'मूतनेवाली' जो घटना थूकने लायक भी नहीं है, उसे एलिट क्लास क्यों चाट रहा है?


 अनिल तिवारी 

नोएडा 

हवाई जहाज में बुजुर्ग महिला पर पेशाब करनेवाली वाली घटना को जो लोग हवा दे रहे हैं उनमें ज्यादातर वही पढ़े-लिखे तथाकथित एलीट वर्ग के लोग हैं जो जानबूझकर भारतीय समाज में जाति, धर्म, वर्ण, वर्ग का नैरेटिव चलाते हैं।

बात 26 नवंबर 2022 की है। एयर इंडिया की फ्लाइट नंबर 102 न्यूयार्क से दिल्ली के लिए रवाना हुई। इसमें शंकर मिश्रा नामक व्यक्ति ने शराब के नशे में बिजनेस क्लास में बैठी एक बुजुर्ग महिला पर पेशाब कर दिया। जांच पड़ताल में पता लगा है कि फ्लाइट के बिजनेस क्लास में जिस सीट पर आरोपी बैठा हुआ था उसके बायीं ओर टायलट था। उसके दाहिनी ओर पीछे वाली सीट पर पीड़ित 72 साल की महिला अकेली बैठी थी। रात में आरोपी टॉयलेट जाने के लिए उठा। नशे और नींद के झोंके में वह लेफ्ट जाने की बजाए राइट मुड़ गया और उसने बुजुर्ग महिला पर पेशाब कर दिया। 

बुजुर्ग महिला ने इसकी शिकायत क्रू मेम्बर से की, जिसके बाद आरोपी यात्री ने अपनी गलती मानते हुए माफीनामा भी लिखा। पीड़ित महिला दिल्ली उतरी जबकि उन्हे बेंगलुरु जाना था। इस वजह से उनकी फ्लाइट मिस हो गई। इसके लिए आरोपी शंकर मिश्रा ने महिला को ₹15000 दिए थे। इसके अलावा कपड़ों के ड्राई क्लीन के लिए भी आरोपी ने बुजुर्ग महिला को अलग से पैसा दिया था। नींद और नशे की हालत में हुई चूक मानते हुए मामले का रफा दफा हो जाना समझा गया।

वैसे भी गलती हो जाने पर क्षमा कर देना बड़प्पन समझा जाता है। भारतीय जीवन दर्शन में क्षमा को सबसे धर्म तो प्रायश्चित को सबसे बड़ा दंड कहा जाता है। अंग्रेजियत में भी सॉरी को बड़ा महत्व प्राप्त है। अगर किसी ने जानबूझकर कुछ नहीं किया है तो सॉरी बोलने, क्षमा मांगने या प्रायश्चित करने से मामला रफा दफा हो जाता है। यहां भी ऐसा ही हुआ। 

लेकिन मामले में नया मोड़ तब आया जब 21 दिन बाद पीड़ित महिला ने आरोपी यात्री शंकर मिश्रा को ऑनलाइन ट्रांसफर करके पैसे वापस कर दिया तथा टाटा समूह के चेयरमैन को पत्र लिखकर घटना के बारे में बताया। इसके बाद डीजीसीए और एयरलाइंस के अधिकारी हरकत में आए। एयर इंडिया ने कहा कि शिकायत के आधार पर विमान लैंड करने के बाद दोनों पार्टी में लिखित सुलह हुई थी, इसके बाद ही आरोपी व्यक्ति को जाने दिया गया था। इस हेतु एक इंटरनल जांच कमेटी बनाई गई थी जिसकी सिफारिश पर आरोपी व्यक्ति के 30 दिन तक के हवाई सफर पर बैन भी लगा दिया गया था। 

