पूर्वोत्तर क्षेत्र में शिक्षा और स्वास्थ्य का विकास



जी. किशन रेड्डी

उत्तर-पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्री


श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी पहले ऐसे प्रधानमंत्री थे। जिन्होंने पूर्वोत्तर क्षेत्र के महत्व को समझा और यह महसूस किया कि भारत के विकास में पूर्वोत्तर क्षेत्र का विकास कितना महत्वपूर्ण है I अटल जी ने पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास हेतु एक अलग विभाग की संकल्पना की और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास के लिए एक नए मंत्रालय का गठन किया। वे पूर्वोत्तर राज्यों का चहुंमुखी विकास चाहते थे। तत्कालीन अटल सरकार ने इस क्षेत्र के राज्यों में अपने 28 सूत्री कार्यक्रम के जरिए विकास को गति देने की पहल की। जिसमें बिजली उत्पादन, सीमा व्यापार, बागवानी, गावों और शहरों का ढांचागत विकास, सड़क और विमान सेवा में विस्तार, शिक्षा, स्वास्थ्य, सूचना आदि ऐसे कई क्षेत्र शामिल थे। उनके नेतृत्व में पूर्वोत्तर क्षेत्र में हुए शांति प्रयासों में काफी सफलता मिली और अशांत समझे जाने वाले कुछ राज्यों में तेजी से स्थिति बदली।

मगर अटल जी के बाद उनके प्रयासों पर फिर कोई ध्यान नहीं दिया गया और पूर्वोत्तर राज्य पुनः विकास की गति में पीछे रह गए। मगर 2014 में मोदी सरकार का आना पूर्वोत्तर राज्यों के लिए मानों वरदान साबित हुआ। नरेंद्र मोदी सरकार “एक भारत-श्रेष्ट भारत” और “सबका साथ-सबका विकास” के मूल मंत्र पर अपने विकास कार्यों को गति दे रही है। उसी कड़ी में पूर्वोत्तर क्षेत्र जो मोदी जी के दिल के सबसे करीब है, उसका विकास होना स्वाभाविक था। मोदी जी ने श्रद्धेय अटल जी के सपनों को पंख देने का काम किया तथा एक खुशहाल, समृद्ध और विकसित पूर्वोत्तर क्षेत्र का संकल्प किया। पिछले 10 वर्षों में पूर्वोत्तर क्षेत्र में जो विकास हुआ है, उसे पहले कभी नहीं देखा गया। 

मैं अपने कई आलेखों में इस बात का जिक्र कर चुका हूँ कि पिछले 10 वर्षों में पूर्वोत्तर का जन-जीवन स्तर ऊपर उठा है। उनको अन्न, घर, पढ़ाई, दवाई, न्याय, कनेक्टिविटी के साथ-साथ आगे बढ़ने के अनेक नए अवसर मिले हैं। 

पिछले 10 वर्षों में मोदी जी ने पूर्वोत्तर राज्यों के विकास में सबसे पहले उन बातों पर ध्यान दिया जो वहाँ के आमजन से जुड़ी हुई थी। सबसे महत्वपूर्ण घटक था ‘कनेक्टिविटी’ जिस पर विगत 10 वर्षों में मोदी सरकार का सबसे अधिक ध्यान रहा। मैं कई बार ये बात बोलता हूँ कि हमने पूर्वोत्तर क्षेत्र में सड़क कनेक्टिविटी, रेल कनेक्टिविटी, जलमार्ग कनेक्टिविटी, हवाई कनेक्टिविटी, टेलिकॉम कनेक्टिविटी के साथ-साथ पॉलिटिकल कनेक्टिविटी को भी मजबूत किया है। आज पूर्वोत्तर राज्यों में पार्टी और विचारधारा अलग-अलग होने के बावजूद भी सभी सरकारें एक-दूसरे राज्यों का सहयोग कर रही हैं और सभी सरकारें मिलकर पूर्वोत्तर के सर्वांगीण विकास के लिए प्रतिबद्ध हुई हैं। इसके साथ ही मोदी सरकार ने अपने मंत्रिमंडल में सभी केन्द्रीय मंत्रियों को नियमित रूप से पूर्वोत्तर राज्यों में प्रवास की औपचारिक योजना का क्रियान्वयन किया है। नरेंद्र मोदी जी देश के पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने अपने कार्यकाल में स्वयं 63 बार पूर्वोत्तर राज्यों का दौरा किया है। इसके अलावा 400 बार से अधिक केन्द्रीय मंत्रियों ने पूर्वोत्तर राज्यों का दौरा किया है। जिसमें उन्होंने रात्री निवास पूर्वोत्तर राज्यों के किसी एक स्थान पर किया है। इस प्रवास के दौरान केन्द्रीय मंत्री वहाँ की स्थानीय जनता से बात-चीत करते हैं। उनके घरों में जाते हैं, उनके सामने आ रही चुनौतियों का प्रत्यक्ष अवलोकन करते हैं और शीघ्र उनका समाधान करने का प्रयास करते हैं। इसके अलावा केंद्र एवं राज्य सरकारों के विकास कार्यों का निरीक्षण भी इस प्रवास के दौरान होता है तथा उस क्षेत्र की ‘समस्या एवं क्षमता’ दोनों के बारे में भी सम्पूर्ण जानकारी अधिकारियों और जनता दोनों से ली जाती है। इसके बाद अपने प्रवास की एक विस्तृत रिपोर्ट प्रधानमंत्री कार्यालय को सौपीं जाती है। यह पूर्वोत्तर राज्यों में मोदी जी के विकास का एक अद्भुत मॉडल है।

