राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से रिहाई मंच ने की निष्पक्ष जांच की मांग

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से रिहाई मंच ने की निष्पक्ष जांच की मांग

लखनऊ 18 अक्टूबर 2019। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा सीतापुुर के लोेमस और जुुबैैर के साथ हुई कथित मुठभेेड़ की जांच के दौरान थाना रामपुुर मथुुरा केे सिपाही विशाल सिंह चाहल द्वारा मृतक लोमस के बेटे पूरन चैहान को 27 सितंबर 2019 की सुबह उनके गांव से बोलरो में उठाया गया। लोेमस के भाई जगदीश चौहान द्वारा 28 सितंबर 2019 को जिलाधिकारी सीतापुर और पुलिस अधीक्षक सीतापुर से इसकी लिखित शिकायत की गई। उन्होंने आरोप लगाया कि सीजेेएम न्यायालय से धारा 156 (3) के तहत एफआईआर पंजीकृृत करने का मुुकदमा वापस लेने और मानवाधिकार आयोग,  अल्पसंख्यक आयोग औैर मजिस्ट्रेटियल जांच मेें बयान बदलने के लिए उन्हें धमकाया जा रहा है। पुलिस ने 27-28 जून 2019 की रात थाना मुहम्मदपुर खाला जनपद बाराबंकी में लोमस पुत्र राम किशुन निवासी ग्राम फतुुहापुर, थाना रामपुर मथुरा, सीतापुर और जुबैर उर्फ जुबैद पुत्र अब्बास ग्राम टेरवा भगवतीपुर, थाना रामपुर मथुरा जनपद सीतापुर को मुठभेेड़ में मारने का दावा किया था। इसे लेकर नूर जहां पत्नी मरहूम जुबैर और पूरन पुत्र स्वर्गीय लोमस ने 4 जुलाई 2019 को अध्यक्ष राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग नई दिल्ली को शिकायती पत्र भेजते हुए मांग की थी कि आयोग द्वारा इसकी उच्च स्तरीय जांच कराकर उचित कार्रवाई की जाए। आयोग ने 9 जुलाई 2019 को केस रजिस्टर किया जिसका डायरी नंबर 98078/सीआर/2019 रजिस्टर्ड केस फाइल नंबर 18441/24/13/2019-ईडी है। आयोग ने 12 जुलाई 2019 को महानिदेशक (जांच) एनएचआरसी कोे तथ्य संकलन औैर जरुरी रिपोर्ट आठ सप्ताह में प्रस्तुत करनेे का निर्देश देेते हुए राज्य मानवाधिकार आयोग उत्तर प्रदेश सेे जानकारी मांगी कि क्या आपकेे यहां भी केस पंजीकृत हुुआ है, यदि हां तो उसकी एक प्र्रति चार सप्ताह के भीतर आयोग को भेजेें। 25 अक्टूबर 2019 को डायरेक्शन केे लिए मामला मानवाधिकार आयोग में लिस्ट हुुआ है। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने संज्ञान लेकर एसपी सीतापुर को उचित कार्रवाई हेतु निर्देशित किया जिसकी मिसिल संख्या एम/यूूपी/302/509/2019, 31 जुुलाई 2019 है। आयोग की गंभीरता को देखते हुुए रिहाई मंच राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से मांग करता है कि मानवाधिकार-लोकतांत्रिक अधिकार और जीवन के अधिकार के हनन से जुुड़ेे इस मामले पर तत्काल कार्रवाई की जाए। जिससे पीड़ित अपने को सुरक्षित महसूस करें।

उक्त कथित मुठभेड़़ और छन्नू लाल पुत्र राम सहाय निवासी ग्राम धनिकवा, थाना रामपुर मथुरा, सीतापुर के अपहरण को लेेकर शिकायत करनेे वाले मानवाधिकार कार्यकर्ता रुस्तम कुरैशी ने कहा कि इस फर्जी मुठभेड़ को सीतापुर और जनपद बाराबंकी पुलिस ने संयुक्त साजिश के तहत अंजाम दिया है। इसमें सीतापुर के कप्तान एलआर कुमार और बाराबंकी के कप्तान अजय कुमार साहनी समेत सीतापुर के रामपुर मथुरा थाना पुलिस व बाराबंकी जनपद के मुहम्मदपुर खाला, बड्डोपुर व रामनगर थाना पुलिस शामिल है। मौके पर 11 जुलाई को पहुंचने पर मालूम चला कि रामपुर मथुुरा थाना क्षेत्र के तीन लोग विभिन्न जगहों से पुलिस द्वारा उठाए गए हैं। इनमें दो लोग लोमस और जुबैर की अपहरण केे दो घंटे बाद हत्या कर दी गई। इनके साथ ही उठाए गए तीसरे अपहृत छन्नू लाल पुत्र राम सहाय का अता-पता नहीं चल रहा था। इसको लेकर अपहृत के भाई राजेन्द्र ने पुलिस अधीक्षक सीतापुर और थाना प्रभारी रामपुर मथुरा को शिकायती पत्र देते हुए अनहोनी की आशंका जताते हुए अपहृत कोे अविलंब बरामद करने की मांग की थी। अगले दिन 2 जुलाई 2019 को सुबह तकरीबन साढे़ 11 बजे जमील के मोेबाइल नंबर 8400966350 से पुलिस अधीक्षक सीतापुर केे सीयूजी नंबर 9454400309 पर छन्नू लाल के अपहरण को लेकर बात हुई जिसमें लखनऊ और बाराबंकी में उसे ढूंढ़ने का आश्वासन दिया गया था। उसी दिन तकरीबन शाम साढ़े चार बजे उसे थाना रामनगर ने बाराबंकी सीजेएम न्यायालय में पेशकर जेल भेज दिया। जिस मुकदमा संख्या 288/19 थाना रामनगर में सातवें दिन अपहृत छन्नू लाल को पेश किया गया था उसमें जुबैर और लोमस की मुठभेड़़ दिखाई गई है। जबकि छन्नू के बारे में परिजन आला अधिकारियोें से पिछले सात दिन सेे गुहार लगा रहे थे। पुुलिस द्वारा छन्नू को उठाने की बात सही प्रतीत होती है क्योंकि परिजन जिस दिन से उसे तलाश रहे थे उसी दिन लोमस और जुुबैैर को पुलिस ने मुठभेड़ में मारने का दावा किया था। परिजनों ने भी अपने शिकायत पत्र में लोमस और जुबैर की हत्या और अपने भाई को पुुलिस द्वारा गायब करने का आरोप लगाया था।

