पर्यावरण की चुनौतियां और सामाजिक भागेदारी होगा मंथन

लखनऊ। ''पर्यावरण की चुनौतियां और सामाजिक भागेदारी" विषय पर इस शनिवार को यूनाइट मंथन कार्यक्रम होगा। पर्यावरण को लेकर आज समूचा विश्व चिन्तित है। आखिर यह पर्यावरण है क्या और इससे चिन्तित होने के कारण क्या हैं? पर्यावरण वायु, जल, मृदा, मानव और वृक्षों को लेकर बना है। इनमें से किसी भी एक तत्व का क्षरण होता है तो उसका सीधा असर पर्यावरण पर पड़ता है। प्रदूषण भी पर्यावरण के लिए खतरे की घंटी बना हुआ है। पेड़, पौधे, जलवायु मानव जीवन को प्रभावित करते हैं। किसी भी एक तल के असंतुलित होने पर पर्यावरण प्रक्रिया असहज हो जाती है जिसका सीधा असर मानव जीवन पर पड़ता है।

 पर्यावरण दो शब्दों को मिलाकर बना। परि और आवरण। परि का मतलब है हमारे चारों और का वातावरण तथा आवरण से तात्पर्य है परदा। इस भांति पर्यावरण शब्द की उत्पत्ति हमारे चारों तरफ के वातावरण के सृजन से है। पर्यावरण जिन कारकों को लेकर बना है उनमें से एक भी कारक प्रभावित होता है तो उसका सीधा प्रभाव हमारे पर्यावरणीय वातावरण पर पड़ता है। पर्यावरण का संकट और चुनौतियां हम सबके सामने विद्यमान हैं।

पार्यवारण से सम्बन्धित समस्यों, चुनौतियों और उसके हल को लेकर यूनाइट फाउण्डेशन इस को शनिवार को एक परिचर्च अपने कार्यलय पर रखी है जिसमें विभिन्न सामाजिक संस्थाएं जो पर्यवारण के क्षेत्र में काम कर रही हैं को भी आमंत्रित किया गया है। यूनाइट फाउण्डेशन प्रत्येक माह के दूसरे और चौथे शनिवार को विभिन्न सामाजिक विषयों पर बैठक, चिंतन और संवाद आयोजित करता है।

इसी क्रम में 9 नवम्बर, 2019, दिन शनिवार को शाम 4 से 6 बजे जानकीपुरम स्थित कार्यालय में यूनाइट मंथन का आयोजन होगा। इस सप्ताह का मंथन "पर्यावरण की चुनौतियां और सामाजिक भागेदारी" विषय पर होगा। कार्यक्रम में विषय विशेषज्ञ यशपाल सिंह, पूर्व निदेशक, पर्यावरण विभाग उ.प्र और श्री श्री एच.एस. फाउण्डेशन के संस्थापक/ सचिव, आर.एन. श्रीवास्तव, पूर्व पर्यावरण अधिकारी, पर्यावरण विभाग उ.प्र.। आप सपरिवार इस कार्यक्रम में सादर आमंत्रित हैं आप के द्वारा दिए गये ,पर्यावरण को स्वच्छ बनाने के   सुझावों को संकलित कर शासन को भी फाउण्डेशन के द्वारा उचित कार्यवाही के लिए भेजा जाएगा।


 

 

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