इस बीच दिल्ली पुलिस का बयान आया है कि एयर इंडिया की तरफ से उसे 28 दिसंबर 2022 को शिकायत मिली। 4 जनवरी 2023 को पीड़ित महिला से बात करके पुलिस ने इस मामले में आईपीसी की धारा 294,धारा 354,धारा 509 तथा धारा 510 के तहत केस दर्ज कर लिया है। साथ ही भारतीय विमान अधिनियम की धारा 23 भी लगाया गया है। शनिवार को आरोपी को बेंगलुरू के गेस्ट हाउस से गिरफ्तार कर दिल्ली पुलिस ने अदालत में पेश किया जहां से उसे 14 दिनों के लिए जेल भेज दिया गया।

हवाई यात्रा के दौरान यात्रियों के बदसलूकी करने का यह कोई पहला मामला नहीं है। 80 के दशक में दिनमान पत्रिका में छपी खबर " दिग्गज कांग्रेसी नेता ए आर अंतुले जब विमान में पीकर बहक गए" से लेकर शिवसेना सांसद रविंद्र गायकवाड द्वारा एयर इंडिया के कर्मचारी की चप्पलों से पिटाई की लंबी फेहरिस्त है। हजारों फीट की ऊंचाई पर उड़ती जहाज में कुणाल कामरा और अर्णब गोस्वामी के भिड़ने, छत्तीसगढ़ के कांग्रेस विधायक चंद्राकर द्वारा कर्मचारी को धमकाने, टोरंटो से दिल्ली आ रही कनाडा की फ्लाइट में जसकरण सिंधु द्वारा अटेंडेंट की उंगली काट लेने, गोवा से मुंबई आ रही विमान(जी 8- 372) के क्रू मेंबर के साथ बदसलूकी करने या फिर आज ही प्रकाश में आई वह घटना जब पटना से दिल्ली आ रही फ्लाइट में तीन नौजवानों ने नशे की हालत में फ्लाइट के भीतर हंगामा किया है। 

नशे की हालत में फ्लाइट में गंदगी करने के भी ढेरों उदाहरण है। न्यूयॉर्क और पेरिस से दिल्ली आने वाली फ्लाइट में 2 यात्रियों द्वारा पेशाब करने वाली घटनाओं से अलग इसी तरह की एक और तीसरी घटना चर्चा में है, जिसमें कजाकिस्तान से दिल्ली आने वाली एयर अस्ताना की फ्लाइट में एक रशियन यात्री ने पेशाब कर दिया था। बताया जाता है कि आरोपी नशे में धुत था। दिल्ली के आईजीआई एयरपोर्ट पर फ्लाइट के लैंड करने के बाद इस बारे में सुरक्षा एजेंसियों को जानकारी दी गई थी, लेकिन मामले में आरोपी विदेशी यात्री के अपनी गलती मान लेने पर एयरलाइंस ने मामला रफा-दफा कर दिया था।

शंकर मिश्रा के मामले में भी एयरलाइंस ने अपनी ओर से दोनों पक्षों के बीच माफीनामा लिखवा कर एक तरह से मामले को रफा-दफा कर दिया था। लेकिन लगभग एक महीने के अंतराल के बाद इस गड़े हुए मुर्दे को फिर से उखाड़ा गया। संयोग से आरोपी के एक जाति विशेष के होने के कारण सिरफिरी अतिवादी ताकतों की बांछें खिल गई। उन्हें खिल्ली उड़ाने का मौका मिल गया। आरोपी के कुकर्म पर कम उसके जातीय गर्व पर क्रूर प्रहार होने लगा। आरोपी शंकर मिश्रा के पिता श्याम मिश्रा ने न सिर्फ अपने बेटे का बचाव किया है बल्कि ब्लैकमेल किए जाने का आरोप भी लगाया है। वहीं दबी जुबान से कुछ लोगों का यह भी कहना है कि आरोपी के एक जाति विशेष से होने के कारण जातीय गोलबंदी में लिप्त ताकते इस मामले को ज्यादा तूल दे रही हैं।

अगर आरोपी शंकर मिश्रा ने अपराध किया है तो कानून के मुताबिक उन्हें दंड अवश्य मिलना चाहिए, लेकिन इसे अनर्गल विमर्श का केंद्र नहीं बनने देना चाहिए।