इतना ही नहीं मोदी सरकार ने जनता की मूलभूत जरूरतों का भी ख्याल रखा है, उदाहरण के लिए विकसित भारत के संकल्प में सबसे महत्वपूर्ण घटक हैं “शिक्षित भारत और स्वास्थ्य भारत”।  शिक्षा, जो किसी भी क्षेत्र के भविष्य की जननी है, उस पर मोदी सरकार का विशेष ध्यान है। इसके लिए केंद्र सरकार ने पूर्वोत्तर क्षेत्र में 21,151 करोड़ रुपये खर्च किये हैं। पिछले 10 वर्षों में उच्च शिक्षा में कुल छात्र नामांकन में 29% की वृद्धि हुई है। एमबीबीएस सीटों की संख्या लगभग दोगुनी हो गई है और स्नातकोत्तर सीटों की संख्या दोगुनी से भी अधिक हो गई है। उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए पूर्वोत्तर में कई नए संस्थान बनाए गए हैं: जैसे - एक नया अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) असम, एक नया भारतीय जनसंचार संस्थान (आईआईएमसी) मिजोरम, भारत का पहला राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय (मणिपुर), आठ नए एमबीबीएस कॉलेज और 2 नए भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईआईटी) मणिपुर और त्रिपुरा में स्थापित हुए हैं। जिनके आधार पर शिक्षा क्षेत्र में पूर्वोत्तर राज्यों ने एक लंबी छलांग लगाई है। 

इसी प्रकार स्वास्थ्य सेवाओं में पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए केंद्र सरकार ने अभी तक 31,794 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। मोदी सरकार का उद्देश्य देश के प्रत्येक व्यक्ति तक गुणवत्तापूर्ण, सस्ती और सुलभ दवाएं, उपचार और स्वास्थ्य सुविधाएं समान रूप पहुँचाना है। 2016 और 2021 के बीच लगभग 6 लाख गर्भवती महिलाओं को प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए) के तहत प्रसवपूर्व देखभाल प्राप्त हुई है। वर्तमान में पूर्वोत्तर क्षेत्र में 4,460 आयुष्मान भारत-स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्र संचालित हो रहे हैं। 387 स्वास्थ्य केंद्रों में आयुष के तहत सुविधाएं भी उपलब्ध हैं। हाल ही में भारत सरकार ने "रीजनल कंसल्टेटिव वर्कशॉप ऑन रीसर्च प्रायोरिटी फॉर प्रोवाइडिंग एक्सेसिवल एंड अफर्डेबल हेल्थकेयर फॉर द नॉर्थ-ईस्टर्न स्टेट ऑफ इंडिया" का भी उद्घाटन किया है। 14 अप्रैल 2023 को माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1,123 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित इस क्षेत्र के पहले अखिल भारतीय चिकित्सा विज्ञान संस्थान (एम्स), गुवाहाटी का उद्घाटन किया। कोरोना महामारी के दौरान 6 करोड़ से अधिक कोविड टीके लगाए गए। पीएम-डिवाइन योजना के तहत 129 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत पर डॉ. बी बरूआ कैंसर इंस्टीट्यूट (बीबीसीआई) गुवाहाटी में कैंसर देखभाल सुविधाओं की स्थापना हुई। टाटा कैंसर अनुसंधान संस्थान के सहयोग से 18 अस्पतालों को मंजूरी दी गई, जिसमें  से 7 कैंसर अस्पतालों का उद्घाटन हो चुका है और 7 कैंसर अस्पताल निर्माणाधीन हैं।

माननीय अटल जी द्वारा देखा गया ‘विकसित पूर्वोत्तर क्षेत्र’ के सपने को साकार करने में मोदी सरकार ने पसीना बहा दिया है। चाहे कुछ भी हो जाए मगर पूर्वोत्तर के विकास का पहिया अब रुकने वाला नहीं है। अमृत काल में पूर्वोत्तर क्षेत्र, यहाँ के लोग, राज्य सरकारें और केंद्र सरकार मिलकर नित नया इतिहास लिख रही है। 

(लेखक, भारत सरकार के केन्द्रीयउत्तर-पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्री हैं)

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