त्रिलोकपुर गांव में सामाजिक न्याय बोर्ड की बैठक: महिलाओं को सशक्त बनाने और जमीनी समस्याओं पर चर्चा



एटा

सामाजिक न्याय और महिला सशक्तिकरण बोर्ड की एक महत्वपूर्ण बैठक हाल ही में त्रिलोकपुर गांव में आयोजित की गई। इस बैठक की अध्यक्षता उत्तर प्रदेश महिला प्रकोष्ठ की अध्यक्ष कुसुम  पथरिया ने की, इसमें एटा जिला बोर्ड के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया। एटा अध्यक्ष  रंजीत सिंह , भारत सिंह विजेन्द्रसिंह , रामसिंह ,नरपतसिंह ,नीलम सभी सम्मानित ज़िला पदाधिकारी उपस्थित रहे ।राज्य के सभी सम्मानित पदाधिकारियों का सहयोग रहा उमा जैसवाल , ममता तिवारी ,किरन कुशवाह , अनुराधा कुशवाह ,राजकुमारी ,राजेंद्र सिंह और सभी सम्मानित पदाधिकारी ।बैठक का उद्देश्य स्थानीय समुदाय की समस्याओं को सुलझाना और महिलाओं तथा वंचित वर्गों को सशक्त बनाना था। इस बैठक में प्रभावी चर्चाएं और पहल की गईं, जो समुदाय को सशक्त बनाने और न्याय तथा समानता की राह को सुलभ बनाने पर केंद्रित थीं।

बैठक के दौरान, बुजुर्ग महिलाओं और विधवाओं को उनके साहस और योगदान के लिए सम्मानित किया गया और उन्हें शॉल भेंट की गई। साथ ही, गांववासियों को न्याय प्राप्त करने और अपने अधिकारों तक पहुंचने के लिए विभिन्न माध्यमों की जानकारी दी गई। **आयुष्मान भारत योजना** पर भी चर्चा हुई और गांववासियों को इसके लाभ और इसे कैसे प्राप्त किया जा सकता है, इसकी जानकारी दी गई।

बैठक में बेरोजगारी, शिक्षा की कमी और अंधविश्वास जैसी गंभीर समस्याओं पर प्रकाश डाला गया। इन मुद्दों पर समाधान तलाशने और गांववासियों को सशक्त बनाने के लिए विचार-विमर्श किया गया। बोर्ड ने इस बात पर जोर दिया कि वह समाज के सबसे दूरदराज क्षेत्रों में भी न्याय और सहायता पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है।

सामाजिक न्याय और महिला सशक्तिकरण बोर्ड ने अपने दृष्टिकोण और मिशन को दोहराया, जिसका उद्देश्य मानवाधिकार और न्याय के अध्ययन और अभ्यास में संलग्न एक बहु-विषयक समुदाय का निर्माण करना है। बोर्ड हर व्यक्ति के आर्थिक और राजनीतिक अधिकारों को बढ़ावा देने और यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि न्याय सही भावना में और समय पर प्रदान किया जाए।  

बोर्ड की अनूठी पहल इसकी बहु-विषयक संरचना में निहित है, जहां वकील, कानून के छात्र, और समाजशास्त्र, मानवशास्त्र, सार्वजनिक नीति, और कला जैसे क्षेत्रों के विशेषज्ञ मिलकर काम करते हैं। इस सहयोग का उद्देश्य उन चुनौतियों को संबोधित करना है जहां मानवता की गरिमा खतरे में पड़ सकती है। 

“शैक्षणिक और वकालत के संगम पर बदलाव के भागीदार” के सिद्धांत के तहत, बोर्ड उन लोगों और समुदायों के जीवन में स्थायी और सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रतिबद्ध है, जो जाति, धर्म, पंथ, या अन्य सामाजिक विभाजन के कारण पीड़ित हैं। 

इस बैठक ने सामाजिक न्याय और महिलाओं सहित कमजोर वर्गों को सशक्त बनाने के लिए बोर्ड की प्रतिबद्धता को दोहराया। इसने एक ऐसे समाज के निर्माण की दृष्टि को प्रकट किया, जहां हर व्यक्ति गरिमा और समानता के साथ जी सके, बिना किसी प्रणालीगत बाधा या भेदभाव के।






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