आज हर आदमी के पास मोबाइल फोन है, स्मार्टफोन है, इससे वह सेल्फी भी ले सकता है और ग्रुप में संदेश भी भेज सकता है। लेकिन हर आदमी वीडियो नहीं बना सकता है। जाहिर है कुछ समूह है जो वीडियो बना रहे हैं, स्लोगन गढ़ रहे हैं। यह समूह कौन है? अगर आप ध्यान से चिन्हित करना चाहेंगे तो पाएंगे इनमें ज्यादातर वह पढ़े-लिखे तथाकथित एलीट वर्ग के लोग हैं जो जानबूझकर जाति, धर्म, वर्ण, वर्ग का नैरेटिव चलाते हैं। इनमें अधिकांश वही लोग हैं जो भारत के प्राचीन गौरव को सपने में भी सुनना देखना नहीं चाहते। वसुधैव कुटुंबकम के सूत्र से नफरत करते हैं तथा दुनिया को एक निहायत सतही चश्में से बांटकर देखना पसंद करते हैं। 

यह गिरोह बकायदा षडयंत्र पूर्वक प्रतिभा का अपमान तो करता ही है जाति की गोलबंदी कर अपनी राजनीतिक रोटी सेकने के फिराक में भी रहता है और इस प्रवृत्ति और मनोवृति को खाद पानी देने के लिए संगठित प्रयास करता है। जाहिर है यह तबका किसी शून्य से नहीं उभरा है। एक खास किस्म का नैरेटिव चलाने वाले इसे भरपूर पोषण देकर तैयार करते रहे हैं।दरअसल आजादी के बाद से ही इस तरह के विमर्श गढे जाने शुरू हो गए थे पर संचार तकनीक के विकसित होने के बाद इसको बड़े पैमाने पर फैलाने में मदद मिली है। 

यह बीमारी हमारे राजनीति में भी फैली है जो सत्ता के लोभ में फंसी है। अब यह समाज पर निर्भर करता है कि तथाकथित एलिट लोगों के जहरीले विचार को किस तरह लें। क्या मासूमियत के साथ इनके दुष्प्रचार के शिकार होते रहे और अनजाने में अपने भीतर एक अपराध बोध का संकीर्ण भाव आने दे अथवा इनका कड़ा प्रतिरोध कर भारत के प्रचलित उदात्त भाव को प्रकट करने का जतन करें।

नीद और नशा का अपना एक अलग मनोविज्ञान है। नींद में कुछ लोगों को चलने की बीमारी होती है। अधिक नशा होने पर लोग लड़खड़ा कर गिरने लगते हैं। नींद में लोग केवल सपने ही नहीं देखते कुछ लोग बड़बड़आने लगते हैं। नशे में लोग केवल सुरखुरू ही नहीं होते,चीखते चिल्लाते भी है और कई बार तो धड़ल्ले से अंग्रेजी छांटने लगते हैं। चिकित्सा जगत में इसे अलग तरह से परिभाषित किया गया है।

आशय किसी व्यक्ति द्वारा किये गये अपराध का सरलीकरण नहीं है लेकिन परोक्ष ताकतें जब किसी घटना को जानबूझकर हवा देने लगती हैं तब सवाल उठाना जरूरी हो जाता है। 

चूंकि मामला संभ्रांत वर्ग के पसंदीदा वाहन हवाई जहाज से जुड़ा हुआ है इसलिए अंग्रेजी मीडिया इसे बढ़ा चढ़ा कर पेश कर रहा है। सच्चाई तो ये है कि हवाई जहाज में "मूतने" वाली ये घटना थूकने लायक भी नहीं है। लेकिन इलिट क्लास और उसका अंग्रेजी मीडिया अगर इसे नेशनल खबर के तौर पर प्रसारित कर रहा है तो वह भी इसका एक वर्ग और धर्म के प्रति द्वेष ही है।

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