कांग्रेस पार्टी अपनी जैसी जातिवादी व पूँजीवादी सोच रखने वाली पार्टियों के साथ गठबन्धन करके फिर से केन्द्र की सत्ता में आने के सपने देख रही : मायावती

MP में विधानसभा चुनाव के लिए BSP सुप्रीमो मायावती का बड़ा ऐलान, बसपा नहीं  करेगी किी दल से गठबंधन

नई दिल्ली: बहुजन समाज पार्टी (बी.एस.पी.) की राष्ट्रीय अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री व पूर्व सांसद  मायावती  ने सत्ताधारी गठबन्धन व विपक्षी गठबंधन तथा संसद के कल से शुरू हो रहे सत्र आदि के सम्बंध में आज यहाँ मीडिया को सम्बोधित करते हुये कहा कि  जैसाकि यह विदित है कि देश में लोकसभा आमचुनाव होने का समय अब बहुत नजदीक आ गया है जिसके चलते सत्ताधारी गठबन्धन व विपक्षी गठबन्धन अर्थात् ‘एनडीए’ व परिवर्तित किये गये ‘यूपीए’ की बैठकों का भी दौर शुरू हो गया है, हाँलाकि इस मामले में हमारी पार्टी भी कोई पीछे नहीं है बल्कि इन चुनावों की तैयारी को लेकर पिछले कुछ समय से पूरे देश में पार्टी की छोटी-छोटी बैठकें एवं बन्द जगह पर कैडर कैम्प आदि लेने का भी कार्य युद्ध स्तर पर चल रहा है।
मायावती ने कहा कि इतना ही नहीं बल्कि अब एक तरफ सत्ता पक्ष का ’एनडीए’ अपनी फिर से पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने के लिए अपनी दलीलंे दे रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ विपक्षी गठबन्धन यहाँ सत्ताधारी एनडीए गठबन्धन को इस बार चुनाव में मात देने के लिए उनकी नीतियों व कार्यशैली आदि का काफी विरोध कर रहा है, जिसमें बी.एस.पी. भी कोई पीछे नहीं है।जबकि सत्ताधारी पार्टी व विपक्षी पार्टियों के बने गठबन्धन के बारे में सच्चाई यही है कि यहाँ वर्तमान में विपक्षी गठबन्धन के प्रमुख दल कांग्रेस पार्टी ने आज़ादी के बाद शुरू में केन्द्र तथा अधिकांश राज्यों में भी अपने लम्बे अरसे तक रहे शासनकाल के दौरान्, अपनी हीन व जातिवादी एवं पूँजीवादी मानसिकता को त्यागकर, यदि देश व आम जनहित में तथा कमजोर वर्गाें के हितों में भी पूरी ईमानदारी से कार्य किया होता और विशेषकर कमजोर वर्गाें के हित व कल्याण के मामलें में परमपूज्यबाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर की सलाह को मान लिया होता तो फिर ना तो बाबा साहेब डा. अम्बेडकर को अपने कानून मन्त्री पद से इस्तीफा देना पड़ता तथा ना ही आगे चलकर कांग्रेस पार्टी को केन्द्र व अधिकांश राज्यों की भी सत्ता से बाहर होना पड़ता और ना ही फिर कमजोर वर्गाें के लोगों को मजबूरी में बी.एस.पी. के नाम पर देश में अपनी अलग से राजनैतिक पार्टी बनाने की ज़रूरत पड़ती।
उन्होंने कहा कि अब यह कांग्रेस पार्टी, अपनी जैसी जातिवादी व पूँजीवादी सोच रखने वाली पार्टियों के साथ गठबन्धन करके, फिर से केन्द्र की सत्ता में आने के सपने देख रही है, तो वहीं सत्ताधारी बीजेपी पार्टी भी पुनः केन्द्र की सत्ता में आने के लिए अपने एनडीए गठबन्धन को हर मामले में मज़बूत बनाने में लगी है। साथ ही, फिर से सत्ता में आने का दावा भी ठोक रही है, और यह कह रही है कि इस बार बीजेपी व उनका गठबंधन 300 से ज्यादा सीटें जीतेगा, ऐसा दावा वह ठोक रही है, जिनकी कथनी व करनी में कांग्रेस पार्टी की तरह ही कोई ख़ास अन्तर नज़र नहीं आता है।
