जल विशेषज्ञों के विरोध के बावजूद पं. नेहरू ने संधि के लिए किया था विवश

 सिंधु जल संधि के संबंध में मोदी सरकार के ऐतिहासिक निर्णय पर शिवराज सिंह का किसानों से संवाद

सिंधु जल संधि देश के साथ अन्याय, पं. नेहरू ने पाकिस्तान को दिया था पैसा और पानी

अपने किसानों का पेट काटकर हम उनको पानी दे रहे थे, जो आतंकियों को पैदा करने के लिए जवाबदार

इस पानी का उपयोग अब देश व किसानों के हित में किया जाएगा

विभिन्न राज्यों से आए किसान संगठनों ने एक सुर से सरकार के फैसले का किया स्वागत

कृषि मंत्री मतलब आपका सेवक है, मेरे घर व दिल के दरवाजे किसानों के लिए हमेशा खुले है

नई दिल्ली: केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण व ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा सिंधु जल संधि के संबंध में मोदी सरकार के फैसले को लेकर किसान संगठनों के साथ आज दिल्ली में पूसा परिसर स्थित शिंदे सभागृह में महत्वपूर्ण संवाद किया गया। विभिन्न राज्यों से आए किसान संगठनों ने एक सुर से जहां मोदी सरकार के सिंधु जल संधि संबंधी निर्णय का स्वागत किया, वहीं शिवराज सिंह ने किसानों के हितों की चिंता करते हुए तीखे तेवरों के साथ कहा कि सिंधु जल संधि देश के साथ अन्याय था, तब पंडित जवाहरलाल नेहरू प्रधानमंत्री थे, जिन्होंने 80% पानी पाकिस्तान को दे दिया था, केवल पानी ही नहीं दिया, पानी के साथ 83 करोड़ रुपये भी दिए, जिसकी वर्तमान में कीमत 5 हजार 500 करोड़ रु. है। शिवराज सिंह ने कहा कि जल विशेषज्ञों के विरोध के बावजूद पं. नेहरू ने संधि के लिए विवश किया था। अपने किसानों का पेट काटकर हम उनको पानी दे रहे थे, जो आतंकियों को पैदा करने के लिए जवाबदार है। शिवराज सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने इस ऐतिहासिक अन्याय को समाप्त किया, उनका अभिनंदन है। इस पानी का उपयोग अब देश एवं किसानों के हित में किया जाएगा।

केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि पिछले दिनों के घटनाक्रम ने हम सभी को झकझोर दिया, जिस ढंग से हमारे निर्दोष नौजवानों को कौन-सा धर्म है, पूछ-पूछकर मारा गया, सारा देश व्यथित व हर दिल में गुस्सा था। हम किसी को छेड़ते नहीं है लेकिन ये भारत है, हमें कोई छेड़ता है तो हम उसे छोड़ते भी नहीं हैं। प्रधानमंत्री जी ने सेना को खुली छूट दी और सेना ने तय किया ये भारत है हम हर किसी को नहीं मारेंगे, तो निशाना बनाया आतंकवादियों को, उनके अड्डों को और आतंक के अड्डे तबाह कर दिए गए। हमने सीधे पाकिस्तान पर हमला नहीं बोला, हमारी लड़ाई आतंकवादियों से थी लेकिन पाकिस्तान माना नहीं शुरूआत पाकिस्तान ने की, वो सोच रहा था कि तुर्की, चीन के ड्रोन, मिसाइल वो दागकर भारत को डरा लेगा। हमें गर्व है हमारी सेना पर, उनके शौर्य को मैं प्रणाम करता हूं, उनके ड्रोन-मिसाइल को खिलौनों की तरह मारकर गिरा दिया। तीन दिन में पाकिस्तान घुटनों पर आ गया। ऐसे वक्त में निर्णायक फैसले किए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने। पीएम ने फैसला किया पानी-खून साथ-साथ नहीं बह सकता। ऐतिहासिक फैसला सिंधु जल समझौता रद्द कर दिया, ये साधारण घटना नहीं है। बड़ा अन्याय देश के साथ हुआ था। 

