार में हैं| देशवासियों को इस चुनौती का सामना भी करना है|


मोदी सरकार एवं समस्त भारतीयों के लिए सबसे बड़ी और खतरनाक चुनौती प्रस्तुत कर रहे हैं हमारे कांग्रेसी, वामपंथी, समाजवादी और कुछ क्षेत्रीय नेता. यह लोग सरकार को ठोस सुझाव देने के बजाए उसे कटघरे में खड़ा कर रहे हैं| देश की अर्थव्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह लगाने वाले इन नेताओं को आज मजदूरों, किसानों और गरीबों पर शुतरमुर्गी दया आ रही है|


इस तरह की गंदी एवं स्वार्थी राजनीति करने वाले लोग वास्तव में मोदी नहीं अपितु देश का ही विरोध कर रहे हैं| किसी गरीब परिवार में एक रोटी तक नहीं पहुंचाई इन लोगों ने|यह सब ऐसी चुनौतियां हैं जिनका मोदी सरकार दृढ़ता, साहस और विवेक के साथ सफलतापूर्वक सामना कर रहे हैं| सारा देश देख रहा है, समझ रहा है?


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