अन्तरराष्ट्रीय नीले आकाश एवं स्वच्छ हवा दिवस

सभी देशों को मिलकर काम करना चाहिये.--संयुक्त
राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश 
नई दिल्ली 

इस साल जुलाई में, देशों ने स्वच्छ, स्वस्थ और टिकाऊ पर्यावरण के सार्वभौमिक अधिकार को मान्यता दी. स्वच्छ हवा अब मानव अधिकार है. एक स्थिर जलवायु एक मानव अधिकार है. स्वस्थ प्रकृति एक मानव अधिकार है.

 

आज वायु प्रदूषण, अरबों लोगों को उनके अधिकारों से वंचित कर रहा है.

 

प्रदूषित हवा ग्रह पर 99 प्रतिशत लोगों को प्रभावित करती है.

 

इससे सबसे ज़्यादा ग़रीबों को परेशानी होती है.

 

ख़ासतौर पर महिलाएँ और लड़कियाँ, जिनका स्वास्थ्य, गन्दे ईंधन से भोजन पकाने व गर्म करने से ख़राब होता है.

 

निर्धन लोग, यातायात और औद्योगिक धुएँ से भरे क्षेत्रों में रहते हैं. वायु प्रदूषण से वैश्विक तापमान वृद्धि का कारण भी है.  जंगल की आग से हवा और ज़्यादा प्रदूषित होती है. वायु प्रदूषण और अत्यधिक गर्मी के सम्पर्क में आने से लोगों की मौत होने का जोखिम लगभग 20 प्रतिशत बढ़ जाता है. जलवायु परिवर्तन और वायु प्रदूषण, दोनों अत्यधिक घातक हैं.

 
नीले आकाश के लिये स्वच्छ हवा के इस तीसरे अन्तरराष्ट्रीय दिवस पर, मैं सभी देशों से वायु प्रदूषण से निपटने हेतु, साथ मिलकर काम करने का आहवान करता हूँ.
 
हम जानते हैं कि हमें क्या करना है.
 
अक्षय ऊर्जा में निवेश करें और जीवाश्म ईंधन को तेज़ी से बदल दें.
 
तेज़ी से शून्य-उत्सर्जन वाहनों और परिवहन के वैकल्पिक साधनों की ओर बढ़ें.
 
खाना पकाने, गर्माहट और शीतलन के स्वच्छ तरीक़ों तक पहुँच बढ़ाएँ.

 

कचरे को जलाने की बजाय री-सायकिल करें.
 
इन कार्रवाइयों से हर साल लाखों लोगों की जान बच जाएगी, जलवायु परिवर्तन धीमा होगा और टिकाऊ विकास में तेज़ी आएगी.
 
वायु प्रदूषण, सीमाओं को नहीं पहचानता.
 
इसलिये सभी देशों को मिलकर काम करना चाहिये.
 
आइये, वायु प्रदूषण पर नज़र रखें.

 

विश्व स्वास्थ्य संगठन वायु गुणवत्ता दिशानिर्देशों के पालन हेतु क़ानून बनाएँ.
और वाहनों, बिजली संयंत्रों, निर्माण व उद्योगों से कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिये विश्वसनीय योजनाएँ लागू करें.
 
हम सब मिलकर वायु प्रदूषण को कम कर सकते हैं और लोगों व पृथ्वी को स्वस्थ एवं सुरक्षित रख सकते हैं.
 

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