 शिवराज सिंह ने कहा कि अटल जी ने 1960 में संसद में भाषण दिया था। लोकसभा के डिबेट के सेकेंड सीरीज के खंड 48 के पेज नंबर 3165 से लेकर 3240 पर ये लेख प्रकाशित हुआ उनका, जिसमें अटलजी ने विरोध किया और कहा कि ये नहीं होना चाहिए था, विशेषज्ञ प्रतिनिधियों ने ये बात कही है, इसके बाद भी समझौता किया गया। उस समय चाहते तो पाकिस्तान को कम पानी देकर भी तैयार कर लेते। पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान ने कहा कि ये संधि तो होती नहीं, अगर भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू इसमें दखल नहीं देते। एक बहस के दौरान पं. नेहरू ने ये कहा कि हमने 83 करोड़ रु. देकर शांति खरीदी है, ये कैसी शांति थी, पानी भी गया, पैसा भी गया। पानी के बिना दुनिया नहीं चलती है "रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून", पानी के बिना खेती नहीं होती, पानी के बिना जिंदगी नहीं चलती, पानी के बिना बिजली भी नहीं बनती, हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट पानी से ही बनता है। उस समय द हिन्दू अखबार ने लिखा था- नई दिल्ली को याद होगा कि पिछले सालों में बातचीत के दौरान भारत किस तरह कदम-दर-कदम रियायतें देता रहा और हिन्दू ने आगे लिखा कि विभाजन के समय भारत का दुर्भाग्य रहा है अब सिंधु नदी का बड़ा हिस्सा पाकिस्तान को मिल गया है। टाइम्स ऑफ इंडिया ने लिखा था कि विवाद के लगभग हर बड़े बिंदु पर भारत ने अपने हितों की कीमत पर पाकिस्तान की इच्छाओं के सामने घुटने टेक दिए। पाकिस्तान ने तो बस ट्रेलर ही देखा है। इस संधि के बहाने पाकिस्तान गाद निकालने की अनुमति नहीं दे रहा था, लेकिन अब हमने सलाल बांध व बगलिहार बांध से पानी रोक दिया है और गाद निकालने की अनुमति दे दी है। 

शिवराज सिंह ने किसान संगठनों की सहमति के बीच कहा कि हम किसानों की शक्ति दिखाएंगे, खुली चर्चा का आयोजन करेंगे। उन्होंने कहा कि कृषि मंत्री मतलब आपका सेवक, मेरे घर और दिल के द्वार किसानों के लिए हमेशा खुले है। केंद्रीय मंत्री श्री चौहान ने पंजाब के किसान श्री सरदान गोमा सिंह, जिन्होंने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान देश के जवानों के लिए अपना घर खाली कर दिया था, के प्रति आभार व्यक्त करते हुए उन्हें सम्मानित किया। 

देशभर से आए किसानों संगठनों के प्रमुखों ने एक सुर में सिंधु जल समझौते पर सरकार के रूख का समर्थन किया और समझौते को पूरी तरह निरस्त करने की मांग करते हुए कहा- 1960 में समझौता के बाद से ही पाकिस्तान की गतिविधियां समझौते के अनुकूल नहीं थी, जबकि भारत ने अक्षरश: समझौते का पालन किया। किसान संगठनों ने केंद्रीय मंत्री से अपील की कि सिंधु नदी के पानी का विभिन्न राज्यों में उपयोग सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाएं, विशेषकर हिमाचल, जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों को हक के पानी का वो लाभ मिल सके, जिससे वे इतने सालों तक वंचित रहे। किसान संगठनों ने देश की किसी भी विकट स्थिति में मजबूती से साथ खड़े रहने का पुरजोर भरोसा दिलाते हुए कहा कि किसानों के खून में जज्बा व जुनून रहता है। किसान किसी अन्याय को बर्दाश्त नहीं करते और कहीं अन्याय हो तो वह हमेशा उसके विरोध में खड़े रहते हैं। किसानों ने कहा कि सिंधु जल संबंधी फैसला ऐतिहासिक निर्णय है और वो समझ सकते है इसे धरातल पर लाते-लाते एक प्रक्रिया के दौर से गुजरना पड़ सकता है, लेकिन चाहे जितना समय लगे, देश के किसान, सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहेंगे। सरकार ने बड़ा फैसला लिया है और किसान इसके प्रति आभारी है। किसान संगठनों की ओर से यह भी कहा गया कि ‘खेत को पानी और फसल को दाम’ किसानों की समृद्धि के दो प्रमुख आधार है और सरकार ने इस दिशा में काम करके दिखाया है। किसान संगठनों की ओर से श्री अशोक बालियान, श्री धर्मेंद्र मलिक, श्री सत्यनारायण नेहरा, श्री कृपा सिंह नाथूवाला, श्री सतविन्द्र सिंह कलसी, श्री मानकराम परिहार, श्री सतीश छिकारा, श्री बाबा श्याम सिंह, श्री



बाबा मूलचंद सेहरावत, प्रो. वी.पी.सिंह, श्री राजेश सिंह चौहान, श्रीमती सुशीला बिश्नोई, श्री रामपाल सिंह जाट ने विचार रखें। 

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