रुस्तम बताते हैैं कि एफआईआर में दर्ज तथ्यों और वास्तविकता में विरोधाभास है। पुलिस द्वारा बताए गए घटना स्थल पिच रोड पर गोली के तीन निशानों को साफ-साफ देखा जा सकता है जबकि पुलिस का दावा है कि सड़क किनारे स्थित खाईं से छिपकर पुलिस पार्टी पर हमला किया गया था। स्थानीय लोगों का कहना है कि रात 1 बजे के लगभग पुलिस ने तिराहे पर गाड़ियां खड़ी कर घटना को अंजाम दिया। इस दौरान गांव के एक व्यक्ति की तबीयत बिगड़ जाने पर उसे ले जा रहे एंबुलेंस का रास्ता रोककर दूसरे रास्ते से भेज दिया गया। बाराबंकी पुलिस ने बाराबंकी के विभिन्न थानों में जिन मुकदमों में नामजदगी बताई है वे अज्ञात या किसी दूसरे व्यक्ति के खिलाफ हैं या दूसरी धाराओं में हैं। इससे उक्त आरोपित मुकदमों में इनके शामिल होने की बात झूठी साबित होती है। बाराबंकी के जिन मुकदमों में आरोपी बताया जा रहा है वो सभी छह माह के भीतर दर्ज किए गए हैं। पुलिस ने सात राउंड फायर करने का दावा किया है। सवाल उठता है कि जिस व्यक्ति के सीने में गोली लगी हो और रक्तस्राव हो रहा हो वह कैसे क्रमवार अपने पर दर्ज मुकदमे और आपराधिक घटनाओं का विवरण दे सकता है जबकि दोनों अनपढ़ थे। जुबैर के पोस्टमार्टम से ज्ञात हुआ है कि उसका एक पैर फ्रैक्चर था। इससे मोटर साइकिल पर लूट की घटना को अंजाम देने का पुलिसिया दावा पूर्णतः संदिग्ध प्रतीत होता है। पुलिस ने जिस मुकदमा अपराध संख्या 288/19 के अन्तर्गत अज्ञात तीन बदमाशों के खिलाफ थाना रामनगर बाराबंकी में कार्रवाई करते हुए उक्त कथित मुठभेड़ को अंजाम दिया है। यह मुकदमा 28 जून को 12 बजकर 52 मिनट पर रात में लिखा गया है। घटना 27 जून की रात 10 बजकर 45 बजे बताई गई है जबकि मुठभेड़ 28 जून को ही 12 बजकर 20 मिनट पर हो चुकी थी। परिजनों के मुताबिक 27 जून की रात 10 बजे तक तीन लोगों को अलग-अलग जगहों से उठाया जा चुका था और उक्त मुकदमा पौने 11 बजे की घटना दिखाते हुए रात में एक बजे हत्या के बाद दर्ज हुए हैं। उठाए गए एक व्यक्ति छन्नू लाल पुत्र राम सहाय को उसी मामले में 7 दिन बाद गिरफ्तारी दिखाई गई है। इससे संदेह पुख्ता होता है कि आपराधिक साजिश के तहत मुठभेड़ के नाम पर की गई यह पूर्व नियोजित हत्या है। 26 अगस्त 2019 को मजिस्ट्रेटियल जांच में दिए गए हलफनामे में मृृतक लोमस के भाई जगदीश उर्फ मुन्ना नेे कहा है कि लोमस को 27 जून को फतुुहापुर थाना रामपुर मथुरा में पिपरमेंट की टंकी सेे पेेराई करते हुुए मुहम्मदपुुर खाला और रामपुर मथुुरा की पुलिस द्वारा जीप में बैठाकर ले जाया गया। कारण पूछने पर वहां मौजूद छन्नू लाल पुत्र राम सहाय को भी उठा ले गए। कानूनी रुप से फंसता देख पुलिस ने मृतक जुबैर की निरक्षर पत्नी से अंगूठे का निशान लिया और मजिस्ट्रेटियल जांच में 22 अगस्त 2019 को दिए गए हलफनामे से मुकरते हुए 12 सितंबर को बयान लिखवा कर तहसील फतेहपुर जनपद बाराबंकी में दाखिल कर दिया है।


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