कहने का तात्पर्य यह है कि अब ये दोनों बने गठबन्धन यानि कि एनडीए व परिवर्तित किये गये यूपीए, केन्द्र की सत्ता में आने के लिए अपने-अपने दावे ठोक रहे है, जबकि जनता को किये गये इनके ’’वायदे व आश्वासन’’ आदि सत्ता में बने रहने के दौरान् अधिकांशः खोखले ही साबित हुये हैं।
मायावती ने बताया कि वैसे भी कांग्रेस व बीजेपी एण्ड कम्पनी के बने गठबन्धन की अब तक रही सरकार की कार्यशैली यही बताती है कि इनकी नीति, नीयत व सोच सर्वसमाज में से विषेषकर ग़रीबों, दलितों, आदिवासियों, पिछड़े वर्गाें, मुस्लिम एवं अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों के प्रति लगभग एक जैसी ही रही है, क्योंकि इन्होंने सत्ता में रहकर शुरू से ही इन वर्गाें के मामले में अधिकांशः काग़ज़ी खानापूर्ति ही की है तथा ज़मीनी हकीकत में इनके लिए कोई ठोस कार्य नहीं किये हैं।
लेकिन जब ये लोग सत्ता से बाहर हो जाते हैं तब फिर वे इनकेे वोट के स्वार्थ की ख़ातिर इनके हितों में काफी लम्बी चौड़ी बाते करते हैं, जैसे कांग्रेस पार्टी का ‘‘ग़रीबी हटाओं’’ का व बीजेपी का हर ग़रीब के खाते में ’’20 लाख रुपये’’ पहुँचाने को लेकर कही गई ये बातें सत्ता में आने के बाद केवल हवाहवाई व खोखली ही साबित होकर रह गई हैं, जिसकी ख़ास वजह से ही बी.एस.पी. ने सत्ताधारी गठबन्धन व विपक्षी गठबन्धन से ज़्यादातर अपनी दूरी ही बनाकर रखी है।
मायावती ने कहा कहा कि ऐसी स्थिति में अब इन वर्गाें के लोगों को यानि कि कमजोर वर्गों के लोगों को आपसी भाईचारा के आधार पर व अपना अकेले ही मज़बूत गठबन्धन बनाकर यहाँ हर मामले में अपनी एकमात्र हितैषी रही पार्टी बी.एस.पी. को ही मजबूती देनी है तथा जिससे फिर यहाँ कोई भी गठबन्धन केन्द्र व राज्यों की भी सत्ता में पूरी मज़बूती के साथ आसीन ना हो सके तथा इसके स्थान पर फिर इनकी ‘‘मज़बूत’’ नहीं बल्कि ‘‘मजबूर’’ सरकार ही बनेगी। हमारी पार्टी का यह पूरा-पूरा प्रयास होना चाहिये ताकि बी.एस.पी. के सत्ता में ना आने की स्थिति में भी इन वर्गाें का ये लोग ज्यादा शोषण ना कर सकें। इतना ही नहीं बल्कि ऐसी स्थिति में, बी.एस.पी. को भी सत्ता में आसीन होने का मौक़ा मिल सकता है, जब तक कि हम लोग अकेले अपने बलबूते पर खड़े नहीं हो पाते है।
उन्होंने कहा कि इन सब बातों को ध्यान में रखकर अब बी.एस.पी. को लोकसभा आमचुनाव में तथा इससे पहले, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ व तिलंगाना आदि इन राज्यों में होने वाले विधानसभा आमचुनाव में भी अकेले ही चुनाव लड़कर अपनी पार्टी का बेहतर रिज़ल्टलाना होगा।लेकिन बी.एस.पी. पंजाब, हरियाणा आदि इन राज्यों में वहाँ कि रिजनल पार्टियों के साथ मिलकर जरूर चुनाव लड़ सकती है बशर्तें कि अब वर्तमान में उनका एनडीएव परिवर्तित किये गये यूपीए से भी कोई सम्बन्ध नहीं होना चाहिये।
इसके साथ ही, पार्टी के लोगों को हर स्तर पर सत्ताधारी गठबन्धन व विपक्षी गठबन्धन के सभी साम, दाम, दण्ड, भेद आदि अनेकों हथकण्डों से भी ज़रूर सावधान रहना है।
इसके इलावा, यहाँ मैं यह भी कहना चाहूँगी कि देश में लगातार बढ़ रही कमरतोड़ महंगाई, अति गरीबी व बेरोजगारी आदि की इन गम्भीर समस्याओं के प्रति केन्द्र सरकार के उत्तरदायित्व को लेकर कल से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र में जवाबदेही का लोगों को काफी बेसबरी से इंतजार है, किन्तु मणिपुर में जारी चिन्तनीय हालात, हिंसा व असुरक्षा भी अब नया मुद्दा बन गया है।
 

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