लॉ एवं टेक्नोलॉजी में प्रगति का हमारे जीवन के हर पहलू पर प्रभाव : न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला

 लखनऊ : डॉ० राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्विद्यालय लखनऊ की संगोष्ठी समिति के द्वारा 2 दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शनिवार को उद्धघाटन हुआ। राष्ट्रीय संगोष्ठी का विषय लॉ एंड टेक्नोलॉजी था। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि लखनऊ बेंच के न्यायमूर्ति श्री ओम प्रकाश शुक्ला, विशिष्ट अतिथि पूर्व- कुलपति सिदो कान्हु मुर्मू विश्वविद्यालय, श्रीमती सोनाझरिया मिंज और मुख्य वक्ता भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआई एम),अहमदाबाद के प्रो० अनुराग अग्रवाल रहे। 

संगोष्ठी के अध्यक्ष डॉ०प्रेम कुमार गौतम ने संगोष्ठी के विषय व उसके उप-विषय की व्याख्या करी।

विधि विश्विद्यालय के कुलपति प्रो० संजय सिंह ने सभी अतिथियों का स्वागत करके कार्यक्रम की शुरुआत की। उन्होंने बताया कि कि लॉ एंड टेक्नोलॉजी के 3 मुख्य भाग हैं, पहला टेक्नोलॉजी, दूसरा आर्गेनाइजेशन और तीसरा एवं अत्यंत महत्वपूर्ण भाग विचारधारा जो की दर्शन,न्यायशास्र से भी जुड़े हुए हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के आने से लॉ पर क्या प्रभाव पड़ा है, इन प्रश्नों के उत्तर जानना आवश्यक हो जाता है। उन्होंने विधि विश्वविद्यालयों एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालयों के बीच अंतर्विषयक अध्ययन पर बल देते हुए प्रसिद्ध समाजशास्त्री एमएन श्रीनिवास की पश्चिमीकरण की अवधारणा में मानसिक तत्व का उदाहरण दिया।

बदलते सामाजिक परिपेक्ष में लॉ और टेक्नोलॉजी की प्रासंगिकता पर प्रकाश डालते हुए मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति श्री ओम प्रकाश शुक्ला



ने कहा कि आज लॉ एवं टेक्नोलॉजी में प्रगति का हमारे जीवन के हर पहलू पर प्रभाव है। इसके सकारात्मक पहलुओं पर अपने विचार रखते हुए कहा कि हम आज परिवर्तन के मोड पर आ खड़े हुए हैं, टेक्नोलॉजी के कारण न्याय की पहुंच बढ़ गई है। टेक्नोलॉजी के कारण न सिर्फ सामान्य लोगो को सहयाता मिल रही हैं बल्कि न्यायालय में भी समय और पारदर्शिता में सुधार देखा जा रहा हैं। टेक्नोलॉजी विभिन्न माध्यम से सहायता प्रदान कर रहीं हैं जैसे कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, केसों की ई-फाइलिंग से न्यायपालिका का आम आदमी तक न्याय पहुंचाना आसान हो गया है। आने वाले समय मे आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस समय के साथ सभी क्षेत्रो में कई बड़े बदलाव लेके आएगा जिनको रोका नहीं जा सकता हमे इसको अवसर समझ के बदलाव को अपनाना चाहिए। छात्रों को लॉ के साथ टेक्नोलॉजी से भी जुड़ा रहना चाहिए क्योंकि कुछ ही सालो में कोर्ट में अधिकतर चीज़ें डिजिटिलाइज हो जाएंगी। उन्होंने अपनी शुभकामनाएं देते हुए कहा की अवश्य ही ये संगोष्ठी नए विचारों को प्रेरित करेगी एवं उपलब्ध शोध को नए आयाम मिलेंगे। न्यायमूर्ति ने सभी छात्रों के उज्वल भविष्य के लिए उनको आशीर्वाद दिया।

विशिष्ट अतिथि श्रीमती सोनाझरिया मिंज ने उन्होंने टेक्नोलॉजी के जिम्मेदारी- पूर्वक उपयोग का समर्थन किया।  उन्होंने कहा कि चैट जीपीटी तो केवल एक टूल है ऐसे कई सारे टूल आजकल उपलब्ध है जिन्हें विनियमित करने की आवश्यकता है। तकनीकी इनोवेशन पहले पब्लिक के यूज़ के लिए आ जाता हैं फिर उसपे लॉ बनाने की प्रक्रिया शुरू की जाती हैं जबकि होना ऐसा चाहिए कि तकनीकी इनोवेशन को तब तक जनता के उपयोग के लिए नहीं लाना चाहिए जब तक उसपे लॉ न बन जाए। इससे टेक्नोलॉजी का दुरुपयोग को रोक जा सकता हैं। उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में टेक्नोलॉजी पब्लिक के उन्होंने अपने अनुभव के आधार पर संथली चित्रकारी का उदाहरण देते हुए कहा की बौद्धिक संपदा जो की पारंपरिक ज्ञान पर आधारित हैं उसे पर्याप्त सुरक्षा नहीं मिल रही है और उसपर शोध की भी आवश्यकता हैं।

मुख्य वक्ता प्रो० अनुराग अग्रवाल ने ने ब्रिटिश न्यायाधीश बरो को कोट करते हुए बताया कि लोक नीति एक बेकाबू घोड़े की तरह है परंतु लॉर्ड डेनिंग इससे असहमत थे उन्होंने कहा की एक अच्छे इंसान द्वारा घोड़े को काबू भी किया जा सकता है और बाधाएं भी पार की जा सकती हैं ठीक उसी प्रकार टेक्नोलॉजी को भी जनहित में विनियमित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सामाजिक सुरक्षा के लिए कानून बहुत आवश्यक है। उन्होंने कहा की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मनुष्य की तर्कसंगिकता की जगह नहीं ले सकता क्योंकि मनुष्य के पास निर्णय लेने का विवेक है। समय की मांग यह है कि कानून निर्माताओं को विकसित होती हुई प्रौद्योगिकी के साथ कानून का भी नवीनीकरण करना चाहिए। अंत में उन्होंने छात्रों को सलाह दी कि वह सिर्फ सोशल मीडिया पर ही नहीं परंतु वास्तविक जीवन में भी अच्छे मित्र बनाएं।

संगोष्ठी समिति के संयोजक सत्यम शिवम ने बताया कि राष्ट्रीय संगोष्ठी में देश भर के 30 से अधिक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों से 115 शोध पत्रों के माध्यम से प्रतिभागियों ने संगोष्ठी से संबंधित विषयों पर प्रकाश डाला।

कार्यक्रम में विभागाध्यक्ष प्रो०ए०पी सिंह संगोष्ठी के अध्यक्ष डॉ०प्रेम कुमार गौतम, डॉ०मिताली तिवारी, डॉ० संजय दिवाकर, डॉ० अमनदीप सिंह, डॉ० विकास भाटी, डॉ० भानु प्रताप वही छात्रों में सत्यम शिवम,  अक्षत जैसवाल, विनायक चतुर्वेदी, विनायक गिरधर समेत अन्य शिक्षक व छात्र मौजूद रहे।

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल न लाया जाय और निजीकरण का विफल प्रयोग वापस लिया जाय : ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन

ईश्वर के अनंत आनंद को तलाश रही है हमारी आत्मा

सेक्टर 122 हुआ राममय. दो दिनों से उत्सव का माहौल