मिलावटी पनीर के लिए पूर्व मंत्री के धरने पर प्रश्न*


 _-राजेश बैरागी-_ 

क्या सत्तारूढ़ पार्टी के पूर्व मंत्री को एक टन से अधिक मिलावटी पनीर पकड़े जाने के मामले में धरने पर बैठने की सीमा तक हस्तक्षेप करना चाहिए? जेवर टोल प्लाजा पर बीते 12 सितंबर को जनपद गौतमबुद्धनगर के खाद्य विभाग द्वारा एक वाहन में बुलंदशहर से दिल्ली ले जाए जा रहे पनीर को जांच के लिए रोका गया था।

 बताया गया है कि पनीर से दुर्गंध आ रही थी। खाद्य विभाग की टीम द्वारा पनीर के नमूने लेने के बाद नष्ट करने के लिए उसे जब्त करने की प्रक्रिया शुरू करने पर पनीर ले जा रहे लोगों ने विरोध शुरू कर दिया। उन्होंने नजदीकी गांव भवोकरा के प्रधान व उसके साथियों को बुलवा लिया तो खाद्य विभाग की टीम ने सुरक्षा के लिए पुलिस बुलवा ली। मामला बढ़ने पर सभी लोगों को थाने पर लाया गया। यहां भी उन लोगों ने पुलिस व खाद्य विभाग की टीम के साथ अभद्रता की तो पुलिस ने भवोकरा के प्रधान सहित उन लोगों को हिरासत में ले लिया।

 बताया गया है कि यह पनीर जहांगीरपुर बुलंदशहर के गांव कलाखुरी में दूध उत्पादों का कारखाना चलाने वाले लोकेंद्र सिंह का था। उसके बुलावे पर मोदी सरकार के पूर्व मंत्री संजीव बालियान भी मुजफ्फरनगर से जेवर थाना पहुंच गए। उन्होंने इस कार्रवाई को गलत बताते हुए थाने पर धरना शुरू कर दिया। उनके दबाव में कमिश्नरेट पुलिस ने अपने चौकी प्रभारी दो दरोगाओं को निलंबित कर दिया। क्या पूर्व केंद्रीय मंत्री को कथित तौर पर मिलावटी पनीर के पकड़े जाने के मामले में इस प्रकार हस्तक्षेप करना चाहिए था? क्या उन्हें पनीर के नमूने की जांच रिपोर्ट आने की प्रतीक्षा नहीं करनी चाहिए थी? मंत्री पूर्व होने के बावजूद वर्तमान सत्तारूढ़ पार्टी के नेता हैं। उनके द्वारा 



इस प्रकार सरकारी कार्य में हस्तक्षेप से क्या संदेश निकलता है जबकि मिलावटी खाद्य पदार्थों से आम नागरिकों के जीवन पर संकट आया हुआ है। नियमानुसार प्रयोगशाला में भेजे जाने वाले नमूनों की जांच रिपोर्ट दो सप्ताह में आ जाती है। उससे संतुष्ट न होने पर खाद्य पदार्थ स्वामी को केंद्रीय प्रयोगशाला में जांच कराने का अधिकार होता है और केंद्रीय प्रयोगशाला के जांच परिणाम राज्य सरकार की प्रयोगशाला के जांच परिणाम पर अधिमान पाते हैं। राज्य या केंद्रीय प्रयोगशाला में जांच से पास होने पर खाद्य पदार्थ स्वामी को अपने नष्ट किए गए सामान का हर्जाना वसूलने का भी अधिकार है। पूर्व मंत्री को यह कानूनी जानकारी अवश्य होनी चाहिए। जांच की कसौटी पर खरा उतरने की प्रतीक्षा किए बिना सरकारी तंत्र को गलत ठहराने से आगामी त्योहारी सीजन में खाद्य विभाग और पुलिस क्या बेहिचक अपने कर्तव्यों का पालन कर पाएंगे? यह प्रश्न पूर्व मंत्री महोदय से पूछा जाना चाहिए।(नेक दृष्टि)(ऐसे ही अन्य समाचारों आलेख के लिए  वेबसाइट www.nekdtisti.com देखें)

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